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एयरबेस के बहाने 'चिकन नेक' पर प्रेशर बना रहा था चीन, भारत ने तीन तरफ से घेर लिया

Chicken Neck या Siliguri Corridor को घेरने के लिए China-Pakistan-Bangladesh ने Lalmonirhat Airbase पर काम शुरू किया है. जवाब में भारत Eastern Sector में Lachit Borphukan, Chopra और Kishanganj में Military Base बना रहा है.

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भारत की आर्मी, नेवी और एयरफोर्स चीफ के साथ सीडीएस (PHOTO-India Today/PTI)

चीन की ओर से किसी संभावित खतरे की आशंका और बांग्लादेश के हालात को देखते हुए भारत ने पूर्वी सीमा की किलेबंदी शुरू कर दी है. रक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए भारत ने पूर्वी सीमा के पास तीन मिलिट्री बेस (Three new Military Bases) बनाने और तैनाती बढ़ाने का फैसला किया है. इस कदम से न सिर्फ चीन, बल्कि चिकन नेक/सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Siliguri Corridor) की चालों को काउंटर किया जा सकेगा, बल्कि 'चिकन नेक' (Chicken Neck) जैसे संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा भी और पुख्ता होगी. इस इलाके में एक ऐसा बांग्लादेशी एयरबेस भी है जिसपर चीन और पाकिस्तान, दोनों नजर गड़ाए हुए हैं. भारत के ये तीन नए एयरबेस इसी चाल को काउंटर करेंगे. तो समझते हैं, भारत के लिए इस इलाके की क्या अहमियत है? चीन इस इलाके में क्या चाल चल रहा है? और भारत कौन से तीन बेस बना रहा है.

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चिकन नेक क्या है?

नक्शा देखें तो समझ आता है कि इस इलाके को चिकन नेक क्यों कहा जाता है. वजह है इसका आकार. नक्शे पर ये मुर्गे की गर्दन जैसा दिखता है. पूर्वोत्तर के राज्यों और शेष भारत के बीच ये एक पुल की तरह काम करता है. इस इलाके में सबसे संकरी जगह मात्र 22 किलोमीटर चौड़ी है. यही वजह है कि ये इलाका काफी संवेदनशील है. अगर ये हिस्सा खतरे में हो या भारत के हाथ से निकल जाए तो पूरे पूर्वोत्तर से भारत का संपर्क कट जाएगा.

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चिकन नेक की लोकेशन (PHOTO-AajTak)

चिकन नेक बंगाल के उत्तरी हिस्से में दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी के पास है. ये पश्चिम बंगाल राज्य में 60 किलोमीटर लंबा और 21-22 किलोमीटर चौड़ा जमीन का हिस्सा है. यहां भारत की सीमा बांग्लादेश और नेपाल से लगती है. सिक्किम, तिब्बत की चुंबी घाटी और भूटान के डोकलाम का ट्राई जंक्शन भी इसी इलाके से लगा है. यहां से गुजरने वाला नेशनल हाइवे और रेलवे लाइंस पूर्वोत्तर के राज्यों को देश के बाकी हिस्से से जोड़ती हैं. यह क्षेत्र भारतीय सेना के लिए भी अहम है, क्योंकि यहां से पूर्वोत्तर में सेना को जरूरी सप्लाई और सैनिकों की आवाजाही होती है.

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बांग्लादेशी एयरबेस पर है चीन की नजर

बीते दिनों एक खबर आई थी कि बांग्लादेश में मौजूद लालमिनोरहाट एयरबेस पर चीन और पाकिस्तान अपना सैन्य अड्डा बनाना चाहता है. और बांग्लादेश में जिस तरह के हालात हैं, ऐसा संभव भी है. लालमिनोरहाट पर चीन की मौजूदगी,चिकन नेक के लिए खतरा बन सकती है. अगर भारत से कोई सड़क मार्ग से बांग्लादेश जाए तो बॉर्डर से इसकी दूरी महज 15 किलोमीटर है. यानी ये भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Siliguri Corridor) जिसे चिकन नेक (Chicken Neck) भी कहा जाता है, उसके काफी करीब है. 

लालमिनोरहाट एयरबेस का इतिहास

साल 1931; पूरे भारत पर अंग्रेजी हुकूमत का कब्जा था. उस समय के भारत को देखें तो आज का बांग्लादेश और पाकिस्तान भी भारत का ही हिस्सा था. लिहाजा अंग्रेजों ने भारत में अपनी कई छावनियां बनाईं. और साथ में बनाई हवाई पट्टी. अंग्रेजों उस समय पूरे देश में कई जगहों पर हवाई पट्टी बनवाई थी ताकि जरूरत पड़ने पर उनके विमान वहां उतर सकें.

इसी क्रम में अंग्रेजी सरकार ने पूर्वी बंगाल (आज का बांग्लादेश) के रंगपुर डिवीजन में पड़ने वाले 'लालमिनोरहाट' में एक एयर बेस (Lalmonirhat Air Base) बनाया. मकसद था बंगाल की खाड़ी वाले इलाके पर अपना वर्चस्व बनाए रखना. कई सालों तक ये बस एक आम सा एयरबेस ही था. लेकिन 1939 में जर्मनी की गद्दी पर बैठे तानाशाह एडोल्फ हिटलर को दुनिया जीतने की सनक चढ़ी, और शुरुआत हुई द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World War) की.

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लालमिनोरहाट एयरबेस की लोकेशन (PHOTO-Google Maps)

इस युद्ध के शुरू होते ही इस एयरबेस का महत्व बढ़ गया. इसका इस्तेमाल समंदर में मौजूद ब्रिटिश और मित्र देशों (Allied Powers) के नौसैनिक बेड़े को कवर देने के अलावा, बर्मा (आज का म्यांमार) के रास्ते जापान पर हमला करने के लिए भी किया जाता था. युद्ध के बाद आगे भी इस बेस का इस्तेमाल जारी रहा. 1947 के बाद ये पाकिस्तान का हिस्सा बन गया. 1971 तक सब कुछ ठीक रहा. लेकिन फिर छिड़ गई बांग्लादेश को आजाद कराने की जंग. इस जंग में आधिकारिक तौर पर भारत दिसंबर में शामिल हुआ. लेकिन भारत ने वहां के विद्रोहियों, जिन्हें मुक्ति बाहिनी कहते थे, उनका साथ देना पहले ही शुरू कर दिया था.

भारत ने इन विद्रोही लड़ाकों को ट्रेनिंग और हथियार तक दिए. फिर आई 12 अप्रैल, 1971 की तारीख. भारत के अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में उस दिन एक रिपोर्ट छपी जिसका शीर्षक था - 'Lalmonirhat Falls to Bangla Forces'; माने लालमिनोरहाट बांग्ला फ़ोर्सेज (मुक्ति बाहिनी) के कब्जे में आ गया.आखिरकार जंग खत्म हुई और दुनिया के राजनीतिक नक्शे पर एक नए देश का जन्म हुआ, नाम बांग्लादेश.

1971 में आजाद होने के बाद बांग्लादेश में सेनाओं का गठन हुआ. सेंटर फॉर रिसर्च इन इंडो-बांग्लादेश रिलेशंस के एक लेख के अनुसार तब बांग्लादेश एयरफोर्स (BAF) इसे अपना हेडक्वार्टर बनाना चाहती थी. लेकिन भारत की आपत्ति के बाद ढाका कैंटोनमेंट में हेडक्वार्टर बनाया गया. भारत की इस आपत्ति के पीछे वजह थी इसकी लोकेशन. ये एयरबेस ऐसी जगह स्थित है जहां से बॉर्डर काफी नजदीक है. टेक-ऑफ और लैंडिंग करते समय बांग्लादेश एयरफोर्स को कई बार इंडियन एयरस्पेस का इस्तेमाल करना पड़ता. कोई संप्रभु देश ऐसा करने की इजाजत नहीं देता. ऐसे में भारत ने आपत्ति जताई और हेडक्वार्टर ढाका शिफ्ट हो गया.

लालमिनोरहाट की लोकेशन, बॉर्डर के बेहद करीब

नक्शे पर देखें तो लालमिनोरहाट, बांग्लादेश के उत्तरी इलाके में पड़ता है. गूगल मैप्स जो कभी-कभी लोगों को गलत जगह भी पहुंचा देता है, उसकी मानें तो भारत के बॉर्डर से लालमिनोरहाट की दूरी महज 15 किलोमीटर है. कार से इस दूरी को 35-40 मिनट में तय किया जा सकता है. एयरफोर्स के फाइटर जेट्स इस दूरी को पलक झपकते नाप सकते हैं. ऐसे में इस एयरबेस पर कितने विमान हैं? किस तरह के विमान हैं? भारत इन सभी चीजों की जानकारी निश्चित तौर पर रखता है.

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लालमिनोरहाट से भारत की दूरी (PHOTO-Google Maps)

एक दूसरा कारण जो इसे भारत के लिए और क्रिटिकल बनाता है, वो है सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक. अगर ऐसा कोई एयरबेस भारत के पश्चिमी बॉर्डर माने पाकिस्तान में होता तो शायद भारत के लिए ये अधिक चिंता का विषय न होता. लेकिन ये एक ऐसे बॉर्डर के पास जो भारत के लिए उसके पूर्वोत्तर के राज्यों का गेटवे है. इसलिए यहां चीन जैसे देश की मौजूदगी भारत के लिए चिंता का विषय है. 

चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश; विस्तारवाद-आतंकवाद और कट्टरवाद का गठजोड़

चीन और पाकिस्तान का गठजोड़ किसी से छुपा नहीं है. और अब इन दो देशों के साथ बांग्लादेश भी भारत विरोधी रवैया अपना रहा है. मोहम्मद यूनुस का ये कहना भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्य जिन्हें सेवन सिस्टर्स कहा जाता है लैंड लॉक्ड हैं. उनके पास समुद्र तक पहुंचने का रास्ता नहीं है. बांग्लादेश उस रीजन में समुद्र का एकमात्र गार्डियन है. ये बयान अपने आप में बहुत कुछ कहता है.

The Bangladesh-Pakistan-China Triangle and India's Strategic Dilemma –  South Asian Voices
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलते मोहम्मद यूनुस (PHOTO-X)

मोहम्मद यूनुस का इशारा किसी ओर था, ये तो स्पष्ट है. ये एक तरीके से भारत को दी गई एक सॉफ्ट धमकी जैसा था. भारत के लिए पश्चिम बंगाल के उत्तर में स्थित 'चिकन नेक' कॉरिडोर के जरिए पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंचना आर्थिक और रणनीतिक रूप से एक चुनौती रही है. पिछले डेढ़ दशक में ढाका और दिल्ली मिलकर इस समस्या से निपटने पर काम कर रहे थे. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की नेतृत्व वाली सरकार के साथ भारत ने बांग्लादेश के रास्ते इन राज्यों में पहुंचने के तरीकों पर काम किया था.

Bangladesh-Pakistan thaw to redraw South Asia's power map - Asia Times
पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ से मिलते मोहम्मद यूनुस (PHOTO-X)

लेकिन मोहम्मद यूनुस चीन और पाकिस्तान के अधिक करीब हैं. उनके सरकार संभालने के बाद से बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव बढ़ा है. साथ ही भारत के प्रति एक नफरत की भावना भी पनप रही है. ऐसे में लालमिनोरहाट एयरबेस पर ड्रैगन और पाकिस्तानी मौजूदगी की आशंकाओं ने भारत की चिंता जरूर बढ़ा दी है. अब देखना ये है कि चीन इस इलाके में किस तरह से पैर जमाता है. क्या वो निवेश कर अपना व्यापार बढ़ाने पर फोकस रहता है, जैसा कि वो कहता आ रहा है, या उसकी मंशा कुछ और ही है.

भारत के तीन नए मिलिट्री बेस-'चिकन नेक' बनेगा अभेद्य किला

चिकन नेक को एक अभेद्य किले में बदलने के लिए भारत इस इलाके में तीन नए मिलिट्री ठिकाने बनाने रहा है. ये ठिकाने पहले से ही अस्तित्व में हैं. लेकिन अब यहां मिलिट्री फुल-स्केल हमलों जैसे ऑपरेशंस तक के लिए रेडी होगी. इन ठिकानों पर हमला करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल, रफाल जैसे घातक फाइटर जेट्स और दुश्मन के हमलों को नाकाम करने के लिए एयर डिफेंस तैनात किए जाएंगे. 

इनमें पहला बेस धुबरी के पास लचित बोरफुकन मिलिट्री स्टेशन होगा. दूसरा बिहार के किशनगंज और तीसरा पश्चिम बंगाल के चोपड़ा में फॉरवर्ड बेस के साथ. ये तीनों बेस सिर्फ डिफेंसिव गैरिसन नहीं, बल्कि हमलावर स्ट्रेटेजी से लैस होंगी. इंडिया टुडे की रिपोर्ट कहती है कि इन जगहों पर रैपिड डिप्लॉयमेंट फोर्स, इंटेलिजेंस यूनिट और पैरा स्पेशल फोर्स जैसे बलों की तैनाती की जाएगी. कुल मिला कर यह पक्का किया जाएगा कि कॉरिडोर से कभी कोई कॉम्प्रोमाइज न हो पाए.

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लचित बोरफुकन मिलिट्री स्टेशन (PHOTO- Eastern Command, Indian Army)

रिपोर्ट्स इस बात की तस्दीक करती हैं कि बांग्लादेश भी चीन से J-10C फाइटर खरीदने की योजना रहा है. साथ ही वो ड्रोन बनाने में चीन के साथ मिलकर काम कर रहा है, जबकि पाकिस्तान ने उसे JF-17 ब्लॉक C थंडर जेट ऑफर किए हुए हैं. अगर चीन और पाकिस्तान, ये दोनों देश बांग्लादेश को हथियार देते हैं, तो भारत के लिए यह स्वाभाविक तौर पर चिंता का विषय है. 

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सिलीगुड़ी कॉरिडोर, अपने सबसे पतले पॉइंट पर सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा है. ये कॉरिडोर नॉर्थ-ईस्ट में लगभग 5 करोड़ लोगों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. इस जगह पर कोई भी रुकावट इस कनेक्शन को तोड़ सकती है. भारत के नए बेस इस पूरे कॉरिडोर को कवर करेंगे. इसमें चोपड़ा इंस्टॉलेशन बांग्लादेश के बॉर्डर से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर है. ये फॉरवर्ड पोजीशन बांग्लादेश के अंदर तक सर्विलांस और जरूरत पड़ने पर तेजी से मोबिलाइजेशन को भी मुमकिन बनाती हैं. इस जगह से भारत चंद घंटों में बॉर्डर पर ऑपरेशनल बैलेंस को पूरी तरह बदलने की ताकत रखता है. 

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