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ट्रंप के टैरिफ वार के बीच अमेरिकी जमीन पर उतरे भारतीय जवान, करेंगे 'असली वाली' वॉर ड्रिल

Indian Army की Madras Regiment के 450 से अधिक सैनिक Yudh Abhyas में भाग लेने के लिए US के Alaska में Fort Wainwright पहुंचे हें. यहां ये सैनिक US Army के साथ High Altitude Warfare जैसी Exercise करेंगे.

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साथ में अभ्यास करते इंडियन आर्मी और यूएस आर्मी के जवान (PHOTO-X)

भारत और अमेरिका (India-US Relations) के बीच डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा लगाए गए टैरिफ (US Tariff) के बाद से ही दोनों देशों के संबंध तल्ख होते जा रहे हैं. ट्रंप हर दिन ट्रुथ सोशल (Truth Social) पर कुछ न कुछ लिख रहे हैं. इधर पीएम मोदी (PM Modi) ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से मुलाकात की तो ट्रंप को ये भी रास नहीं आया. लेकिन इस भारी टेंशन के बीच भी इंडियन आर्मी (Indian Army) का एक दल अमेरिका रवाना हुआ है. इंडियन आर्मी 1 सितंबर 2025 से अलास्का (Alaska) के Fort Wainwright में अमेरिकी सेना के साथ संयुक्त अभ्यास (Joint Exercise) करेगी. इस एक्सरसाइज को 'युद्ध अभ्यास' (Yudh Abhyas) नाम दिया गया है.

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भारत-अमेरिका के रिश्ते बहुत पुराने हैं. लेकिन भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से उपजे बवाल के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों ने नई करवट ली है. लेकिन रक्षा मंत्रालय और सेना से जुड़े लोगों का कहना है कि दोनों देशों की साझेदारी दो दशक पुरानी है. इस पार्टनरशिप में डिफेंस सेक्टर का अहम योगदान है. और अब भी रक्षा क्षेत्र से जुड़े संबंधों को कोई खतरा नहीं दिखता. यही वजह है कि ऐसे समय में भी यह एक्सरसाइज हो रही है. इस मामले पर टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए रक्षा क्षेत्र से एक भारतीय अधिकारी कहते हैं 

ये अभी तो शुरुआती दौर है. दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को बड़ा झटका लगा है. फिलहाल बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है.

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अरबों की डील, लेकिन अधर में भविष्य

रक्षा सहयोग को देखें तो फिलहाल दोनों देशों के बीच GE-F404 इंजन की डील हुई है. ये वही इंजन हैं जिन्हें भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस मार्क 1A में लगना है. इस इंजन को अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक बनाती है. हाल ही में दो साल की देरी के बाद इन इंजनों की डिलीवरी शुरू हुई है. साथ ही भारत GE के साथ 113 और ऐसे इंजनों की डील करने जा रहा है.

इंजन के अलावा भारत ने अमेरिका से अक्टूबर 2024 में उसके मशहूर हथियारबंद ड्रोन MQ-9B 'प्रीडेटर' की डील भी की थी. ये ड्रोन भारत को 2029-30 तक डिलीवर होने हैं. लेकिन ये तो वो डील्स हैं जो तय हैं. अमेरिका 2007 से अब तक भारत को लगभग 2.20 लाख करोड़ (25 बिलियन डॉलर) का सैन्य साजो-सामान बेच चुका है. साल दर साल रक्षा सहयोग बढ़ने के साथ-साथ ये नंबर और बढ़ सकता था. लेकिन फिलहाल दोनों देशों के रिश्तों ने जो मोड़ लिया है, उसे देख कर आने वाले समय में कोई नई डिफेंस डील होना बहुत ही मुश्किल जान पड़ता है.

(यह भी पढ़ें: JF-17 vs Tejas: इंजन की लड़ाई में क्यों पीछे रह गया भारत?)

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टेंशन के बीच होगा ‘युद्ध अभ्यास’

इतनी टेंशन के बीच भी दोनों देशों की सेनाएं एक साथ, एक मैदान में 'युद्ध अभ्यास' करेंगी. ये जॉइंट एक्सरसाइज अलास्का के बर्फीले इलाके में होगी. भारत की ओर से इसमें हिस्सा लेने के लिए 450 से अधिक 'मद्रास रेजिमेंट' के सैनिक अलास्का पहुंचे हैं. यहां वो अमेरिकी सेना की 5वीं इंफेंट्री रेजिमेंट जिन्हें 'Bobcats' उनके साथ अभ्यास करेंगे. ये सैनिक अमेरिकी सेना के Arctic Wolves ब्रिगेड कॉम्बैट टीम, 11वीं एयरबॉर्न डिवीजन का हिस्सा हैं. दोनों देशों के सैनिक यहां मिलकर हाई एल्टीट्यूड (ऊंचाई वाले इलाके) और बर्फ में ऑपरेट करेंगे. ये अभ्यास 1 से 14 सितंबर तक चलेगा.

इसके अलावा भी भारत-अमेरिका आने वाले समय में 'मालाबर नेवल एक्सरसाइज' के 29वें संस्करण में भी साथ दिखेंगे. फिलहाल रक्षा अधिकारी इस एक्सरसाइज की रूपरेखा तैयार करने में लगे हैं. मालाबार एक्सरसाइज को 1992 में भारत-अमेरिका के अच्छे संबंधों की निशानी के तौर पर शुरू किया गया था. लेकिन इसमें अब 'क्वाड' के सारे सदस्य साथ मिलकर अभ्यास करते हैं जिसमें ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल है.

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