सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 13 अक्टूबर को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाने की एक याचिका को खारिज कर दिया है. राहुल गांधी ने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट की 2024 की चुनावी वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का दावा किया था. इसकी जांच के लिए रोहित पांडे नामक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
राहुल के 'वोट चोरी' वाले आरोपों पर याचिका दाखिल हुई, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कह कर वापस कर दी?
Supreme Court: याचिका में Rahul Gandhi की 7 अगस्त, 2025 की प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र किया गया, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में Voter List में बड़े पैमाने पर Vote Chori का आरोप लगाया था.


लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिका दाखिल करने वाले रोहित पांडे से कहा कि वे इस मामले को पहले भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के सामने ले जाएं. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि वे पहले ही चुनाव आयोग को शिकायत दे चुके हैं, लेकिन आयोग ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट याचिका पर आगे नहीं बढ़ी और कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो चुनाव आयोग के सामने मामला उठा सकते हैं. कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस मामले में कोई समयसीमा तय करने का आदेश देने से भी मना कर दिया.
पीठ ने अपने आदेश में कहा,
"हमने याचिकाकर्ता के वकील को सुना है. हम इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं, जो कथित तौर पर जनहित में दायर की गई है. अगर सलाह दी जाए तो, याचिकाकर्ता चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रख सकता है."
याचिका में यह भी निर्देश देने की मांग की गई कि कोर्ट के निर्देशों का पालन होने और वोटर लिस्ट का इंडिपेंडेंट ऑडिट पूरा होने तक वोटर लिस्ट में कोई और संशोधन या उन्हें फाइनल ना किया जाए.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से ऐसी गाइडलाइन जारी करने की मांग की, जिसका चुनाव आयोग वोटर लिस्ट बनाने, उसके रखरखाव और छापने में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी सुनिश्चित करने में पालन करे. इसमें डुप्लिकेट या फर्जी वोट का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए सिस्टम बनाने के लिए भी कहा गया. याचिका में कोर्ट से मशीन से पढ़ी जाने वाली वोटर लिस्ट और OCR-कॉम्प्लियंट फॉर्मेट में वोटर लिस्ट जारी करने के लिए भी कहा गया.
याचिका में राहुल गांधी की 7 अगस्त, 2025 की प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र किया गया, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया था. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने खुद इन आरोपों की जांच की, जिसमें 40,009 अवैध वोटर और 10,452 डुप्लीकेट वोटर पाए गए.
याचिकाकर्ता के मुताबिक, कुछ लोगों के पास अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग EPIC नंबर थे, जबकि EPIC नंबर यूनिक होना चाहिए. कई वोटरों के पते और पिता के नाम भी एक जैसे थे, जिससे गड़बड़ी की आशंका मजबूत होती है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि एक बूथ में करीब 80 वोटर ने अपना पता एक छोटा सा घर दिया.
याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसी गड़बड़ी संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन है, जो हर व्यक्ति को एक समान वोट का अधिकार देते हैं. उन्होंने तर्क दिया कि अगर वोटर लिस्ट में इतने बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की बात साबित हो जाती है, तो यह आर्टिकल 325 और 326 के तहत 'एक व्यक्ति, एक वोट' के संवैधानिक जनादेश की नींव पर हमला करता ह.
लेकिन याचिकाकर्ता की तमाम दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को यह मामला चुनाव आयोग के सामने उठाना चाहिए.
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