सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी (Supreme Court on Pahalgam Attack) हमले से जुड़ी एक याचिका पर विचार करने से इनकार दिया है. याचिका में इस हमले की न्यायिक जांच की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा है कि इससे देश के सुरक्षाबलों का मनोबल गिरेगा.
'सेना का मनोबल न गिराओ, ऐसी मांग... ' पहलगाम अटैक पर PIL लगाने वाले को SC ने खूब फटकारा
Supreme Court on Pahalgam Attack: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. ऐसी याचिका के लिए ये सही समय नहीं है. मुद्दे की संवेदनशीलता पर गौर करना चाहिए. आखिर इस याचिका में क्या मांग की गई थी?

इंडिया टुडे के इनपुट्स के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ये देश के लिए एक महत्वपूर्ण समय है. इस वक्त सभी नागरिकों को देश का समर्थन करने के लिए आगे आना चाहिए. इसलिए ऐसी याचिका दायर ना करें जिससे सेना का मनोबल गिरे.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. ऐसी याचिका के लिए ये सही समय नहीं है. मुद्दे की संवेदनशीलता पर गौर करना चाहिए.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,
ऐसी जनहित याचिकाएं जिम्मेदारी के साथ दायर की जानी चाहिए. आपका अपने देश के प्रति भी कुछ कर्तव्य है. ये वो महत्वपूर्ण समय है, जब प्रत्येक भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ है. सुरक्षाबलों का मनोबल न गिराएं. मुद्दे की संवेदनशीलता को देखें.
अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा,
हमें जांच की विशेषज्ञता कब से मिल गई? आप सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करने के लिए कह रहे हैं. वो केवल निर्णय दे सकते हैं. हमें आदेश पारित करने के लिए नहीं कहिए.
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 आम नागरिकों की मौत हो गई थी. याचिका में इसी मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन की मांग की गई थी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट से एक और मांग की. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के बाहर पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिए निर्देश दिए जाएं. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पहलगाम हमले के बाद कश्मीरी छात्रों पर हमले हो रहे हैं.
इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फिर से फटकार लगाई और कहा,
क्या आपको स्पष्ट है कि आप की मांग क्या है. पहले आप सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग करते हैं. वो जांच नहीं कर सकते. फिर आप दिशा-निर्देश देने, मुआवजा और फिर प्रेस काउंसिल को निर्देश देने के लिए कहते हैं. आप हमें रात में ये सब (याचिका) पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं और अब आप छात्रों के लिए बोल रहे हैं.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जम्मू-कश्मीर के छात्रों के मामले में कहा कि इसके लिए वो संबंधित हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं.
वीडियो: पहलगाम के बाद बौखलाया पाकिस्तान, बॉर्डर पर इतना लाव-लश्कर जमा कर लिया