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सुप्रीम कोर्ट के जज अपनी संपत्ति का ब्यौरा देंगे, अब वेबसाइट पर दिखेगा किसके पास कितना पैसा

Judiciary की विश्वसनीयता बहाल करने और ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला किया है. Supreme Court के जज अब अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करेंगे. और इनकी संपत्ति से जुड़े डिटेल सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड किए जायेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट के जज अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करेंगे. (इंडिया टुडे)

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के पूर्व जस्टिस यशवंत वर्मा (Yashwant Verma) के घर से कैश के बंडल बरामद हुए थे. मामले में जांच चल रही है. इस बीच न्यायपालिका में लोगों का भरोसा बहाल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़ा फैसला लिया है. शीर्ष कोर्ट के सभी जज अपनी संपत्ति का ब्यौरा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को सौपेंगे.

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लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अप्रैल को आयोजित फुल कोर्ट मीटिंग में सभी 34 जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की मौजूदगी में अपनी संपत्ति का खुलासा करने का फैसला किया. जजों की संपत्ति से जुड़े डिटेल सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे.

यह फैसला जस्टिस वर्मा के दिल्ली हाईकोर्ट के जज के आधिकारिक आवास से कैश मिलने के बाद लिया गया है. 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में आग लग गई थी. जिसके बाद आग बुझाने गई फायर सर्विस टीम को वहां अधजले नोट मिले थे.

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जजों की संपत्ति से जुड़े डिटेल्स को पब्लिश करने से जुड़े तौर तरीकों को निर्धारित समय में अंतिम रूप दिया जाएगा. लाइव लॉ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा कोर्ट को दे दिया है. लेकिन अभी इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है.

सु्प्रीम कोर्ट पहले भी कर चुका है ऐसी पहल 

ये कोई पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट के जजों ने अपनी संपत्ति के ब्यौरे को सार्वजनिक करने का फैसला लिया है. सबसे पहले साल 1997 में तत्कालीन CJI जेएस वर्मा के कार्यकाल में भी ऐसी ही मीटिंग हुई थी, और इसमें तय हुआ था कि जज अपनी संपत्ति का हिसाब किताब देंगे. उस समय जजों के साथ उनके पति या पत्नी और उनसे जुड़े आश्रितों की संपत्ति के ब्यौरे भी सार्वजनिक किए जाने का फैसला हुआ था. 

इसके बाद साल 2008 में एक और फुल कोर्ट मीटिंग हुई. इसमें जजों के लिए संपत्ति के ब्यौरे सार्वजनिक करना ऑप्शनल कर दिया गया. फिर साल 2018 में निजता का सवाल उठा. और ये प्रक्रिया रुक गई. अब एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट के जजों ने इसकी पहल की है. 

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