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सुप्रीम कोर्ट ने रेप के 53 साल के दोषी को 'नाबालिग' माना, अब जुवेनाइल बोर्ड देगा सजा

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की. सुनवाई के दौरान दोषी के वकील ने दलील दी कि दोषी की डेट ऑफ बर्थ 14 सितंबर, 1972 है. इस हिसाब से घटना के वक्त उसकी उम्र 16 साल 2 महीने और 3 दिन की होगी.

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सुप्रीम कोर्ट की सांकेतिक तस्वीर. (क्रेडिट - इंडिया टुडे)

सुप्रीम कोर्ट ने 37 साल पुराने रेप के एक मामले में 53 साल के आरोपी को ‘नाबालिग’ मानते हुए दोषी करार दिया है. दरअसल, अदालत में ये बात साबित हुई कि घटना के वक्त दोषी नाबालिग था. जबकि बीते तीन दशकों में निचली अदालतों में उसकी उम्र को लेकर सुनवाई नहीं हुई. अब दोषी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) के सामने पेश होना होगा जहां उसकी सजा तय होगी.

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मामला राजस्थान के जयपुर का है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, साल 1988 में 11 साल की एक बच्ची स्कूल कैंपस में रेप हुआ था. फरवरी 1993 में अजमेर के कृष्णनगड़ के एडिशनल सेशन जज ने रेप और गलत तरीके से बंधक बनाने का दोषी ठहराते हुए शख्स को सजा सुनाई थी. इसके 31 साल बाद जुलाई 2024 में अजमेर हाई कोर्ट ने भी इस मामले में दोषी की सजा को बरकरार रखा.

इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां इसकी सुनवाई चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की. सुनवाई के दौरान दोषी के वकील ने दलील दी कि दोषी की डेट ऑफ बर्थ 14 सितंबर, 1972 है. इस हिसाब से घटना के वक्त उसकी उम्र 16 साल 2 महीने और 3 दिन की होगी. इस तरह नाबालिग होने के कारण उसकी सजा को बरकरार नहीं रखा जा सकता है.

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इसके अलावा दोषी के वकील ने कोर्ट से मांग की कि उसकी उम्र के निर्धारण के लिए जांच की जाए, ताकि उसे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 और जुवेनाइल जस्टिस नियम 2007 का फायदा मिल सके. 

जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने अजमेर डिस्ट्रिक्ट और सेशन कोर्ट को दोषी के उम्र की जांच के आदेश दिए. इसमें दोषी की उम्र सही पाई गई जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा, "पहले की अदालतों में उम्र का मुद्दा नहीं उठाया गया था, इसलिए मामले के निपटारे के बाद भी किसी भी स्तर पर इस फैसले को मान्यता नहीं दी जा सकती." 

कोर्ट ने निचली अदालत और हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए मामले को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को भेजा दिया. इसके अलावा दोषी को 15 सितंबर 2025 तक बोर्ड के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया है.

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