उद्योगपति संजय कपूर (Sunjay Kapur) के निधन के बाद से उनकी विरासत को लेकर कई तरह की अटकलें चल रही हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर एक बड़े व्यवसायी थे. वो बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन फोर्जिंग्स (Sona Comstar) के चेयरमैन थे. जून महीने में उनकी मौत हो गई. इसके बाद से इस सवाल की चर्चा है कि उनकी विरासत का उत्तराधिकारी कौन होगा.
संजय कपूर की 30,000 करोड़ की संपत्ति किसे मिलेगी? मां और पत्नी में टकराव
उद्योगपति Sunjay Kapur के निधन के बाद से कई विवाद सामने आए हैं. उनकी मां रानी कपूर ने आरोप लगाया कि उनकी पारिवारिक विरासत को हड़पने की कोशिश की जा रही है. इस मामले पर कानूनी जानकारों की राय क्या है?

इस चर्चा को अधिक हवा इसलिए भी मिली है कि अब तक उनकी कानूनी वसीयत को लेकर कोई खबर नहीं आई है. ऐसे में माना जा रहा है कि संजय ने अपनी 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के लिए कोई कानूनी वसीयत नहीं छोड़ी है. इसके कारण ये मसला और भी पेचीदा हो गया है.
उद्योगपति के निधन के बाद से कई विवाद सामने आए हैं. उनकी मां रानी कपूर ने आरोप लगाया कि उनकी पारिवारिक विरासत को हड़पने की कोशिश की जा रही है. इस विवाद में विधवा प्रिया सचदेव कपूर, उनकी बहनें, और यहां तक कि उनकी पूर्व पत्नियों के भी नाम जुड़ रहे हैं.

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, यदि किसी हिंदू पुरुष की बिना वसीयत के मृत्यु हो जाती है, तो उसकी संपत्ति अनुसूची के वर्ग 1 में बताए गए उत्तराधिकारियों को दे दी जाती है. इसके तहत सभी उत्तराधिकारियों को संपत्ति में समान हिस्सा मिलता है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता तुषार कुमार ने इंडिया टुडे ग्रुप को बताया,
इन वर्ग 1 उत्तराधिकारियों में विधवा, सभी बेटे और बेटियां (जैविक या कानून के तहत गोद लिए गए), माता, पूर्व में दिवंगत बच्चों के उत्तराधिकारी शामिल हैं. संपत्ति का बंटवारा, कर्ज, अंतिम संस्कार के खर्च और दूसरी देनदारियों के भुगतान के बाद किया जाता है.
अगर वर्ग 1 में से कोई भी वारिस न हो, तभी वर्ग 2 के उत्तराधिकारी को मान्यता मिलती है. इसमें अग्नेट (पिता की तरफ के रिश्तेदार) और फिर कॉगनेट (मां की तरफ के रिश्तेदार) आते हैं.
तुषार मेहता का कहना है कि यदि संजय कपूर का निधन वास्तव में बिना वसीयत के हुआ है, तो उनकी विधवा, करिश्मा कपूर के साथ पैदा हुए उनके बच्चे, कानूनी रूप से गोद लिए गए उनके सौतेले बच्चे और उनकी मां रानी कपूर, वर्ग 1 के उत्तराधिकारी माने जाएंगे. इन सबके बीच संपत्ति का बराबर बंटवारा होगा.
संजय की मां रानी कपूर ने मजबूती से उत्तराधिकारी के तौर पर अपना दावा पेश किया है. उन्होंने अपने बेटे की मौत पर परिस्थितियों पर सवाल उठाए और सोना कॉमस्टार बोर्ड पर कॉर्पोरेट साजिश के आरोप लगाए हैं. उन्होंने 2015 की एक वसीयत के आधार पर दावा किया है कि संजय की विरासत पर उनका अधिकार है.
रानी कपूर के आरोपों के जवाब में सोना कॉमस्टार ने एक कानूनी नोटिस जारी किया है. उन्होंने मांग की है कि वो तीन दिनों के भीतर अपने ‘झूठे, दुर्भावनापूर्ण और नुकसानदेह’ बयान वापस लें, वरना उनके खिलाफ दीवानी और आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है.

अधिवक्ता तुषार कहते हैं कि यहां मामला पूरी तरह से उस वसीयत की कानूनी मान्यता के ऊपर टिका है, जिसके आधार पर रानी कपूर ने अपना दावा पेश किया है. कोर्ट में उन्हें 2015 वाली वसीयत को वैध साबित करना होगा.
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विधवा प्रिया सचदेव कपूर गैर-कार्यकारी निदेशक बनींसाल 2017 में संजय कपूर ने प्रिया सचदेव कपूर से तीसरी शादी की. उन्होंने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है. उन्हें स्टेकहोल्डर्स के समर्थन से सोना कॉमस्टार का गैर-कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है.
उन्होंने अपने इंस्टाग्राम हैंडल को ‘प्रिया सचदेव कपूर’ से बदलकर ‘प्रिया संजय कपूर’ कर लिया है. उन्होंने अपने बॉयो में लिखा है कि वो अपने दिवंगत पति संजय कपूर के विजन को आगे बढ़ा रही हैं.
Aeddhaas Legal LLP के एडवोकेट और पार्टनर, यथार्थ रोहिला कहते हैं,
अगर संजय कपूर ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है, तो उनकी संपत्ति में उनकी विधवा, जैविक बच्चों और मां को बराबर हिस्सा मिलेगा. सौतेले बच्चों को विरासत तभी मिलती है, जब उन्हें कानूनी तौर पर गोद लिया गया हो.

संजय कपूर की दो बहनें हैं, मंधीरा कपूर और सुपरना मोटवाने. मंधीरा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि चार साल से उनकी और संजय का बातचीत बंद थी. उन्होंने कहा कि उन्हें अफसोस है कि वो आखिरी बार अपने भाई से अपने दिल की बात नहीं कह पाईं.
कानून के हिसाब से (अगर वसीयत न हो) और संजय की पत्नी, मां या बच्चे जिंदा हों, तो बहनों को सीधा हिस्सा नहीं मिलता. क्योंकि वो वर्ग 2 वारिस होती हैं. हां, अगर वसीयत में उनका नाम हो, या संपत्ति ट्रस्ट या संयुक्त स्वामित्व में हो, तो स्थिति बदल सकती है.

संजय कपूर के निधन के पहले ही उनका और करिश्मा कपूर का तलाक हो चुका था. इसलिए कानून के तहत वो उनकी विधवा नहीं मानी जाएंगी. बिना वसीयत के संपत्ति में उनका हक नहीं होगा. अगर वसीयत में या तलाक के समय हुए किसी समझौते में उनका नाम हुआ, तो स्थिति बदल सकती है. इसी तरह संजय की पहली पत्नी नंदिता महतानी का भी संपत्ति पर कोई कानूनी दावा नहीं बनता.
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