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मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पताल के अंदर हर तरफ गायें, गोबर और पेशाब, बेड पर कुत्ता

अस्पताल के वार्ड में मवेशी बिना किसी रोक-टोक के घूम रहे हैं. सबसे चौंकाने वाली तस्वीर तो वो है जिसमें एक कुत्ता मरीजों के लिए रखे गए बेड पर लेटा आराम कर रहा था. न तो कोई डॉक्टर नजर आ रहा है, और न ही सिक्योरिटी गार्ड.

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अस्पताल परिसर में मवेशी इधर-उधर भागते और शोर मचाते दिखाई दे रहे हैं. (फोटो- आजतक)

मध्य प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति एक बार फिर चर्चा में है. यहां के शासकीय अस्पतालों में मरीजों के बजाय आवारा मवेशी और कुत्ते घूमते नजर आ रहे हैं. हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए दो वीडियो इसकी जीती-जागती मिसाल पेश कर रहे हैं. एक तरफ जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक कुत्ता मरीजों के बेड पर आराम फरमा रहा है. वहीं जिला अस्पताल के परिसर में रात के अंधेरे में गाय-बैल धमाचौकड़ी मचा रहे हैं. इन वीडियो ने प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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बेड पर कुत्ता

आजतक से जुड़े हरिओम सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक पहला वीडियो सीधी जिले के रामपुर नैकिन स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है. वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि अस्पताल के वार्ड में मवेशी बिना किसी रोक-टोक के घूम रहे हैं. सबसे चौंकाने वाली तस्वीर तो वो है जिसमें एक कुत्ता मरीजों के लिए रखे गए बेड पर लेटा आराम कर रहा था. न तो कोई डॉक्टर नजर आ रहा है, न कंपाउंडर या नर्स, और न ही सिक्योरिटी गार्ड. पूरा अस्पताल सुनसान पड़ा है.

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कुत्ता मरीजों के लिए रखे गए बेड पर लेटा आराम कर रहा था.
मवेशी परिसर में घूमते दिखे

वहीं, दूसरा वीडियो जिला चिकित्सालय का है. ये वीडियो लगभग एक हफ्ते पुराना बताया जा रहा है. इसमें रात के समय अस्पताल परिसर में मवेशी इधर-उधर भागते और शोर मचाते दिखाई दे रहे हैं. किसी ने साहस दिखाकर ये वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया. देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया. लोग इसे शेयर कर सरकार से तीखे सवाल पूछ रहे हैं.

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मवेशी इधर-उधर भागते और शोर मचाते दिखाई दे रहे हैं.

इन वीडियो के वायरल होते ही सीधी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉक्टर बबीता खरे ने जांच के आदेश दिए. रिपोर्ट के मुताबिक जांच में लापरवाही उजागर हुई भी, लेकिन कार्रवाई महज दिखावटी रही. एक निजी सिक्योरिटी कंपनी के सुरक्षाकर्मी को निलंबित कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया. मामले की न तो कोई बड़ा अधिकारी जिम्मेदारी ले रहा है, न ही इसकी सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

अस्पताल में मरीजों को संक्रमण का खतरा रहता है. सवाल बनता है कि गंदगी और आवारा जानवरों की मौजूदगी से हाइजीन का क्या हाल होगा? स्थानीय लोग इसको लेकर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन खामोश है.

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