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'हाथ पकड़ I Love You कहना लड़की की मर्यादा भंग करना है', ये कहते हुए हाईकोर्ट ने घटा दी सजा

कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के ऑर्डर को बरकरार रखा, लेकिन सजा को 3 साल से घटाकर 1 साल कर दिया.

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ये फैसला जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने दिया. (फोटो- CDJ Law Journal)

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने POCSO एक्ट से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि किसी लड़की का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींचना और ‘I Love You’ कहना IPC के तहत दंडनीय है. कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसा करना लड़की की मर्यादा भंग करना (outraging the modesty) माना जाएगा.

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इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ीं रिचा सहाय की रिपोर्ट के मुताबिक ये फैसला जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने दिया. बेंच एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें एक युवक (जो घटना के समय 19 साल का था) को दोषी ठहराया गया था. उसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और POCSO एक्ट के तहत दोषी मानते हुए 3 साल की सख्त कैद की सजा सुनाई गई थी.

क्या था आरोप?

युवक ने कथित तौर पर स्कूल से लौट रही एक लड़की का हाथ पकड़ा, उसे अपनी ओर खींचा और “आई लव यू” कहा था. कोर्ट ने बताया,

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“इस मामले में आरोपी ने न सिर्फ पीड़िता का हाथ पकड़ा, बल्कि उसे अपनी ओर खींचते हुए ‘आई लव यू’ भी कहा. एक युवा लड़के का ग्रामीण इलाके की किसी भी लड़की के साथ ऐसा व्यवहार बहुत आपत्तिजनक माना जाता है.”

कोर्ट ने आगे कहा,

“इसलिए आरोपी ने जो पीड़िता के साथ किया गया वो IPC की धारा 354 के तहत अपराध है, क्योंकि ये महिला की मर्यादा भंग करने (outraging the modesty) के इरादे से किया गया था.”

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IPC की धारा 354 किसी महिला की शालीनता (मॉडेस्टी) को भंग करने के इरादे से उस पर हमला करने या आपराधिक बल प्रयोग करने की सजा से संबंधित है. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के ऑर्डर को बरकरार रखा, लेकिन सजा को 3 साल से घटाकर 1 साल कर दिया. बेंच ने कहा कि युवक ने पीड़िता का हाथ पकड़ा, उसे खींचा और आई लव यू कहा, पर इसके अलावा कोई और गंभीर या आपत्तिजनक काम नहीं किया था.

मामले में आरोपी वर्तमान में जमानत पर है. इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि वो संबंधित अदालत के समक्ष सरेंडर करे और अपनी बची हुई सजा जेल में काटे.

पीड़िता के नाबालिग होने का सबूत नहीं

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2022 के अपने फैसले में आरोपी को न सिर्फ महिला की मर्यादा भंग करने का दोषी नहीं ठहराया था, बल्कि POCSO एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न का भी दोषी माना था. हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी को POCSO एक्ट के तहत सजा नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि घटना के वक्त पीड़िता के नाबालिग होने का सबूत नहीं मिला है. कोर्ट ने माना कि स्पेशल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 354 (महिला की मर्यादा भंग करना) के तहत दोषी ठहराने में कोई गलती नहीं की है.

घटना के वक्त लड़की अपनी छोटी बहन और दोस्त के साथ स्कूल से घर लौट रही थी. कोर्ट को बताया गया कि उस वक्त लड़की डरकर एक मजार के अंदर चली गई थी. मामले में राज्य की ओर से वकील प्रभा शर्मा ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट का फैसला ठोस और रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर आधारित है. इसलिए उन्होंने अपील खारिज करने की मांग की.

वहीं, आरोपी की ओर से मामले में वकील पुनीत रूपरेल पेश हुए. उन्होंने कहा कि सिर्फ “आई लव यू” बोलना अपने आप में POCSO एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध नहीं बनता. पुनीत ने तर्क दिया कि ये साबित नहीं हो सका कि आरोपी ने पीड़िता का हाथ यौन शोषण के इरादे से पकड़ा था. इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराकर सजा सुनाई.

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