उत्तर प्रदेश के संभल की शाही मस्जिद में रंगाई-पुताई कराने की मंजूरी मिल गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार, 12 मार्च को यह आदेश पारित किया. कोर्ट ने केवल मस्जिद की बाहरी दीवारों पर पुताई करने की इजाजत दी है और कहा है कि यह कार्य बिना किसी ढांचे को नुकसान पहुंचाए किया जाना चाहिए.
संभल की शाही मस्जिद में होगा रंग-रोगन, लेकिन सिर्फ बाहरी दीवारों पर...हाईकोर्ट ने दिया आदेश
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने ये आदेश दिया. कोर्ट ने कमिटी को पूरा काम एक हफ्ते के अंदर पूरा करने को कहा है. कोर्ट ने हिदायत दी है कि पेंटिंग का काम सिर्फ उन्हीं हिस्सों में किया जाना चाहिए जहां ज़रूरत हो. कोर्ट ने कहा कि मस्जिद की बाहरी दीवार पर लाइटिंग भी लगाई जा सकती है लेकिन बिना किसी ढांचे को नुकसान पहुंचाए.

आजतक के मुताबिक, जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने यह आदेश दिया. कोर्ट ने कमेटी को एक हफ्ते के भीतर काम पूरा करने का निर्देश दिया है. साथ ही हिदायत दी है कि पेंटिंग केवल उन्हीं हिस्सों में की जाए, जहां इसकी आवश्यकता हो.
कोर्ट ने यह भी कहा कि मस्जिद की बाहरी दीवार पर लाइटिंग लगाई जा सकती है, लेकिन बिना किसी ढांचे को नुकसान पहुंचाए. मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.
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लाइव लॉ के मुताबिक, सुनवाई के दौरान ASI के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि मस्जिद कमेटी कई वर्षों से मस्जिद में रंगाई-पुताई कराती आ रही है, जिससे इसकी बाहरी दीवारों को नुकसान पहुंचा है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और पूछा कि इतने वर्षों तक ASI के अधिकारियों ने इस पर हस्तक्षेप क्यों नहीं किया?
गौरतलब है कि 27 फरवरी को हाईकोर्ट में इस मामले पर पहली बार सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने रंगाई-पुताई की मांग की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था और कहा था कि कमेटी 24 घंटे के भीतर मस्जिद का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सौंपे.
28 फरवरी को तीन सदस्यीय टीम संभल की शाही जामा मस्जिद पहुंची और डेढ़ घंटे तक निरीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की.
इसके बाद, 10 मार्च को मामले की सुनवाई हुई, जिसमें ASI ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की. रिपोर्ट में कहा गया था कि मस्जिद में रंगाई-पुताई की आवश्यकता नहीं है, हालांकि, साफ-सफाई कराई जा सकती है. इसके बाद अदालत ने सुनवाई को 12 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया था.
अब 12 मार्च को कोर्ट ने रंगाई-पुताई की अनुमति दे दी है.
गौरतलब है कि रमज़ान शुरू होने से पहले मस्जिद कमेटी ने ASI और प्रशासन से जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई की अनुमति मांगी थी, लेकिन ASI ने इसकी इजाज़त देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया. इस पर हिंदू पक्ष ने विरोध दर्ज कराया. हिंदू पक्ष का कहना था कि रंगाई-पुताई के बहाने मस्जिद के मूल निर्माण में छेड़छाड़ की जा सकती है.
संभल मस्जिद विवाद क्या हैकुछ महीने पहले संभल की जिला अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया कि संभल की शाही जामा मस्जिद एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई है. अदालत ने 19 नवंबर को याचिका स्वीकार कर ली थी. इन याचिकाओं में मस्जिद में प्रवेश की अनुमति मांगी गई है.
याचिकाकर्ताओं की दलील है कि मुगल शासक बाबर ने 1526 में एक हिंदू मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण करवाया था. इसी मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद जारी है.
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