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इलाज के लिए पैसों का इंतजाम कर रही थी पत्नी, ICU से भागता हुआ बाहर आया पति बोला- बांध रखा था

Ratlam के GD Hospital में एक मरीज को भर्ती कराया गया था. उनकी पत्नी को कहा गया कि मरीज कोमा में है और उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई है. पत्नी ने पैसों का इंतजाम किया. लेकिन अस्पताल ने जिस मरीज की हालत गंभीर बताई थी, वो अपने पैरों पर चलकर आईसीयू से बाहर निकला. अस्पताल पर पैसों के लिए ठगी करने के आरोप लगे हैं.

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मरीज अपने पैरों पर चलकर अस्पताल से बाहर निकला. (तस्वीर: इंडिया टुडे)
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रवीश पाल सिंह

मध्य प्रदेश का रतलाम जिला. 80 फीट रोड पर जीडी हॉस्पिटल (GD Hospital Ratlam) नाम का एक अस्पताल है. बंटी निनामा नाम के एक मरीज को यहां के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने बंटी की पत्नी लक्ष्मी निनामा को बताया कि उनकी हालत खराब है और आगे के इलाज के लिए अस्पताल (Ratlam Hospital ICU) में पैसे जमा कराने होंगे. लक्ष्मी ने किसी तरह एक लाख रुपये का इंतजाम किया और अस्पताल पहुंचीं. लेकिन लोग उस वक्त चौंक गए जब बंटी आईसीयू से अपने पैरों पर चलकर बाहर निकले और कहा कि हॉस्पिटल वालों ने उनको बंधक बना रखा था.

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मामला 3 मार्च की दोपहर का है. सुर्खियां तब बनीं जब सोशल मीडिया पर बंटी का वीडियो वायरल हुआ. इस वीडियो में बंटी अर्धनग्न अवस्था में हैं. उनके हाथ में टॉयलेट बैग है और नाक में नली लगी हुई है. बंटी ने आरोप लगाया कि अस्पताल वालों ने आईसीयू में उनके हाथ-पैर रस्सी से बांध रखे थे. हंगामा बढ़ने पर मौके पर पुलिस पहुंची.

आपसी मारपीट में लगी चोट

दीनदयाल थाने से मिली जानकारी के मुताबिक, 2 मार्च की रात को मोती नगर में एक विवाद हुआ था. एक धार्मिक स्थल के पास राजेश डिंडोर और दिलीप सिंगाड़ के बीच विवाद हुआ. दोनों पक्ष के लोग आमने-सामने आ गए. राजेश डिंडोर ने आकाश गामड़, किशन अमलियार, दिलीप सिंगाड़, नंदू मईडा, करण नायक और दिनेश भूरिया के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी. वहीं दूसरी तरफ, दिलीप सिंगाड़ ने बंटी निनामा, सावन, सोनू समेत एक अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया. विवाद में लाठी और पत्थर भी चले थे. इसके कारण बंटी को चोट लगी थी.

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"मरीज कोमा में है, रीढ़ की हड्डी टूट गई है..."

लक्ष्मी निनामा ने बताया कि उनके पति को पहले मेडिकल कॉलेज में ले जाया गया. डॉक्टरों ने उनको इंदौर रेफर कर दिया. लेकिन देरी हो जाने के कारण उन्होंने बंटी को रतलाम के इस प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया. बकौल लक्ष्मी,

मुझे बताया गया कि मरीज की हालत गंभीर है. हमसे पहले ही रुपये जमा करवा लिए गए थे. हॉस्पिटल ने कहा कि मरीज कोमा में जा चुका है. बचाने की कोशिश की जा रही है. रीढ़ की हड्डी टूट गई है और बोल भी नहीं पा रहा है. मैं हॉस्पिटल से निकली और पैसों का इंतजाम करने लगी. रिश्तेदारों से किसी तरह एक लाख रुपये जमा किए. अस्पताल पहुंची तो सीटी स्कैन हो चुका था. सीधे आईसीयू में गई. वहां देखा कि डॉक्टर लोग मेरे पति को दबा रहे थे और उनके हाथ बंधे हुए थे. मैंने सोचा कि मेरे पति शायद होश में नहीं हैं और हाथ फेंक रहे होंगे इधर-उधर. इसलिए बांध दिया होगा. 

बंटी जब किसी तरह आईसीयू से निकला तो उसने अपनी पत्नी को कुछ और ही बताया. उसने कहा,

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मेरे पति ने कहा कि मैं तो कब का होश में आ गया था और तुमसे मिलना चाह रहा था. लेकिन मिलने ही नहीं दे रहे थे. ये लोग मेरे साथ गलत बर्ताव कर रहे थे.

लक्ष्मी निनामा ने बताया कि बाद में उन्होंने हंगामा किया. फिर पुलिस वहां पहुंची. उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरों में देखा जा सकता है कि किसी ने उनकी मदद नहीं की. वो चाहती हैं कि हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई हो और उन्हें न्याय मिले.

“पत्नी से पैसे मांगे”

पीड़ित बंटी निनामा ने इस पूरे मामले पर कहा,

जैसे ही मैं बेहोशी से बाहर आया तो परिवार से मिलने का आग्रह किया. लेकिन नहीं मिलने दिया. एक महिला ने मुझे दो ऑप्शन दिए. या तो डॉक्टर से मिलवा दूं या परिवार वालों से. मैंने कहा कि फैमिली वालों से मिलवाओ. लेकिन एक डॉक्टर आया और उसने चिल्लाना शुरू कर दिया. उसने कहा कि तुमको कहीं नहीं निकलना है, यहीं रहो. मेरे हाथ-पैर बांध दिए थे. उन सबने मेरे साथ जबरदस्ती की. मेरा किसी से झगड़ा हुआ था, जिसमें मुझे सिर पर पत्थर से चोट लगी थी. मैं एक दिन बेहोश रहा था. मेरे पास कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं आया. मैं खुद कलेक्टर ऑफिस गया था शिकायत करने. 

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अस्पताल की सफाई

जीडी हॉस्पिटल के मैनेजर नंदकिशोर पाटीदार ने इस बात को स्वीकार किया कि मरीज को बांध कर रखा गया था. उन्होंने बताया,

मरीज सुबह 10:00 बजे बेहोशी की हालत में आया था. इसका जो विवाद हुआ था, उस मामले में दीनदयाल थाने से इसका बयान लेने के लिएृ पुलिसकर्मी आए थे. लेकिन बेहोशी के कारण बयान नहीं हो सका. लगभग 12:45 बजे मरीज उठा और कहने लगा कि मुझे बांध के क्यों रखा है. बांध के इसलिए रखा था कि कहीं वो खुद को नुकसान न पहुंचा ले. डॉक्टर उसको समझा पाते, उससे पहले ही वो स्टाफ के साथ गाली-गलौज करने लगा. उसने कैंची उठा ली और हमला करने की कोशिश की. इसके बाद वो अस्पताल से बाहर चला गया. बाहर जाकर माहौल बनाने लगा. शायद उसको पेमेंट का कोई प्रॉब्लम था. ऐसा लगता है कि ये कोई सोची समझी साजिश है. अस्पताल में उसने 18 हजार रुपये जमा कराए थे. बिल बना था 6,920 रूपये का. हमने उसके परिजनों को कई बार कहा कि बचा हुआ पैसा वापस ले जाएं लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है.

अस्पताल के खिलाफ एक्शन…

 आशीष चौरसिया, रतलाम स्वास्थ विभाग में ‘मीडिया प्रभारी एवं जिला विस्तार अधिकारी’ हैं. उन्होंने बताया.

सोशल मीडिया से इस बारे में जानकारी मिली. चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर (CMHO) ने जांच के लिए तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई है. हमने शिकायतकर्ता, उसकी पत्नी और अन्य के बयान लिए हैं. अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज जमा कर लिए गए हैं. अस्पताल प्रबंधन के कर्मचारी और प्रबंधन के लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं. अस्पताल प्रबंधन इसमें दोषी पाया जाता है तो नर्सिंग होम अधिनियम के तहत उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.

कमेटी जांच के लिए अस्पताल पहुंची थी. 

उप मुख्यमंत्री तक पहुंचा मामला

मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है,

पता लगाया जा रहा कि आरोपों में कितनी सच्चाई है और अस्पताल की क्या गलती है. कार्रवाई के लिए तो कानून में प्रावधान है लेकिन शर्त है कि एक बार ये तय हो जाए कि दोषी कौन है. रिपोर्ट आने तक हम सबको इंतजार करना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि जांच के बाद अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो ये गंभीर मामला है. इस प्रकार की गलतियों को किसी भी प्रकार से माफ नहीं किया जा सकता है.

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