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सावरकर मानहानि केस: कोर्ट ने राहुल गांधी को क्या सख्त हिदायत दे दी?

Savarkar Defamation Case: राहुल गांधी की अर्जी में कुछ ऐसी बातें थीं, जिस पर शिकायतकर्ता सात्यकी सावरकर के वकील ने ऐतराज जताया. इसी मामले में कोर्ट ने Rahul Gandhi को सख्त निर्देश दिया.

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पुणे की कोर्ट में सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी आरोपी हैं. (PTI)
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विद्या

पुणे की एक अदालत ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सख्त हिदायत दी है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि राहुल गांधी ऐसे कोर्ट ऑर्डर पर कोई कॉमेंट नहीं करेंगे, जो फाइनल हो गया है या जिसे उन्होंने चुनौती नहीं दी है. कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि राहुल गांधी ने अपनी हालिया अर्जी में एक ऐसे समन ऑर्डर पर टिप्पणी की, जिसे उन्होंने ना तो कबूला और ना ही चुनौती दी.

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हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के परपोते सात्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया हुआ है. मामला सुनने के बाद कोर्ट ने कार्यवाही शुरू की थी और राहुल को समन जारी किया था. इसी मामले में पुणे की अदालत ने कांग्रेस सांसद के लिए कोर्ट ऑर्डर पर टिप्पणी ना करने का आदेश जारी किया.

इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक, सात्यकी सावरकर ने अपने वकील संग्राम कोल्हटकर के जरिए राहुल गांधी की तरफ से दाखिल अर्जी के दो पैराग्राफों पर सफाई मांगी थी. इस पर 2 दिसंबर को फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अमोल श्रीराम शिंदे ने आदेश दिया,

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"इस कोर्ट का मानना ​​है कि अगर आरोपी (राहुल गांधी) को समन ऑर्डर जारी होने से कोई शिकायत है, तो उन्हें इसे उचित कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए. लेकिन, वह उस ऑर्डर पर कोई कॉमेंट नहीं कर सकते, जिसे उन्होंने चुनौती नहीं दी है. या तो उन्हें ऑर्डर मानना ​​होगा या उस आदेश को उचित अदालत में चुनौती देनी होगी. इसलिए, यह कोर्ट निर्देश देता है कि आरोपी किसी भी ऐसे ऑर्डर पर कोई कॉमेंट नहीं करेंगे जो फाइनल हो गया है या जिसे चुनौती नहीं दी गई है. इसलिए, इस एप्लिकेशन को ऊपर दिए गए निर्देश के अनुसार निपटाया जाता है."

Rahul Gandhi Defamation
कोर्ट ऑर्डर. (ITG)

हाल ही में सात्यकी सावरकर के एग्जामिनेशन के दौरान कोर्ट में राहुल गांधी के भाषण के वीडियो वाली एक CD चलाई गई. इसे पहले मजिस्ट्रेट देख चुके थे. कोर्ट में सीलबंद CD लाई तो गई, लेकिन वो चली नहीं, ब्लैंक निकली. इस पर सात्यकी के वकील संग्राम कोल्हटकर ने सुनवाई स्थगित करने की गुजारिश की. उन्होंने कोर्ट से एक न्यायिक जांच की भी मांग की, ताकि पता लगाया जा सके कि जिस CD में पहले वीडियो था, वो खाली कैसे निकली.

वहीं राहुल गांधी के वकील मिलिंद पवार ने सावरकर की सुनवाई टालने की अर्जी का विरोध किया. उनकी मांग के खिलाफ मिलिंद पवार ने कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल किया. इसी जवाब में कुछ ऐसी बातें थीं, जिन पर कोल्हटकर ने ऐतराज जताया. उन्होंने राहुल गांधी पर 'कोर्ट पर इल्जाम' लगाने का आरोप लगा दिया. बाद में उन्होंने राहुल की 27 नवंबर की अर्जी के दो पैराग्राफ पर सफाई मांगने के लिए एक अर्जी दी.

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इस अर्जी में सात्यकी सावरकर के वकील ने कहा,

"आरोपी (राहुल गांधी) की दाखिल अर्जी के पैरा नंबर 11 और 13 में दिए गए तर्क गंभीर हैं और शिकायतकर्ता (सात्यकी सावरकर) के व्यवहार पर कीचड़ उछालते हैं. इससे निष्पक्ष न्यायपालिका व्यवस्था के काम करने पर भी कुछ शक होता है. पैरा नंबर 11 में कहा गया है कि इस माननीय कोर्ट के सामने शिकायतकर्ता बिना किसी ठोस सबूत के आरोपी के खिलाफ समन जारी करने का ऑर्डर पाने में कामयाब रहा. आरोप बेबुनियाद हैं. आरोपी ने कोर्ट के काम करने के तरीके पर गंभीर शक जताया है. इस कोर्ट के पहले के जज ने सभी सबूतों का विश्लेषण करने के बाद आरोपी के खिलाफ कार्यवाही शुरू की. इसलिए, शिकायतकर्ता ने आरोपी से सफाई मांगने की गुजारिश की है."

इस पर राहुल के वकील ने जवाब दिया कि ऐसा कोई कानूनी नियम नहीं है जिससे कोर्ट किसी आरोपी से ऐसी सफाई मांग सके. उन्होंने सावरकर की अर्जी को ‘देरी करने का हथकंडा’ भी बताया. मिलिंद पवार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के उन निर्देशों का भी हवाला दिया, जिनमें सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों को जल्दी निपटाने के लिए कहा गया था.

दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने सावरकर की अर्जी का निपटारा किया. इसमें कोर्ट ने राहुल गांधी को कोर्ट ऑर्डर मानने या उन्हें चुनौती देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर उन्होंने कोर्ट ऑर्डर को ना तो माना और ना ही चुनौती दी, तो वे इस पर कोई टिप्पणी भी नहीं करेंगे.

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