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गुजरात की यूनिवर्सिटी पीएम मोदी, सावरकर का कहा और लिखा पढ़ाएगी: रिपोर्ट

कोर्स के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पुस्तक ‘ज्योतिपुंज’ और विनायक दामोदर सावरकर की किताब ‘इनसाइड द एनिमी कैंप’ को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई हिंदू विचारकों की रचनाओं को कोर्स में शामिल किया गया है. (India Today)

गुजरात के वडोदरा की महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (MSU) में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत शुरू किए गए नए बीए (अंग्रेज़ी) माइनर कोर्स में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर की रचनाओं को शामिल किया गया है. यह जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार प्रशांत रूपेरा की रिपोर्ट में सामने आई है.

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MSU के अंग्रेज़ी विभाग ने इस नए कोर्स का नाम “एनालाइजिंग एंड अंडरस्टैंडिंग नॉन-फिक्शनल राइटिंग्स ऑन भारत” रखा है. इस कोर्स के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पुस्तक ‘ज्योतिपुंज’ और विनायक दामोदर सावरकर की किताब ‘इनसाइड द एनिमी कैंप’ को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. यह कोर्स शैक्षणिक सत्र 2025–26 से लागू किया गया है.

इस पाठ्यक्रम में केवल इन दो लेखकों की रचनाएं ही नहीं, बल्कि अन्य प्रमुख भारतीय विचारकों के लेखन भी शामिल किए गए हैं. इनमें श्री अरबिंदो, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के लेख, स्वामी विवेकानंद के विचार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के चुनिंदा अंश भी पढ़ाए जाएंगे.

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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में छपे MSU के अंग्रेज़ी विभाग के प्रमुख और भाषा व साहित्य अध्ययन बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर हितेश डी. रविया के बयान के मुताबिक यह पाठ्यक्रम एक सोच-समझकर किया गया अकादमिक प्रयास है. उन्होंने अखबार से कहा,  

इसका उद्देश्य अंग्रेज़ी साहित्य की पढ़ाई को भारत के राष्ट्रीय सरोकारों से जोड़ना है. अब तक अंग्रेज़ी की पढ़ाई ज़्यादातर पश्चिमी या औपनिवेशिक लेखन तक सीमित रही है, लेकिन यह नया पाठ्यक्रम भारतीय चिंतन, विचारधारा और लेखन को केंद्र में लाने की कोशिश करता है.

प्रोफेसर रविया ने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री के उस विचार को आगे बढ़ाती है, जिसमें उन्होंने शिक्षा के “औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति” की बात कही है. उनका कहना था कि इस कोर्स के ज़रिये छात्रों को भारतीय विचारकों, नेताओं और समाज सुधारकों के लेखन को अंग्रेज़ी भाषा के माध्यम से समझने और विश्लेषण करने का अवसर मिलेगा.

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विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, इस कोर्स का उद्देश्य केवल साहित्य पढ़ाना नहीं है, बल्कि यह दिखाना है कि भारतीय विचार, दर्शन और चिंतन भी वैश्विक विमर्श का हिस्सा बन सकते हैं. प्रशासन का कहना है कि इस पहल से छात्रों को भारतीय दृष्टिकोण से सोचने और लिखने की क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी.

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