ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) की कीमत कितनी है? एक स्टैंडर्ड वेरिएंट को देखें तो ये मिसाइल लगभग 30 करोड़ रुपये की है. किसी देश को भारत से एक ब्रह्मोस खरीदनी हो तो उसे 30 करोड़ देने होंगे. लेकिन एक देश ऐसा भी है जिसे भारत फ्री में ब्रह्मोस डिलीवर करता है. ये देश है प्यारा पड़ोसी पाकिस्तान. ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के 11 एयरबेसेज को तबाह कर दिया. कई ठिकानों पर तो दिसंबर तक मरम्मत जारी है. लेकिन मई 2025 में जो ब्रह्मोस की फ्री डिलीवरी हुई, उसका वादा भारत ने उनसे बहुत पहले कर दिया था. और ये वादा खुद 'ब्रह्मोस के जनक' (Father Of Brahmos) डॉ ए सिवाथनु पिल्लई (Dr A Sivathanu Pillai) ने किया था. यानी एक बात तो साबित हो गई कि भारत वादे का पक्का देश है. तो जानते हैं, कब हुआ था ये वादा.
"पाकिस्तान को ब्रह्मोस की फ्री होम डिलीवरी", पाक जनरल को किया वादा ऑपरेशन सिंदूर में पूरा हुआ
Brahmos Missile प्रोजेक्ट के सीईओ Dr A Sivathanu Pillai के मुताबिक पाकिस्तानी अधिकारी Brahmos में काफी दिलचस्पी ले रहे थे. डॉ पिल्लई ने उन्हें टेस्ट से लेकर बाकी सभी चीजों की जानकारी दी. उन्होंने पाकिस्तानी दल को मैक 3 रफ्तार के बारे में बताया. ये बातें सुन कर पाकिस्तानी इसमें और भी इंट्रेस्ट लेने लगे. निश्चित तौर पर वो मिसाइल से काफी प्रभावित थे.


ऑपरेशन सिंदूर के बाद डिफेंस एक्सपर्ट संदीप उन्नीथन ने अपने The Sandeep Unnithan Show में Brahmos Aerospace के पूर्व MD डॉ ए सिवथानु पिल्लई से बात की थी. इस पॉडकास्ट में ऑपरेशन सिंदूर, उसमें ब्रह्मोस के इस्तेमाल और इस मिसाइल से जुड़े कई किस्सों पर बात हुई. इसी दौरान Dr Pillai ने एक किस्से का जिक्र किया जब उनकी मुलाकात पाकिस्तानी अधिकारियों से हुई थी. इस दौरान पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनसे पूछा था कि मिडिल-ईस्ट के देशों को भी भारत ब्रह्मोस देने की बात कर रहा है. क्या भारत कभी पाकिस्तान को भी ये मिसाइल देगा?
डॉ पिल्लई बताते हैं कि ब्रह्मोस की सफलता के बाद हमने (भारत ने) पूरी दुनिया को ये बताया कि हमारे पास एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है. इसमें किसी भी तरह के झिझक की बात ही नहीं थी. फिर मौका आया संयुक्त अरब अमीरात स्थित अबु धाबी में एक डिफेंस एक्जिबिशन का. इस तरह के एक्जिबिशन में हथियार कंपनियां अपने बनाए हथियार दिखाती हैं. मकसद होता है, इनके लिए डील्स को आकर्षित करना. अबु धाबी के एक्जिबिशन में ब्रह्मोस एयरोस्पेस की ओर से डॉ पिल्लई भी मौजूद थे. वो बताते हैं,
लगभग 10-15 साल पहले उस एक्जिबिशन में हमने ब्रह्मोस का एक मॉडल प्रदर्शित किया. कई लोग उसे देखने आए. UAE के राष्ट्रपति भी हमारे मॉडल को देखने आए. उन्होंने इसमें काफी दिलचस्पी भी दिखाई और मैंने उन्हें बाकी फीचर्स की भी जानकारी दी. इसके बाद पाकिस्तानी टीम आई.
डॉ पिल्लई आगे बताते हैं,
पाकिस्तानी दल का नेतृत्व एक मेजर जनरल रैंक के अधिकारी कर रहे थे. उनके साथ एयरफोर्स और के ऑफिसर भी थे. इस दल में से 4 हमारे पास आए और मिसाइल के में पूछा.
बकौल डॉ पिल्लई, पाकिस्तानी अधिकारी ब्रह्मोस में काफी दिलचस्पी ले रहे थे. डॉ पिल्लई ने उन्हें टेस्ट से लेकर बाकी सभी चीजों की जानकारी दी. उन्होंने पाकिस्तानी दल को मैक 3 रफ्तार के बारे में बताया. ये बातें सुन कर पाकिस्तानी इसमें और भी इंट्रेस्ट लेने लगे. निश्चित तौर पर वो मिसाइल से काफी प्रभावित थे. उन्होंने डॉ पिल्लई से पूछा,
क्या आप इसे मिडिल-ईस्ट देशों को बेचना चाहते हैं?
इस पर डॉ पिल्लई ने कहा कि बेशक भारत इसे मिडिल-ईस्ट देशों को बेचना चाहता है. इसलिए वो यहां आए हैं. इसपर पाकिस्तानी अधिकारी ने पूछा,
क्या आप इसे पाकिस्तान को बेचेंगे?
इसपर डॉ पिल्लई ने उन्हें जवाब देते हुए कहा,
सर, पाकिस्तान के लिए ब्रह्मोस की डिलीवरी फ्री है.
ये जवाब सुनते ही पाकिस्तानी अधिकारी झेंप गए. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि डॉ पिल्लई इस तरीके का जवाब दे सकते हैं. लिहाजा बिना एक पल की देरी किए बिना वो वहां से तुरंत निकल गए.
पाकिस्तान को मिली थी फ्री डिलीवरीब्रह्मोस, एक ऐसा हथियार है जिसने हर मोर्चे पर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है. इंस्टाग्राम की दुनिया में तो ब्रह्मोस को लेकर मीम तक चलते हैं. लिखा जाता है, When Diplomacy Takes Too Long, Brahmos is the Solution. यानी जब कूटनीति से काम न बने, तब ब्रह्मोस काम आती है. भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के लिए तो इसका नाम भी बुरे सपने जैसा है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने इसका इस्तेमाल कर पाकिस्तानी एयरबेसेज को 'धुंआ-धुंआ' कर दिया. ये खुद पाकिस्तानी पीएम ने कबूला लिया था. मई 2025 के आखिरी सप्ताह में शहबाज शरीफ अजरबैजान में थे. वहां उन्होंने कहा था,
9-10 मई की रात को, हमने भारतीय हमले का सोच-समझकर जवाब देने का फैसला किया. हमारी सेना सुबह की नमाज के बाद सबक सिखाने के लिए तैयार थी. लेकिन वह समय आने से पहले ही, भारत ने एक बार फिर ब्रह्मोस मिसाइल से हमला कर दिया, जिसमें रावलपिंडी के एयरपोर्ट समेत पाकिस्तान के कई इलाकों को निशाना बनाया गया.
रावलपिंडी में पाकिस्तान आर्मी हेडक्वार्टर से कुछ ही दूरी पर मौजूद एयरबेस में लॉकहीड C-130 हरक्यूलिस और इल्यूशिन Il-78 रिफ्यूलर जैसे टॉप मिलिट्री एयरक्राफ्ट रहते हैं. सैटेलाइट तस्वीरों के एनालिसिस से पता चला कि कम से कम दो मिलिट्री ट्रांसपोर्ट गाड़ियों को नुकसान हुआ था. नूर खान के अलावा, भारत ने रफीकी, मुरीद, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियां में भी पाकिस्तानी मिलिट्री बेस पर हमला किया. स्कार्दू, भोलाड़ी, जैकोबाबाद और सरगोधा के एयरबेस को भी काफी नुकसान हुआ.
सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया था कि भारत ने Su-30MKI फाइटर जेट से एयरबेस पर सटीक हमले के लिए लगभग 15 ब्रह्मोस मिसाइलें लॉन्च कीं. इनकी पुष्टि सैटेलाइट तस्वीरों से भी हुई. ब्रह्मोस मिसाइल्स 'फायर एंड फॉरगेट' मिसाइलों ने मिलिट्री ठिकानों पर हमला करते समय पाकिस्तान के चीनी मूल के एयर डिफेंस सिस्टम को भी चकमा दिया. रूस के साथ मिलकर बनाई गई ये मिसाइलें 300 किमी दूर तक के टारगेट पर हमला कर सकती हैं.
वीडियो: ब्रह्मोस का खौफ...पाकिस्तानी PM के स्पेशल एडवाइजर ने बताया क्या हालत हुई थी
















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