गुरु पर्व मनाने के इरादे से पाकिस्तान गए कुछ भारतीय तीर्थयात्रियों को वापस लौटा दिया गया. पाकिस्तानी अधिकारियों ने 5 नवंबर को 12 भारतीय तीर्थयात्रियों को वापस भेज दिया. वजह उनका धर्म बताया जा रहा है. दावा है कि हिंदू होने की वजह से उन्हें आगे यात्रा नहीं करने दी गई. ये लोग गुरु नानक देव जी की जयंती मनाने के लिए सिख जत्थे के हिस्से के रूप में यात्रा कर रहे थे. पहलगाम हमले के बाद सेना की तरफ से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद ये पहला जत्था है, जो भारत से पाकिस्तान जा रहा है.
गुरु पर्व मनाने पाकिस्तान गए हिंदुओं के साथ बुरा हुआ, 'तुम क्या करोगे' बोल वापस भेजा गया
Pakistan Turns Away 12 Pilgrims: एक यात्री ने आरोप लगाया कि उनसे यात्रा के लिए लिया गया बस किराया भी वापस नहीं किया गया.


इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, इस सालाना तीर्थयात्रा के लिए 1,932 श्रद्धालुओं को भेजा गया है. मंगलवार, 4 नवंबर को जत्था अटारी-वाघा सीमा पार करके पाकिस्तान पहुंचा था. हालांकि, 12 हिंदू तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान की ओर से मौजूद इमिग्रेशन काउंटर्स पर रोक दिया गया. फिर उन्हें एंट्री देने से इनकार कर दिया गया. जबकि शुरुआत में उन्हें सीमा पार करने की मंजूरी दी गई थी.
'वापस भेज दिया गया, क्योंकि हम हिंदू थे'वापस भेजे गए लोगों में से एक अमर चंद ने इंडिया टुडे से बात की. उन्होंने कहा,
हम सिख जत्थे का हिस्सा थे और तीर्थयात्रा पर जाना चाहते थे. लेकिन हमें सिर्फ इसलिए वापस भेज दिया गया, क्योंकि हम हिंदू हैं. पाकिस्तानी अधिकारी ने हमसे कहा- 'इस जत्थे में तुम क्या करोगे?'
अमर चंद पहले पाकिस्तानी नागरिक थे. उन्होंने 2017 में भारतीय नागरिकता हासिल की थी. उनका आरोप है कि तीर्थयात्रियों से यात्रा के लिए लिया गया बस किराया भी वापस नहीं किया गया. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान ने हमें लूटा.’
रिपोर्ट के मुताबिक, अमृतसर में भारतीय अधिकारियों ने घटना की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि सभी 12 लोग भारत लौट आए हैं. सूत्रों के अनुसार, हिंदू तीर्थयात्रियों के पासपोर्ट पर इमिग्रेशन स्टैम्प्स लगे थे. इससे पता चलता है कि उन्हें पहले प्रवेश की अनुमति दी गई थी. लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनकी अनुमति रद्द कर दी.
5 नवंबर को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की 556वीं जयंती मनाई जा रही है. ये जयंती पाकिस्तान में मौजूद गुरु नानक के जन्मस्थान ननकाना साहिब में भी बड़े स्तर पर मनाई जाती है. इसी के लिए भारतीयों का जत्था 4 नवंबर को वाघा बॉर्डर के रास्ते रवाना हुआ. ये लोग 13 नवंबर को वापस लौटेंगे. ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पाकिस्तान की यात्रा करने की अनुमति पाने वाला ये पहला जत्था है.
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