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मणिपुर: कुकी-जो काउंसिल ने हाईवे पर नाकाबंदी खत्म की, लेकिन 'फ्री मूवमेंट' का विरोध जारी

Manipur: Kuki-Zo काउंसिल का कहना है कि भले ही उन्होंने नेशनल हाईवे बंद करने का फैसला वापस ले लिया है, लेकिन 'फ्री मूवमेंट' का विरोध जारी रहेगा. कुकी-जो समुदाय ने इंसाफ और एक अलग राजनीतिक प्रशासन की मांग की है.

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8 मार्च से मणिपुर में फ्री मूवमेंट चालू करने का एलान हुआ था. (PTI)

मणिपुर में कुकी-जो काउंसिल (KZC) ने नेशनल हाईवे की अनिश्चितकालीन नाकाबंदी को आधिकारिक तौर पर वापस लेने का फैसला किया है. गुरुवार (13 मार्च) को कुकी-जो काउंसिल की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि बंद को खत्म करने का फैसला काफी सोच-समझकर किया गया है. इसके तहत राज्य के पहाड़ी जिलों से गुजरने वाले नेशनल हाईवे को कमर्शियल गाड़ियों के लिए खोल दिया गया है. हालांकि, काउंसिल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 'फ्री मूवमेंट' (Manipur Free Movement) संबंधी आदेश का विरोध करना जारी रखेगी.

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दरअसल, अमित शाह ने आदेश दिया था कि 8 मार्च से मणिपुर में 'फ्री मूवमेंट' शुरू किया जाएगा. इसके तहत मैतई और कुकी बहुल क्षेत्रों समेत राज्य के सभी रास्तों पर बेरोकटोक आवाजाही शुरू की जानी थी. कुकी-जो समुदाय ने इस फैसले का विरोध जताया और प्रदर्शन किया.

दी हिंदु की रिपोर्ट के मुताबिक, 8 मार्च को हिंसक झड़प के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी. मृतक प्रदर्शनकारी के अंतिम संस्कार के बाद ही कुकी-जो काउंसिल ने नेशनल हाईवे खोलने का कदम उठाया है. गुरुवार की शाम से NH-2 और NH-37 पर कमर्शियल गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गई.

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कुकी-जो काउंसिल ने एक बयान में कहा,

हालांकि, शटडाउन हटा लिया गया है, लेकिन गृह मंत्रालय ने जो 'फ्री मूवमेंट' घोषित किया है, कुकी-जो लोग उसका कड़ा विरोध करते रहेंगे, क्योंकि यह न्याय प्रक्रिया को कमतर और कमजोर बनाता है.

कुकी-जो काउंसिल ने राज्य के पहाड़ी जिलों के लिए अलग प्रशासन के मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया है. हालांकि दौरे पर आए केंद्र सरकार के अधिकारियों ने 11 मार्च को चुराचांदपुर में कुकी-जो निकायों के साथ बैठक के दौरान दोहराया कि ऐसा कदम स्वीकार्य नहीं है.

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दरअसल, कुकी-जो प्रदर्शनकारी लालगौथांग सिंगसिट की 8 मार्च को उस समय हत्या कर दी गई, जब कांगपोकपी जिले में कुकी-जो लोगों की केंद्रीय सुरक्षा बल के साथ झड़प हुई थी. केंद्रीय बल नेशनल हाईवे पर सभी गाड़ियों की मुक्त आवाजाही की इजाजत देने के फैसले को लागू करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. सिंगसिट की मौत के बाद से कुकी-जो प्रदर्शनकारियों ने कमर्शियल गाड़ियों की आवाजाही भी रोक दी थी. लंबे समय तक नाकाबंदी से मैतेई बहुल घाटी जिलों में जरूरी चीजों की सप्लाई प्रभावित होती.

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