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मरीजों का खाना गायों के चारे से भी सस्ता, मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों का सच खुला

मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के खाने पर सिर्फ 33 रुपये रोज खर्च किए जा रहे हैं. जबकि यहां सरकारी गोशाला में एक दिन के चारे पर 40 रुपये और जेल में कैदियों के खाने पर 70 रुपये रोज खर्च किए जाते हैं.

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मरीजों ने खराब खाने का वीडियो वायरल कर दिया था (FB)

मध्यप्रदेश की सरकार कथित तौर पर अपने यहां मरीजों के खाने पर गाय के चारे से भी कम पैसा खर्च कर रही है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है. इसमें बताया गया है कि मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के एक दिन के खाने पर सिर्फ 33 रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इसमें सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक का खर्चा शामिल है. चौंकाने वाली बात ये है कि सरकारी गोशाला में एक गाय पर भी चारे के लिए 40 रुपये रोज खर्च हो रहा है. वहीं, जेल के कैदियों को रोज 75 रुपये का खाना मिल रहा है.

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रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार एक मरीज के खाने के लिए आधिकारिक तौर पर अधिकतम 48 रुपये रोज देती है, लेकिन लोगों का कहना है कि ज्यादातर अस्पतालों में यह खर्च 40 रुपये से भी कम है. जिला अस्पतालों का आधिकारिक डाइट चार्ट कहता है कि मरीजों को नाश्ते में दलिया, पोहा, केला, उपमा और 250 मिली दूध मिलना चाहिए. दोपहर के खाने में सलाद, चार रोटियां, हरी सब्जी, दाल और चावल, रात के खाने में रोटी-सब्जी और दाल के अलावा शाम को चाय और बिस्किट भी मिलने चाहिए.

लेकिन मिलता क्या है?

रिपोर्ट में भोपाल के जय प्रकाश (जेपी) अस्पताल में मिलने वाले एक दिन के खाने का जिक्र है. इसके मुताबिक, यहां मरीजों को दोपहर के खाने में सब्जी, बहुत पतली हरी दाल, आधा कटोरा चावल, चार रोटियां और खीरे के दो टुकड़े एक थाली में दिए जा रहे हैं. मैटर्निटी वार्ड की महिलाओं को खाने के साथ दो केले और दो लड्डू एक्स्ट्रा मिल जाते हैं. ये सुविधा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत दी जाती है, जिस पर सरकार 40 रुपये प्रति मरीज रोज खर्च करती है. लेकिन जमीन पर हालत जुदा है.

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जेपी अस्पताल में कैंटीन चलाने वाली मुमताज बेगम बताती हैं कि उन्हें 33 रुपये रोज के हिसाब से मरीजों को खाना देना पड़ता है. इसी से कैंटीन के स्टाफ को सैलरी भी देनी होती है. 

मरीजों ने वीडियो किया वायरल

प्रदेश के अस्पतालों की ये खस्ता हालत तब सामने आई, जब उज्जैन के माधव नगर सरकारी अस्पताल के कुछ मरीजों ने शुक्रवार, 19 दिसंबर को एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था. इस वीडियो में उन्होंने दिखाया था कि अस्पताल में कैसे मरीजों को खाने में बहुत पतली दाल और अधपकी रोटियां मिल रही हैं. वीडियो वायरल हुआ तो अस्पताल के प्रभारी डॉ. विक्रम रघुवंशी ने तेजी दिखाई और तुरंत स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा कि मरीजों को मिलने वाले खाने की खराब गुणवत्ता पर कार्रवाई हो. 

यह कार्रवाई जब हो तब हो लेकिन अभी तो सरकारी अस्पताल के मरीजों को बेबसी में इसी खाने से काम चलाना पड़ेगा. रिपोर्ट में जेपी अस्पताल के एक मरीज ने कहा कि खाने की शिकायत करेंगे तो इलाज भी नहीं मिलेगा.

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बजट है परेशानी

रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी कहते हैं कि मरीजों के खाने के लिए 48 रुपये रोज का बजट 2014 में तय किया गया था. तब से इसकी न तो समीक्षा हुई और न कोई बढ़ोतरी की गई. स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर HT को बताया कि टेंडर ही 48 रुपये की सीमा में निकाले जाते हैं. 250 मिली दूध की कीमत ही 17 से 18 रुपये हो जाती है. ऐसे में बाकी खाने के लिए सिर्फ 30 रुपये बचते हैं. सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट आरएस जैन कहते हैं कि बजट बिल्कुल पर्याप्त नहीं है, लेकिन हमें इसी में या इससे कम में भी खाना देना पड़ता है.

पड़ोस में क्या हाल?

एमपी के पड़ोसी राज्यों में हालत फिर भी ठीक है. राजस्थान में जहां मरीजों के खाने पर 70 रुपये रोजाना खर्च किए जाते हैं. वहीं, छत्तीसगढ़ में 150 रुपये, उत्तर प्रदेश में 116 रुपये और ओडिशा में 85 से 110 रुपये रोजाना मरीजों के खाने पर राज्य सरकार खर्च कर रही है. 

इस मुद्दे पर मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल कहते हैं कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की सुविधाओं और ढांचे को बेहतर बनाया जा रहा है. बजट ऐसी चीज है जिसकी समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए. उन्होंने आश्वासन दिया है कि मरीजों को दिए जाने वाले भोजन के बजट की वो समीक्षा करेंगे.  

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