मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार पुलिस इन दिनों खुद असुरक्षित दिख रही है. हाल की कुछ घटनाओं ने आम जनता के साथ पुलिसकर्मियों की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ाई हैं. एक-दो नहीं बल्कि कई बार देखने में आया है कि किसी मौके पर पहुंची पुलिस को लोग या आपराधिक तत्व घेर कर बुरी तरह पीट देते हैं. इंडिया टुडे से जुड़ीं अमृतांशी जोशी ने इस पर डिटेल रिपोर्ट की है.
मध्यप्रदेश में सुरक्षित नहीं पुलिस? कोई भी पीट दे रहा, वर्दी तक फाड़ी जा रही
हाल की कुछ घटनाओं ने आम जनता के साथ पुलिसकर्मियों की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ाई हैं. एक-दो नहीं बल्कि कई बार देखने में आया है कि किसी मौके पर पहुंची पुलिस को लोग या आपराधिक तत्व घेर कर बुरी तरह पीट देते हैं.

शिवपुरी में खनन माफिया ने राजस्थान पुलिस पर हमला किया
शिवपुरी जिले में बीते गुरुवार को राजस्थान पुलिस के अधिकारियों पर हमला हुआ. राजस्थान पुलिस अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यहां पहुंची थी. तभी खनन माफिया ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया. इस दौरान पुलिस की टीम पर पत्थर फेंके गए. हमला इतना अचानक हुआ कि पुलिस को प्रतिक्रिया करने का समय ही नहीं मिला. पुलिस अधिकारियों को अपनी जान बचाने के लिए आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी. बाद में बचने के लिए पानी के रास्ते भागना पड़ा था.
गुना में पुलिस अधिकारी पर त्रिशूल से हमला
पिछले महीने गुना जिले में एक अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान पुलिस पर हमला हुआ था. पुलिस और प्रशासनिक टीम ने अतिक्रमण हटाने का कार्य शुरू किया. तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति ने थाना प्रभारी सुरेश कुशवाह पर त्रिशूल से अचानक हमला कर दिया. इस घटना में वह बुरी तरह से घायल हो गए. कथित अतिक्रमणकारियों के आक्रामक होने से स्थिति बेकाबू हो गई थी. पुलिस ने किसी तरह माहौल को शांत किया.

रेलवे पुलिसकर्मी से मारपीट, वर्दी भी फाड़ी
अप्रैल 2025 में राजकीय रेलवे पुलिस के एक हेड कांस्टेबल एक अन्य पुलिसकर्मी के साथ रात में गश्त पर थे. इसी दौरान रेलवे स्टेशन परिसर में एक कार में कुछ लोग शराब पीते नजर आए. पुलिसकर्मियों ने उन लोगों को सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने से रोका. इस पर आरोपियों ने बहस शुरू कर दी. पुलिसकर्मी कुछ समझ पाते, इससे पहले ही उन्होंने मारपीट शुरू कर दी. एक पुलिसकर्मी की वर्दी भी फाड़ दी गई. इसके बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार किया. पीड़ित पुलिसकर्मियों का आरोप था कि आरोपियों ने कांस्टेबल की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली बातें भी कहीं, और फिर उसकी वर्दी भी फाड़ दी.
मऊगंज में पुलिस टीम पर भीड़ का जानलेवा हमला
मार्च 2025 में मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले के शाहपुर थाना अंतर्गत एक गांव में हिंसक घटना हुई थी. दो समूहों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए पुलिस की टीम पहुंची थी. तभी आदिवासी समुदाय के लोगों ने लाठी, पत्थर और दूसरे हथियारों से उन पर हमला कर दिया. हमले में सब इंस्पेक्टर रामचरण गौतम की मौत हो गई. जबकि थाना प्रभारी और कई अन्य अधिकारी गंभीर रूप से घायल हुए थे.
सागर में वारंट के बाद पकड़े गई पुलिस टीम पर हमला
मार्च महीने में ही सागर जिले के सुरखी इलाके में पुलिस की एक टीम पर घात लगाकर हमला किया गया. पुलिस दो व्यक्तियों को गिरफ्तार करने पहुंची थी. आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी हुआ था. पुलिस स्थानीय लोगों से पूछताछ कर रही थी. तभी भीड़ ने अधिकारियों को घेर लिया और उन पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. इनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल थे. इस घटना में चार पुलिसकर्मी घायल हुए थे. इसके बाद इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ा और कई दिन तक तनाव बना रहा.
सीहोर में कोर्ट मैरिज विवाद को लेकर पुलिस पर हमला
एमपी के सीहोर जिले के इछावर में कोर्ट मैरिज से जुड़े एक विवाद में पुलिस के हस्तक्षेप को लेकर स्थानीय लोग हिंसक हो गए. इस हमले में एक सब-इंस्पेक्टर घायल हो गया. वहीं कई अन्य पुलिसकर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा. रिपोर्ट के मुताबिक कमलेश नाम के एक व्यक्ति ने एक महिला से कोर्ट के जरिए शादी कर ली थी. शादी के बारे में पता चलने पर महिला के परिवारवाले लड़के के घर पहुंच गए और तोड़फोड़ शुरू कर दी. जब पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने पहुंची तो लोगों ने उन पर हमला कर दिया.
इंदौर में वकीलों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया
मार्च में इंदौर जिले में वकीलों ने पुलिस अधिकारियों पर हमला कर दिया था. परदेशीपुरा में होली के दौरान फेंके गए पानी के गुब्बारे को लेकर विवाद शुरू हुआ. इसके बाद वकीलों ने दूसरे पक्ष के साथ मारपीट शुरू कर दी. घटना के अगले दिन वकीलों के एक समूह ने तुकोगंज पुलिस थाने को घेर लिया. SHO जितेंद्र सिंह यादव को भीड़ ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और उनकी वर्दी फाड़ दी. इसके बाद SP विनोद दीक्षित पर भी हमला किया गया. उनकी शर्ट फाड़ दी गई. बाद में एसपी वकीलों को समझाने पहुंचे थे. इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हुई थी.

शहडोल में पुलिस पर पथराव
शहडोल जिले में पुलिस पर हमले का मामला सामने आया था. कुछ अपराधियों ने रात में सराफा कारोबारी से लूट और गोलीबारी की थी. इस मामले में पुलिस संदिग्धों की तलाश करते हुए रात करीब 11 बजे ईरानी बस्ती पहुंची. इस दौरान एमपी पुलिस के साथ उत्तर प्रदेश की महाराजगंज पुलिस भी शामिल थी. यूपी पुलिस की टीम डकैती के मामले में वांछित यूसुफ अली को गिरफ्तार करने गई थी. उसको हिरासत में लिए जाने के बाद इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई. एमपी पुलिस के एक पुरुष और एक महिला कांस्टेबल पैदल बस्ती में स्थिति का जायजा ले रहे थे. तभी स्थानीय लोगों ने उन पर हमला कर दिया. इस हमले में महिला कांस्टेबल समेत तीन पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. घटना के बाद 18 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
दमोह पुलिस पर हमला
दमोह जिले के देहात थाना अंतर्गत मरहारा में पुलिस 23 अपराधों के आरोपी कासिम खान को गिरफ्तार कर अवैध हथियारों की तलाश में गई थी. पुलिस को सूचना मिली थी कि आरोपी के पास हथियारों का जखीरा है. इसी दौरान आरोपी ने पुलिस पर फायरिंग कर दी. इस घटना में एक थाना प्रभारी के हाथ में गोली लगी, जबकि कई अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हो गए.
पुलिसकर्मियों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं के बारे में इंडिया टुडे ने रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक एनके त्रिपाठी से बात की. उन्होंने बताया कि पुलिस पर बढ़ते हमलों का कारण हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का अभाव है.
उन्होंने कहा कि जब भी पुलिस पर हमला होता है, इसे अक्सर हल्के में लिया जाता है. इसके बजाय मामले में औपचारिक FIR दर्ज की जानी चाहिए और सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. इस तरह के मामलों को अदालत में ले जाकर दोषियों को सजा दिलवाना चाहिए. इससे लोगों को संदेश जाएगा कि पुलिस पर हमला करने के गंभीर परिणाम होंगे. जब तक ऐसा नहीं होगा, अपराधी बेखौफ होकर ऐसी घटनाओं को अंजाम देते रहेंगे.
पूर्व डीजीपी ने बताया कि पुलिस पर ज्यादातर हमले ग्रामीण और आदिवासी बहुल इलाकों में होते हैं, जहां अधिकारियों को विवाद सुलझाने या गिरफ्तारी करने के लिए कम संख्या में भेजा जाता है. पर्याप्त बैकअप या खुफिया जानकारी के बिना, उन्हें हिंसक भीड़ का सामना करना पड़ता है. ऐसे क्षेत्रों का दौरा करने से पहले बेहतर खुफिया जानकारी जुटाना आवश्यक है.
उन्होंने आगे कहा कि राज्य में पुलिसकर्मियों की संख्या सीमित है, और वे हर समय बड़ी संख्या में मौजूद नहीं रह सकते. कई घटनाएं इस कमी को दर्शाती हैं. राज्य सरकार को इस कमी को दूर करने की आवश्यकता है. बता दें कि एनके त्रिपाठी मध्यप्रदेश कैडर के वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं. वे गृह विभाग, खुफिया विभाग, प्रशासन, सीआईडी और परिवहन आयुक्त समेत कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों पर हमलों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. कई मौकों पर पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करते समय बदमाशों और अपराधियों के हमलों का शिकार हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में मध्यप्रदेश में 19 पुलिसकर्मियों ने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवा दी थी, वहीं 11 पुलिसकर्मी ऐसे हिंसक हमलों में घायल हुए थे.
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