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'अग्निपथ योजना' के चलते एयरमैन की नौकरी हाथ ना लगी, 4 साल बाद सेना में लेफ्टिनेंट बना युवक

Haryana के Hardeep Gill एयरफोर्स में Airman की नौकरी के लिए चुन लिए गए थे. लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना का ऐलान कर दिया. और उनकी नियुक्ति रुक गई. इसके बाद हरदीप ने एयरमैन की तैयारी छोड़ दी, लेकिन सेना जॉइन करने का जज्बा नहीं छोड़ा.

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लेफ्टिनेंट हरदीप गिल की मां ने पासिंग आउट परेड में उनका स्वागत किया. (एक्स, यश मोर)

साल 2022 में अग्निपथ योजना के आने के बाद सेना में भर्ती की पुरानी योजना को निरस्त कर दिया गया. इससे एयरफोर्स में एयरमैन भर्ती के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की नियुक्ति खटाई में पड़ गई. उन्हें जॉइनिंग लेटर नहीं मिला. इन्हीं में एक हरियाणा के हरदीप गिल भी थे. गिल निराश तो हुए लेकिन हौसला नहीं छोड़ा. पूरी मेहनत से डटे रहे. चार साल बाद परिश्रम ने किस्मत को झुकने पर मजबूर किया. और एयरमैन की नौकरी से चूके गिल सेना में कमीशंड अधिकारी बन गए.

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हरदीप गिल को देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) से पास होने के बाद सिख लाइट इन्फैंट्री में अधिकारी के तौर पर कमीशन मिला है. हरियाणा के जिंद जिले के अलीपुर गांव के रहने वाले लेफ्टिनेंट हरदीप की कहानी कड़ी मेहनत,लगन और अपनी क्षमताओं पर भरोसा बनाए रखने की मिसाल है. 

दो साल से भी कम उम्र में हरदीप के सिर से उनके पिता का साया उठ गया था. उनके पालन पोषण और पढ़ाई-लिखाई की सारी जिम्मेदारी उनकी मां ने संत्रों ने संभाली. संत्रों ने सरकारी स्कूल में मिड डे मिल वर्कर के तौर पर काम किया जिससे उनको महीने के 800 रुपये मिलते थे. साथ ही उनके पास जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा भी था, जिसमें वो खेती करती थीं.

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भारतीय सेना से रिटायर हो चुके मेजर जनरल यश मोर डिफेंस सर्विसेज में शामिल होने की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन कोर्स चलाते हैं. हरदीप ने उनकी एकेडमी से ऑनलाइन मेंटरिंग ली थी. मेजर जनरल यश मोर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया,

 यह हरदीप नौंवे प्रयास में सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड (SSB) की परीक्षा में सफल हुए. और ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में 54वें स्थान पर आने के बाद साल 2024 में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में शामिल हुए.

पिछले साल हरदीप के IMA में सेलेक्ट होने के बाद मेजर जनरल मोर ने उनके साथ एक पॉडकास्ट रिकॉर्ड किया था. इसमें हरदीप ने अपनी पिता के मृत्यु के बाद उन्हें और उनकी तीन बहनों को पालने के लिए किए गए अपनी मां के संघर्षों को याद किया. उन्होंने बताया, 

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मेरे पिता किसान थे. हमारे पास थोड़ी सी जमीन थी. अपनी आमदनी बढ़ाने और बच्चों के पालन-पोषण के लिए हमारी मां एक स्कूल में दिन का खाना बनाती थीं जिसमें महीने के लगभग 800 रुपये मिलते थे. साथ ही उन्होंने दो भैंसे पाल रखी थी, जिसे बेचकर वो कुछ और पैसे जोड़ लेती थीं.

बड़े होते हरदीप को अहसास हुआ कि उन्हें भी अपनी मां की मदद करनी होगी. वो पढ़ाई के साथ-साथ खेतों में काम भी करते थे. उन्होंने गांव के एक स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई की. फिर 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय वायु सेना में एयरमैन की नौकरी के लिए आवेदन किया. हरदीप गिल ने बताया,

 पहले प्रयास में उनको मेडिकल जांच में रिजेक्ट कर दिया गया. लेकिन फिर उन्होंने अपनी कमियों को दुरुस्त किया और दोबारा उनका सेलेक्शन हो गए. उन्होंने बताया, एयरमैन के लिए चुने गए लगभग 3 हजार लोगों में से मेरा नाम मेरिट लिस्ट में 59वें स्थान पर था. लेकिन मेरा सपना टूट गया जब सरकार ने चयन प्रक्रिया रोकी दी. और अग्निपथ योजना शुरू कर दी.

इसके बाद हरदीप बेहद निराश हुए. और उन्होंने एयरमैन की तैयारी छोड़ दी. लेकिन इस निराशा ने उनको और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया.  इसके बाद उन्होंने इग्नू (ओपेन बोर्ड) से ग्रेजुएशन किया और फिर CDS की परीक्षा दी. लिखित परीक्षा पास कर गए. लेकिन सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड (SSB) से पार पाने में असफल रहे. आठ बार ये सिलसिला चला. लेकिन जीवट के धनी हरदीप ने हार नहीं मानी और नौंवे प्रयास में SSB की बाधा भी पार कर गए. 

13 दिसंबर 2025 को युवा हरदीप गिल IMA से लेफ्टिनेंट का बैज पहनकर पास आउट हुए. उनकी मां ने पासिंग आउट परेड में उनका स्वागत किया. लेफ्टिनेंट हरदीप गिल सिख लाइट इन्फैट्री की 14वीं बटालियन में शामिल होंगे.

वीडियो: अग्निपथ रिव्यू के बाद बदलाव की संभावना, लेकिन सर्विस पीरियड वही रहेगा

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