केरल के एक प्रमुख मौलवी ‘इब्राहिम सकाफी पुजक्कट्टीरी’ (Ibrahim Saqafi Puzhakkattiri) के एक बयान पर विवाद शुरू हो गया है. उन्होंने कहा है कि विधवाओं को अपने घर में बैठना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए. ना कि बाहर घूमने जाना चाहिए. सकाफी, CPI(M) पार्टी से संबंधित एक सुन्नी गुट से जुड़े हैं. इस गुट का नेतृत्व ‘कंथापुरम अबूबकर मुसलियार’ करते हैं. मुसलियार ऑल इंडिया जमीयतुल उलमा के महासचिव भी हैं.
"विधवा औरतों को घर के एक कोने में बैठना चाहिए..." CPI (M) से जुड़े मौलवी के बयान पर हंगामा
Kerala News: महिला के परिवार ने कहा है कि मौलवी को उनसे माफी मांगनी चाहिए. कई अन्य लोगों ने भी उनकी आलोचना की है. उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है.

नफीसुम्मा, कोझिकोड के कुट्टयाडी की रहने वाली हैं. 25 साल पहले उनके पति की मौत हो गई थी. दिसंबर महीने में वो अपनी तीन शादीशुदा बेटियों (जिफना, जसिया और जमशीना) के साथ मनाली घूमने गईं. वहां उन्होंने एक वीडियो रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर डाल दिया. वीडियो में वो अपने हाथ में बर्फ के टुकड़े लेकर अपने दोस्तों को ऐसे टूर के लिए प्रेरित कर रही थीं. वीडियो वायरल हो गया. इस बात से मौलवी ‘इब्राहिम सकाफी पुजक्कट्टीरी’ नाराज हो गए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते एक सामुदायिक समारोह को संबोधित करते हुए सकाफी ने कहा,
आपने एक वीडियो देखा होगा. एक दादी, जिसका पति 25 साल पहले मर गया था, एक अजनबी राज्य में बर्फ से खेल रही है. उसे अपने घर के एक कोने में बैठकर प्रार्थना करनी चाहिए थी. वो दूसरे राज्य गई थी और बर्फ से खेल रही थी. ये एक समस्या है.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई मुस्लिम लोगों सहित कई अन्य लोगों ने भी सकाफी के बयान की आलोचना की है. नफीसुम्मा की बेटी जिफना ने सुन्नी धर्मगुरु सकाफी से माफी मांगने को कहा है. जिफना ने अपने सोशल मीडिया पर कहा,
धर्मगुरु ने उनके परिवार की शांति को भंग कर दिया है. अगर इसके कारण मेरी मां की आंख से एक भी आंसू गिरा है, तो उन्हें निश्चित रूप से माफी मांगनी चाहिए. उस भाषण के कारण, मेरी मां अब अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सकतीं. एक विधवा को दुनिया देखने से क्यों रोका जाता है?
नफीसुम्मा 11 दिनों के लिए मनाली टूर पर गई थीं. उन्होंने वायरल वीडियो में अपने दोस्तों से कहा था कि भले भी प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा बेचना पड़े, लेकिन उन्हें जीवन का आनंद जरूर लेना चाहिए. टूर से वापस आने पर उन्होंने मीडिया से कहा,
"मौलवी पर कार्रवाई हो, 1 करोड़ का जुर्माना लगे"मैं बहुत खुश हूं. अब मेरी बेटियां मुझे टूर पर ले जाती हैं. मेरे पति का निधन तब हुआ जब हमारी सबसे छोटी बेटी सात महीने की थी. तब हमारे पास घर नहीं था, लेकिन कुछ जमीन थी. मैंने खूब मेहनत की. बचत और लोन के सहारे एक साधारण घर बनाया. मेरे माता-पिता भी हमारे साथ रहते हैं.
प्रगतिशील मुस्लिम महिला मंच की संस्थापक वीपी जुहारा ने भी सकाफी के बयान पर आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने कहा है कि महिलाएं अपनी सुरक्षा के बारे में खुद सोच सकती हैं. उन्होंने आगे कहा,
समाज की पितृसत्तात्मक संरचना महिलाओं पर इस तरह की बाधाएं डालती है. लोग महिलाओं पर इस तरह अधिकार जताकर धार्मिक मान्यताओं का दुरुपयोग करते हैं. इस तरह के रोकटोक से संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है.
अभिनेता और वकील सी शुक्कुर ने राज्य महिला आयोग से सकाफी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इस धार्मिक नेता ने अपने भाषण से एक महिला के सार्वजनिक और पारिवारिक जीवन में परेशानी पैदा कर दी है. संविधान का अनुच्छेद 21, व्यक्तियों के लिए सम्मान और गौरव का आश्वासन देता है. शुक्कुर ने कहा कि मौलवी सकाफी को कम से कम 1 करोड़ रुपये का हर्जाना देना चाहिए.
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