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कॉन्टेंट ब्लॉकिंग के अधिकार पर X को HC से झटका, कहा- 'US में नियम मानते हो, भारत में इनकार'

X Corp. ने केंद्र सरकार के Sahyog Portal की वैधता को चुनौती दी थी. सरकार इसका इस्तेमाल इंटरमीडियरी (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे- X, Facebook, Instagram आदि) को कॉन्टेंट हटाने के आदेश जारी करने के लिए करती है.

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कर्नाटक हाई कोर्ट ने एलन मस्क के X प्लेटफॉर्म की याचिका खारिज की. (India Today)

अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क की कंपनी X कॉर्प को कर्नाटक हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. बुधवार, 24 सितंबर को हाई कोर्ट ने X कॉर्प की एक याचिका खारिज कर दी. इसमें कंपनी ने सरकार के अधिकारियों को कॉन्टेंट ब्लॉक करने के आदेश जारी करने का अधिकार देने वाले नियम को चुनौती दी थी.

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, X कॉर्प ने कोर्ट से यह कहकर मदद मांगी थी कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 79(3)(b) सरकार को ब्लॉकिंग आदेश देने का अधिकार नहीं देती. कंपनी का कहना था कि ऐसा केवल धारा 69A और उससे जुड़े नियमों के तहत ही हो सकता है.

कई महीनों तक यह मामला चला और आखिरी बहस जुलाई में हुई. अब जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा,

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"याचिकाकर्ता (X कॉर्प) का प्लेटफॉर्म संयुक्त राज्य अमेरिका में एक नियामक व्यवस्था के अधीन है, जो इसका जन्मस्थान है. अमेरिका के 'टेक डाउन' कानून के तहत, यह उल्लंघनों को आपराधिक बनाने वाले आदेशों का पालन करना चुनता है. लेकिन यही प्लेटफॉर्म भारत में 'टेक डाउन' आदेशों का पालन करने से इनकार करता है. यह किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है."

उन्होंने सोशल मीडिया की आजादी पर कहा,

"विचारों के मॉडर्न एम्फिथिएटर के तौर पर सोशल मीडिया को अराजक स्वतंत्रता की हालत में नहीं छोड़ा जा सकता."

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कोर्ट ने आगे कहा कि महिलाओं की गरिमा की रक्षा और उनके खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए कॉन्टेंट को रेगुलेट करना जरूरी है.

X कॉर्प ने केंद्र सरकार के 'सहयोग' पोर्टल (Sahyog Portal) की वैधता को चुनौती दी थी. 'सहयोग' एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है. सरकार इसका इस्तेमाल इंटरमीडियरी (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे- X, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि) को कॉन्टेंट हटाने के आदेश जारी करने के लिए करती है.

सरकार ने 'सहयोग' पोर्टल का बचाव करते हुए कहा कि यह केवल एक जरिया है, जो इंटरनेट पर गैरकानूनी कॉन्टेंट के खिलाफ तेजी से कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है. अपने लिखित जवाब में सरकार ने यह भी कहा कि X कॉर्प यह दावा नहीं कर सकता कि उसे 'सेफ हार्बर' (सुरक्षा छूट) का पूरा अधिकार है.

सरकार ने दलील दी कि X कॉर्प एक विदेशी कंपनी है जो अमेरिका में रजिस्टर्ड है, इसलिए उसे भारत में यह याचिका दाखिल करने का कानूनी अधिकार नहीं है. सरकार के मुताबिक, कंपनी भारत के संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत किसी भी मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकती.

इस पर जस्टिस एम नागाप्रसन्ना ने कहा,

"आर्टिकल 19 नागरिक अधिकारों को लेकर पूरी तरह स्पष्ट है, लेकिन यह केवल नागरिकों को मिले अधिकारों का एक चार्टर है. एक याचिकाकर्ता जो नागरिक नहीं है, वो इसके तहत शरण का दावा नहीं कर सकता."

उन्होंने अपने फैसले में कहा कि सूचना और संचार का नियंत्रण हमेशा से सरकार की जिम्मेदारी रहा है, चाहे वह किसी भी जरिए से हो.

दरअसल, इस साल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ को लेकर कुछ पोस्ट किए गए थे. इसके बाद रेल मंत्रालय ने इन्हें हटाने के लिए आदेश जारी किए, जिसके खिलाफ X कॉर्प ने याचिका दाखिल की थी.

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