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बीड़ी कारोबारी के यहां छापा पड़ा, लाखों रुपये जब्त हुए, बाद में पता चला ED वाले नकली थे

पैसे और मोबाइल लेकर ठग वहां से कार से निकले. उन्होंने सुलेमान को उस कार के पीछे-पीछे आने को कहा. लेकिन कुछ दूर जाने के बाद कार ने सुलेमान और उनके बेटे से पीछा छुड़ा लिया. कुछ देर बाद दोनों को ही पता नहीं चला कि ठगों की गाड़ी गई कहां.

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पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. (सांकेतिक तस्वीर: PTI)

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में एक फर्जी ED गैंग (Fake ED Gang) ने एक कारोबारी को 30 लाख रुपये की चपत लगा दी. मामला बंटवाल तालुका के कोलनाडू का है. इस गिरोह के लोग ‘मंगलुरु सिंगारी बीड़ी वर्क्स’ के मालिक हाजी एन सुलेमान के घर पहुंचे थे. उन्होंने दावा किया कि वो ED के अधिकारी हैं. पीड़ित परिवार को जब ठगी का पता चला तो सुलेमान के बेटे ‘मोहम्मद इकबाल’ ने विटला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 जनवरी की सुबह 6 लोग सुलेमान के घर पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि उन्हें घर की तलाशी लेनी है और इसके लिए सर्च वारंट भी दिखाया. अंग्रेजी में बात कर रहे एक ठग ने कहा कि तलाशी के दौरान घर के लोग बाहरी लोगों से बात नहीं कर सकते. इसलिए घर में मौजूद 5 मोबाइल फोन को कब्जे में ले लिया.

पुलिस ने बताया कि एक ठग ने सुलेमान को अपना कमरा दिखाने को कहा. सुलेमान ने अपने कमरे में 30 लाख रुपये रखे थे. ठगों ने कहा कि कारोबारी को इतनी बड़ी रकम अपने घर में रखने की अनुमति नहीं है. फिर उनमें से एक ने अंग्रेजी में कहा कि वो सुलेमान को हिरासत में ले लेगा.

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ठगों ने वहां करीब ढाई घंटे का समय बिताया. इसके बाद उन्होंने कहा कि वो 30 लाख रुपये जब्त कर रहे हैं और इसे वापस पाने के लिए सुलेमान को इससे संबंधित कागज दिखाने होंगे. उन्होंने पीड़ित को दस्तावेज लेकर बेंगलुरु स्थित ED कार्यालय में आने को कहा. जब्त किए गए फोन भी वो अपने साथ ले गए. ठगों ने घर के आगे और पीछे के दरवाजे भी बंद कर दिए थे, ताकि पड़ोसियों को भी इसकी भनक ना लगे. उन्होंने सोने के गहने भी अपने कब्जे में ले लिए थे. लेकिन बातचीत के बाद गहने वापस कर दिए.

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पैसे और मोबाइल लेकर ठग वहां से कार से निकले. उन्होंने सुलेमान को उस कार के पीछे-पीछे आने को कहा. सुलेमान एक कार में ठगों की गाड़ी के पीछे थे जबकि उनका बेटा बाइक से उनका पीछा कर रहा था. लेकिन कुछ दूर जाने के बाद कार ने सुलेमान और उनके बेटे से पीछा छुड़ा लिया. कुछ देर बाद दोनों को ही पता नहीं चला कि ठगों की गाड़ी गई कहां.

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फिर उन्होंने पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने जांच की तो पता चला कि वहां ED की कोई टीम आई ही नहीं थी. जो लोग आए थे वो ठग थे. पुलिस ने बताया कि पीड़ितों को ठगों पर इसलिए भरोसा हो गया क्योंकि उनके पास वॉकी-टॉकी और राइटिंग पैड थे. और उन्होंने अच्छे कपड़े पहने थे.

पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 319(2) (किसी और का नाम लेकर धोखाधड़ी) और धारा 318(4) (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया है. दक्षिण कन्नड़ के पुलिस अधीक्षक यतीश एन ने क्राइम सीन पर जाकर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है. 

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