महाकुंभ से लौटने के दौरान, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की राज्यसभा सांसद महुआ माझी (Mahua Maji Road Accident) का रोड एक्सीडेंट हो गया. दुर्घटना में सांसद गंभीर रूप से घायल हो गई हैं. इलाज के लिए उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है. 26 फरवरी की सुबह करीब चार बजे नेशनल हाइवे-39 पर, लातेहार के होटवाग गांव में उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ. उनकी गाड़ी के अगले हिस्से को नुकसान पहुंचा है.
JMM सांसद महुआ माझी का रोड एक्सीडेंट, हालत गंभीर, कुंभ से लौट रही थीं
Mahua Maji Road Accident: झारखंड मुक्ति मोर्चा की राज्यसभा सांसद Mahua Maji को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

इंडिया टुडे से जुड़े संजीव गिरी की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के बाद उनको सदर अस्पताल में भर्ती किया गया था. बाद में उनको रांची रिम्स में रेफर कर दिया गया.
राज्यसभा सांसद के बेटे सोमवित माझी ने कहा,
कौन हैं महुआ माझी?जब ये हादसा हुआ, तब हम प्रयागराज में महाकुंभ से लौट रहे थे... मेरी मां (महुआ माझी) और मेरी पत्नी पीछे की सीट पर थीं. मैं कार चला रहा था और करीब 3:45 बजे मुझे नींद आ गई और कार कहीं टकरा गई. कार के अंदर धुंआ भर गया और हम बाहर निकलने की कोशिश करने लगे. मैंने अपनी मां को कार से बाहर निकाला और देखा कि उनकी कलाई टूट गई थी और उनके हाथों से खून बह रहा था. उन्होंने बताया कि उनके सीने और हाथों में बहुत दर्द हो रहा था. हमने उन्हें लातेहार के एक अस्पताल में भर्ती कराया. उसके बाद हम उन्हें रांची ले गए. डॉक्टरों का कहना है कि उनका बायां हाथ टूट गया है और उनकी पसलियां हल्की क्षतिग्रस्त हैं. उनके हाथों की सर्जरी करनी होगी. वो हमसे बात कर पा रही हैं. सभी टेस्ट हो चुके हैं…
महुआ को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के परिवार का करीबी माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में JMM ने उनको रांची से टिकट दिया था. भाजपा कैंडिडेट चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह ने उनको करीब 22 हजार वोटों से हरा दिया था. महुआ लंबे समय से JMM महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं.
वो झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. प्रसिद्ध लेखिका और उपन्यासकार भी हैं. 2006 में उनका पहला उपन्यास 'मैं बोरिशिल्ला’ छपा था. एक पुराने इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि राजनीति में आने की उनकी कोई योजना नहीं थी. वो महिला आयोग के कामकाज में व्यस्त थीं. 2014 के झारखंड विधानसभा के समय JMM ने उनसे संपर्क किया और चुनाव लड़ने की बात की. पहले तो उन्होंने इससे इनकार किया लेकिन बाद में मान गईं.
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2014 में पहली बार वो रांची सीट से चुनावी मैदान में उतरीं. चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह करीब 58000 वोटों से हरा दिया. इसके बाद 2019 में भी पार्टी ने उन्हें इस सीट से टिकट दिया. चंद्रेश्वर ने इन बार उनको करीब 5 हजार वोटों से हराया.
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