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ब्रह्मोस और बराक मिसाइलों से लैस INS हिमगिरी आ गया, दुश्मनों का डरना तो बनता है!

Project 17A के तहत Indian Navy के बेड़े में Guided Missile Frigate आईएनएस हिमगिरी (INS Himgiri) को शामिल कर लिया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत कुल सात गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स बनाई जा रही हैं.

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भारत का फ्रिगेट, आईएनएस हिमगिरी (PHOTO- Indian Navy)

इंडियन नेवी (Indian Navy) की ताकत में बड़ा इजाफा हुआ है. प्रोजेक्ट 17A (Project 17A) के तहत नेवी के बेड़े में गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट (Guided Missile Frigate) आईएनएस हिमगिरी (INS Himgiri) को शामिल कर लिया गया है. प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल 7 गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट बनाई जा रही हैं, जिसमें से पहले युद्धपोत हिमगिरी को नौसेना को सौंप दिया गया है. ये जहाज खतरनाक ब्रह्मोस और बराक जैसी खतरनाक मिसाइल्स से लैस है. तो जानते हैं क्या खासियत है इस जहाज की, और ये फ्रिगेट क्या होते हैं? 

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फ्रिगेट्स, ताबड़तोड़ मिसाइल दागने की क्षमता

फ्रिगेट्स की किताब के पन्ने पलटें तो कहानी जाती है 17वीं से 18वीं शताब्दी में. साल 1756 में एक जंग शुरू हुई जो 1763 तक चली. इस जंग को Seven Years War के नाम से जाना जाता है. इसमें एक तरफ फ्रांस, ऑस्ट्रिया, प्राचीन सैक्सोनी (आज के नीदरलैंड, जर्मनी और चेक गणराज्य), स्वीडन और रूस एक तरफ थे. दूसरी ओर प्रशिया, हैनोवर और ग्रेट ब्रिटेन थे. Silseia नामक एक जगह पर कब्जे के लिए शुरू हुई इस जंग में पहली बार फ्रिगेट्स के इस्तेमाल की जानकारी मिलती है.

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शुरुआती दौर के फ्रिगेट्स (PHOTO-Wikipedia)

उस समय ये तीन डेक वाला एक जहाज हुआ करता था. जिस पर ठीक-ठाक गोला-बारूद होता था. इसपर एक में बंदूक के अलावा और भी कुछ बंदूकें लगी रहती थीं. Britanicca के अनुसार तो कई फ्रिगेट्स पर 30 से 40 बंदूकें हुआ करती थीं. फ्रिगेट्स उस समय जहाजों की कतार जिसे फ्लीट कहा जाता है, उसमें नहीं बल्कि मुख्य जहाजों से कुछ आगे चला करते थे. इनकी रफ्तार तेज़ होती थी इसलिए इन्हें मुख्य जहाजों पर होने वाले हमलों से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. 

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1812 का फ्रिगेट USS Constitution (PHOTO-Britannica)

आमतौर पर एक फ्लीट में एक एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ 2 क्रूज़र, 2-3 डिस्ट्रॉयर, और 2-3 फ्रिगेट चलते हैं. इस पूरे जत्थे को कैरियर बैटल ग्रुप कहा जाता है. हालांकि अलग-अलग मिशन और काम के मुताबिक ये संख्या घट या बढ़ भी सकती है. भारत के संदर्भ में देखें तो INS Vikrant कैरियर बैटल ग्रुप के साथ आमतौर पर 3 डिस्ट्रॉयर और 3 फ्रिगेट दिखते हैं. आमतौर पर देखें तो एक फ्रिगेट का काम बड़े जहाजों के साथ चलना और किसी हमले की सूरत में उनकी हिफाजत करना होता है. पर जैसा कि हम जानते हैं, कितने जहाज किस कैरियर के साथ कहां तैनात हैं, ये जानकारी गुप्त रहती है. हालांकि दूसरी सेनाओं के साथ जॉइंट एक्सरसाइज के दौरान समय-समय पर इनकी तस्वीरें सामने आती रहती हैं. अब जानते हैं क्या है इंडियन नेवी का प्रोजेक्ट 17A जिसके तहत आईएनएस हिमगिरी को बनाया गया है.

इंडियन नेवी का प्रोजेक्ट 17 A

साल 2015 में भारत सरकार ने इंडियन नेवी के प्रोजेक्ट 17A को मंजूरी दी. इस प्रोजेक्ट के तहत सात ऐसे फ्रिगेट्स का निर्माण होना है जो गाइडेड मिसाइल्स से लैस होंगे. इनमें से 4 जहाज मुंबई स्थित Mazagon Dock Shipbuilders Limited (MDL) को बनाने हैं. जबकि बाकी के तीन जहाज कोलकात स्थित Garden Reach Shipbuilders & Engineers Limited (GRSE) में बनेंगे. इनमें से 2 जहाज आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस उदयगिरी के बाद अब आईएनएस हिमगिरी को नेवी में शामिल कर लिया गया है. 

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इनमें से आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस उदयगिरी को MDL ने बनाया है. जबकि आईएनएस हिमगिरी GRSE द्वारा डिलीवर किया गया पहला जहाज है. अभी विंध्यगिरी और दूनागिरी नाम के जहाजों को GRSE द्वारा लॉन्च किया जा चुका है. अब किसी जहाज की लॉन्चिंग और कमिशनिंग में क्या अंतर है, इसे भी समझ लेते हैं.

तो एक जहाज के बनने के कई स्टेज होते हैं. सबसे पहले होती है स्टील कटिंग सेरेमनी. इसके बाद अगला चरण होता है कील लेड सेरेमनी (Keel Laid Ceremony). ये एक सेरेमनी होती है जिसमें किसी जहाज के कंस्ट्रक्शन को आधिकारिक तौर पर शुरू किया जाता है. इसके बाद आता है जहाज का लॉन्च. जहाज के लॉन्च का मतलब है उसे बिल्डिंग साइट से पहली बार पानी में उतारना. इसके बाद होती है कमीशनिंग जिसमें जहाज को आधिकारिक तौर पर नेवी में शामिल कर लिया जाता है. और आखिरी चीज होती है डी-कमीशनिंग. ये एक अहम सेरेमनी होती है जिसमें जहाज को रिटायर किया जाता है.       
 

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लॉन्चिंग के दौरान INS विंध्यगिरी और INS दूनागिरी (PHOTO- GRSE)
INS हिमगिरी - ब्रह्मोस और बराक मिसाइल्स से लैस

INS हिमगिरी एक गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है. इसे दिसंबर 2020 में लॉन्च किया गया था. इंडियन नेवी की ओर से ईस्टर्न नेवल कमान के चीफ स्टाफ ऑफिर (टेक्निकल) रियर एडमिरल रवनीश सेठ ने आधिकारिक तौर पर नेवी की ओर से इसे स्वीकार किया है. इस जहाज में हमला करने के लिए ब्रह्मोस जैसी शक्तिशाली क्रूज़ मिसाइल लगी है. साथ ही किसी भी हवाई हमले से बचने के लिए इसमें इजरायल का बराक-8 सर्फेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम लगा है. इस जहाज के कुछ फीचर्स पर नजर डालें तो-

  • जहाज का प्रकार: स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 
  • डिस्प्लेसमेंट: 6,670 टन 
  • हथियार: ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल 
  • डिफेंस सिस्टम: बराक-8 सर्फेस टू एयर डिफेंस सिस्टम 
  • मुख्य बंदूक: 76mm रैपिड गन माउंट (SRGM) 
  • एंटी सबमरीन व तॉरपीडो: लाइटवेट तॉरपीडो, RBU-6000 ASW रॉकेट लॉन्चर  
  • टॉप स्पीड: 28+ नॉट्स (लगभग 52 किलोमीटर प्रति घंटा) 
  • रेंज: 5,500 नॉटिकल मील/लगभग 10 हजार किलोमीटर (नॉर्मल रफ्तार पर) 
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नौसेना ने आधिकारिक तौर पर INS हिमगिरी को शामिल कर लिया (PHOTO-GRSE)

इस जहाज का डिस्प्लेसमेंट 6,670 टन है. समुद्र में डिसप्लेसमेंट का मतलब है कि जब जहाज़ पानी में रहता है, वो जितने पानी को उसकी जगह से डिसप्लेस, माने हटाता है; इसी को मैरीटाइम या नेवी की भाषा में डिस्प्लेसमेंट कहते हैं. इसमें जहाज़ का वजन भी शामिल होता है. ये जहाज एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में भी सक्षम है. साथ ही इसके डेक पर ध्रुव या MH-60 रोमियो हेलीकॉप्टर को भी तैनात किया जा सकता है. 

वीडियो: इंडियन नेवी का इन्साइन यानी निशान से मिटा गुलामी का निशान, बदलाव का शिवाजी से क्या लिंक है?

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