ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद इंडियन आर्मी (Indian Army) की ऑफेंसिव यानी हमला करने की क्षमता को और धार देने के लिए सेना में एक नई कमांडो यूनिट का गठन हो रहा है. इस यूनिट का नाम भैरव कमांडो (Bhairav Commando) होगा. इस दिशा में सेना काफी तेजी से काम कर रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि अक्टूबर के आखिर तक भैरव कमांडो का गठन पूरा कर लिया जाएगा.
LOC से LAC तक दुश्मन पर कहर बरपाएंगे ‘भैरव कमांडो’, चीन-पाक के लिए इंडियन आर्मी की स्पेशल फोर्स
Bhairav Commando Unit का काम होगा किसी भी इमरजेंसी में तुरंत सबसे पहले मौके पर पहुंच कर एक्शन लेना. इसके अलावा ये Drone Warfare जैसी युद्ध कलाओं में भी माहिर होंगे. कुल 23 भैरव यूनिट्स का गठन होगा.


रक्षा मामलों पर नजर रखने वाली वेबसाइट इंडियन डिफेंस न्यूज की खबर के मुताबिक फिलहाल 5 बटालियन से इस यूनिट की शुरुआत होगी. आगे चलकर इसमें 18 और यानी कुल मिलाकर 23 बटालियन तक बनाने का प्लान है. इन यूनिट्स का काम पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा (LoC), चीन से लगी सीमा (LaC), अरुणाचल सेक्टर और राजस्थान के रेगिस्तान में पाकिस्तान से लगी सीमा पर रैपिड यानी तत्काल एक्शन लेने का होगा. फिलहाल जो 5 बटालियन बनाई गई हैं, उसमें से 3 सेना की उत्तरी कमान के अंडर में काम करेंगी. उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के अंतर्गत आने वाली सेना की 14 कोर (Firefury Corps), 15 कोर (Chinar Corps) और 16 कोर (White Knight Corps) को एक-एक बटालियन दी जाएगी. वहीं वेस्टर्न सेक्टर यानी राजस्थान के रेगिस्तान को एक और चीन से लगी अरुणाचल के इलाके वाली सीमा पर भी एक बटालियन को तैनात किया जाएगा.
हर तरह की तकनीक से लैस होंगे ‘भैरव कमांडो’इस यूनिट को काफी हद तक पैरा एस एफ (Para SF) की तर्ज पर बनाया जा रहा है. यानी इसके सैनिक भी 'स्टेट ऑफ द आर्ट' यानी एडवांस और उन्नत हथियारों से लैस होंगे. इन्हें एडवांस हथियार, गैजेट्स जैसे नाईट विजन, थर्मल ट्रैकिंग जैसे उपकरणों से लैस किया जाएगा. इनका काम होगा किसी भी इमरजेंसी में तुरंत सबसे पहले मौके पर पहुंच कर एक्शन लेना. इसके अलावा ये ड्रोन वॉरफेयर जैसी युद्ध कलाओं में भी माहिर होंगे. इंडियन आर्मी अपनी हर इंफेट्री बटालियन से 800 सैनिक लेगी और उन सैनिकों को भैरव कमांडो यूनिट में शामिल किया जाएगा.
फिलहाल इंडियन आर्मी के 'भैरव कमांडो' की ट्रेनिंग जारी है. सभी कमांडोज को फिलहाल उनके रेजिमेंटल सेंटर और पैरा एस एफ के जवानों के साथ ट्रेनिंग दी जा रही है. ये पूरी ट्रेनिंग दो से तीन महीने की होगी जिसमें इन्हें जंगल वॉरफेयर, क्लोज काउंटर अटैक यानी नजदीक की लड़ाई, अर्बन वॉरफेयर माने पब्लिक के बीच की लड़ाई और हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर जैसी चीजों की ट्रेनिंग जा रही है. भैरव कमांडो पर जानकारी देते हुए आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा
रूद्र ब्रिगेड बढ़ाएंगे सेना की ताकतहम एक विकसित, आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार शक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं. एक नई ब्रिगेड की स्थापना की जा रही है, और मैंने इसे मंजूरी दे दी है. इसमें मैकेनाइज्ड इंफेंट्री, बख्तरबंद यूनिट्स, तोपखाना, रसद और युद्ध सहायता के साथ स्पेशल फोर्स जैसे लड़ाकू यूनिट्स शामिल होंगे. स्पेशल फोर्स भी स्थापित किए गए हैं जो सीमा पर दुश्मन को चौंकाने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे.
दूसरी तरफ सेना की ब्रिगेड का भी पुनर्गठन किया जा रहा है. आमतौर पर तीन बटालियन से मिलकर एक ब्रिगेड बनती है. हालांकि अलग-अलग जगहों पर ये संख्या अलग हो सकती है. रुद्र ब्रिगेड एक आत्मनिर्भर ब्रिगेड होगी जो किसी भी भौगलिक सीमा में बंधी नही होगी. यह हर प्रकार की भूमिका में दुश्मन से लड़ेगी. रुद्र ब्रिगेड में सभी कॉम्बेट आर्म्स होंगे, जैसे पैदल सेना, एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के साथ सर्पोट आर्म्स भी होगा. रूद्र ब्रिगेड की खासियत होगी कि इसकी AOR यानी एरिया (A) ऑफ (Of) रिस्पॉन्सिबिलिटी (Responsibility) तय नहीं होगा. ये ब्रिगेड हर जगह, जरूरत पड़ने पर दुश्मन से लड़ेगी.
नेपोलियन ने कहा था, ईश्वर इन फौजों के साथ है, जिनके पास सबसे बड़ी तोपें हैं. और इस कथन का उत्तर ऑपरेशन सिंदूर में हमने देखा जब हमारी तोपों ने पाकिस्तानी पोस्ट्स को भारी नुकसान पहुंचाया. इसी क्रम में इंडियन आर्टिलरी की ताकत बढ़ाने के लिए सेना में दिव्यास्त्र बैटरी का गठन किया जा रहा है. दिव्यास्त्र बैटरी आर्टिलरी की हर रेजिमेंट में बनेगी. पहले फेज में जिन पांच रेजिमेंट में यह बन रही हैं, वे सेना की सेंट्रल कमांड को छोड़कर अलग-अलग कमांड में होगी. शक्तिबाण रेजिमेंट डेडिकेटेड ड्रोन और लॉइटरिंग (टारगेट के ऊपर मंडराकर सटीक अटैक करने वाले) एम्युनिशन की रेजिमेंट होगी. दिव्यास्त्र बैटरी में ड्रोन और लॉइटरिंग एम्युनिशन होंगे.
ड्रोन प्लाटूनरूस-यूक्रेन की लड़ाई हो, ईरान-इजरायल का युद्ध हो या भारत का ऑपरेशन सिंदूर. हर युद्ध में हमने ड्रोन का इस्तेमाल होते देखा. ये एक नए किस्म का वॉरफेयर है जिसमें कम खर्च, कम नुकसान उठाकर दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है. इसी को देखते हुए इंडियन आर्मी अब अपनी हर बटालियन में ड्रोन प्लाटून का गठन करेगी. ड्रोन का इस्तेमाल अभी भी होता है लेकिन इसके लिए कोई डेडिकेटेड प्लाटून नहीं है. लेकिन अब ड्रोन प्लाटून के जवान खास तौर पर ड्रोन ऑपरेट करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे. ये ड्रोन अटैक ड्रोन से लेकर सर्विलांस ड्रोन तक हो सकते हैं. इस प्लाटून का गठन भी अक्टूबर के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा.

साल 2025 की शुरुआत में ही रक्षा मंत्री ने कहा था कि ये साल सेनाओं में सुधारों का साल है. इस क्रम में कई सुधारों को हरी झंडी दिखाई गई. जैसे सेना के लिए की जाने वाली खरीद के लिए समय तय करने से लेकर नई यूनिट्स का गठन किया जा रहा है. इसी क्रम में करगिल विजय दिवस के मौके पर सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भैरव बटालियन ,रुद्र ब्रिगेड, शक्तिबाण तोपखाना और दिव्यास्त्र जैसे बटालियनों का ऐलान किया था.
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