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MiG-21 रिटायरमेंट: वायुसेना में बची सिर्फ 29 स्क्वाड्रन, कमी पूरी करेगा ‘तेजस-मार्क-1A’, मगर कब तक?

Indian Air Force की जरूरतों को देखते 42 Squadron की संख्या स्वीकृत है. एक स्क्वाड्रन में 16-18 विमान होते हैं. जैसे ही Mig-21 रिटायर होंगे, एयरफोर्स में 29 स्क्वाड्रन रह जाएंगे. ये आज तक की सबसे कम संख्या होगी जिसे पूरा करने के लिए इंडियन एयरफोर्स LCA Tejas Mk1A का ऑर्डर दे रही है.

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तेजस Mk1A फाइटर जेट एक सिंगल इंजन वाला विमान है (PHOTO-X)

इंडियन एयरफोर्स के मिग -21 (Mig-21 Retirement) विमान 26 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं. अब इनकी जगह भारत के स्वदेशी फाइटर जेट लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट 'तेजस' मार्क 1ए (LCA Tejas Order) लेंगे. एयरफोर्स 25 सितंबर को, मिग के रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले 97 तेजस विमानों का ऑर्डर दे सकती है. इस डील की कीमत 66,500 करोड़ रुपये के आसपास होने का अनुमान है. इसमें 78 विमान सिंगल सीटर और 29 डबल-सीटर (Twin Seater) जेट हो सकते हैं. डबल-सीटर जेट्स का इस्तेमाल आमतौर पर पायलट्स को ट्रेनिंग देने के लिए किया जाता है.

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तेजस एक सिंगल इंजन वाला विमान है (PHOTO-Indian Air Force)

इंडियन एयरफोर्स की जरूरतों को देखते हुए 42 स्क्वाड्रन की संख्या स्वीकृत है. एक स्क्वाड्रन में 16-18 विमान होते हैं. जैसे ही मिग-21 रिटायर होंगे, इंडियन एयरफोर्स में 29 स्क्वाड्रन रह जाएंगे. ये आजतक की सबसे कम संख्या होगी जिसे पूरा करने के लिए इंडियन एयरफोर्स तेजस का ऑर्डर दे रही है. वहीं दूसरी तरफ पड़ोसी पाकिस्तान को देखें तो स्क्वाड्रन के मामले में वो अब भारत से बहुत ज्यादा पीछे नहीं है. पाकिस्तान एयरफोर्स फिलहाल 25 स्क्वाड्रन के साथ ऑपरेट कर रही है. वहीं ड्रैगन यानी चीन की एयरफोर्स में स्क्वाड्रन की संख्या भारत से चार गुना अधिक है. 

भारतीय एयरफोर्स तेजस के अलावा फ्रेंच विमान रफाल का ऑर्डर भी जल्द ही प्लेस करेगी. खबरें ये भी हैं कि भारत रूस के सुखोई Su-57 की दो स्क्वाड्रन लेने पर भी विचार कर रहा है. लेकिन रफाल और सुखोई, तो विदेशी विमान हैं. लिहाजा इन्हें तो डायरेक्ट खरीदा जा सकता है. लेकिन तेजस की बात अलग है क्योंकि ये स्वदेशी विमान है. अगर भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना है तो उसे तेजस के प्रोडक्शन पर और ध्यान देना होगा. भारत में तेजस को बनाने का काम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के पास है. HAL लगातार विमान की डिलीवरी में देरी करता आ रहा है. वजह है ‘अमेरिकन इंजन.’

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टेक-ऑफ के दौरान तेजस मार्क 1A (PHOTO-IAF)
इंजन डिलीवरी में देरी के लिए लगा था जुर्माना

तेजस के इंजन की डिलीवरी काफी समय से सवालों के घेरे में रही है. डिलीवरी की ये रफ्तार एयरफोर्स की क्षमता को प्रभावित कर रही है. खुद एयरफोर्स चीफ भी ये मुद्दा उठा चुके हैं. इसके पीछे अलग-अलग कारण बताए गए. जैसे 4 नवंबर 2024 को फाइनेंशियल टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी. इस रिपोर्ट में बताया गया कि भारत ने अमेरिकी कंपनी GE Aerospace पर तेजस के इंजन की डिलीवरी में हो रही देरी के लिए जुर्माना लगाया है. GE Aerospace को ये  F 404-IN20 इंजन 2 साल पहले ही भारत की Hindustan Aeronautics Limited को भेजने थे. 

(यह भी पढ़ें: JF-17 vs Tejas: इंजन की लड़ाई में क्यों पीछे रह गया भारत?)

इस मामले पर GE Aerospace ने भी अपना पक्ष रखा. GE Aerospace ने इंजन डिलीवरी में हुई देरी का कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया पर विशेषज्ञ कहते हैं कि कोविड महामारी के बाद से सप्लाई चेन में जो दिक्कत आई, ये उसी का नतीजा है. अब GE Aerospace ने इंजन को डिलीवर करना शुरू किया है. अगर हर महीने 2-3 इंजन भी डिलीवर किए जाते हैं तो एक साल के भीतर HAL 2 स्क्वाड्रन खड़ी कर सकता है.

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वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: IAF चीफ ने कौन सा सच बताया? तेजस फाइटर जेट के साथ क्या हुआ?

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