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भारत फिर से खरीद रहा ‘रैंपेज’ मिसाइल, ऑपरेशन सिंदूर में की गई थी इस्तेमाल

Rampage Missile के गिरते ही जोरदार धमाके के साथ धातु के टुकड़े बिखरते हैं जो आसापास की हर चीज, यहां तक कि मोटी परत वाले बंकर तक को तबाह कर देते हैं. भारत ने अपने Sukhoi SU-30MKI और Mig-29K जैसे विमानों में इसे इंटीग्रेट किया है.

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इंडियन नेवी के मिग-29K विमान में लगी रैंपेज मिसाइल (PHOTO-India Today)

6 और 7 मई की दरमियानी रात जब भारत के लोग चैन से सो रहे थे, उसी समय आधी रात को इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) लॉन्च कर पाकिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में मौजूद आतंकी ठिकानों पर हमला किया. इस हमले में सबसे आगे थी भारत की वायुसेना और उसके विमान. इन विमानों ने बिना इंटरनेशनल बॉर्डर, (International Border) या नियंत्रण रेखा (LoC) पार किए बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल्स (BVR Missiles) से पाकिस्तान पर करारा हमला किया. इन मिसाइल्स में एक नाम की खूब चर्चा हुई. ये थी इजरायल में बनी रैंपेज मिसाइल (Rampage Missile). अब खबर है कि भारत इस मिसाइल की और भी यूनिट्स खरीदने की योजना बना रहा है. तो जानते हैं, क्या खासियत है इस मिसाइल की जिसने पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए.

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27 अप्रैल 2024 को इकोनॉमिक टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी. इस रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन एयरफोर्स और इंडियन नेवी ने आधिकारिक तौर पर रैंपेज मिसाइल को अपने बेड़े में शामिल कर लिया. हालांकि सेनाएं 2021 से ही इसका इस्तेमाल कर रही थीं. इंडियन एयरफोर्स इसे अपने सुखोई Su-30MkI, और नेवी ने इसे Mig-29K विमान में लगाया. 

Indian Navy MiG-29K Carrier Jets
इंडियन नेवी का मिग-29k फाइटर जेट
इमरजेंसी में खरीदी गई थी रैंपेज मिसाइल

रैंपेज मिसाइलों की खरीद रक्षा मंत्रालय द्वारा सेनाओं को दी गई इमरजेंसी पावर्स (Emergency Procurement) का हिस्सा थी. इसका उद्देश्य था कि 2020 में चीन के साथ गलवान में हुई झड़प के बाद सेनाएं महत्वपूर्ण हथियारों और उपकरणों से लैस हो सकें. इसी क्रम में एयरफोर्स और नेवी को ये मिसाइलें दी गईं थी. एयरफोर्स और नेवी ने इस मिसाइल को सफलतापूर्वक अपने सुखोई Su-30MkI और Mig-29K में इंटीग्रेट किया. 

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Indian Su-30 MKI
इंडियन एयरफोर्स का सुखोई Su-30MKI

इसके साथ ही एयरफोर्स ने सुखोई में 400 किलोमीटर की रेंज वाली ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल भी लगाई. ये सभी घटनाएं हो रही थीं साल 2024 में. जैसा कि हम जानते हैं कि सेनाएं हमेशा जंग की तैयारी में रहती हैं. इसे सेना की भाषा में 'ऑपरेशनल रेडिनेस' कहा जाता है. भारत की इसी ऑपरेशनल रेडिनेस का फायदा उसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मिला. भारत ने स्कैल्प, हैमर, के अलावा रैंपेज मिसाइल का इस्तेमाल कर पाकिस्तान की शह पर पल रहे आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया. अब क्या है इस मिसाइल के फीचर्स, ये भी समझ लेते हैं.

रैंपेज मिसाइल - जैसा नाम, वैसा हमला

रैंपेज शब्द को देखें तो इसका मतलब होता है 'क्रोध, गुस्सा या आक्रोश'. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से  पूरे देश में आतंकियों और उनके सरपरस्त पाकिस्तान के प्रति गुस्सा था. तीनों सेनाओं के अंदर भी ये बात उमड़ रही थी कि मासूम लोगों की निर्मम हत्या का बदला लिया जाना चाहिए. इंतजार था तो बस सरकार की हरी झंडी का. 6 और 7 मई की दरमियानी रात इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट्स रैंपेज मिसाइल्स से लैस होकर एयरबॉर्न हुए. और अपने देशवासियों के क्रोध का बदला रैंपेज मिसाइल दागकर लिया.

ये एक सुपरसॉनिक मिसाइल है जिसे हवा से जमीन पर मार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस मिसाइल को Israel Aerospace Industries और Israeli Military Industries Systems ने मिलकर बनाया है. रैंपेज के गिरते ही जोरदार धमाके के साथ धातु के टुकड़े बिखरते हैं जो आसापास की हर चीज, यहां तक कि मोटी परत वाले बंकर तक को तबाह कर देते हैं. इस दौरान अगर कोई इंसान इसकी जद में आ गया तो उसके शरीर के परखच्चे उड़ जाएंगे. किसी एयर डिफेंस (खासकर पाकिस्तानी) के लिए इसे डिटेक्ट कर रोकना बहुत ही मुश्किल है. ये एक उन्नत नेविगेशन सिस्टम और एंटी जैमिंग सिस्टम से लैस है जिससे इसका जीपीएस जाम करना भी संभव नहीं है. इसके कुछ फीचर्स को देखें तो

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  • लंबाई: 15.4 फीट 
  • वजन: 570 किलोग्राम 
  • रफ्तार: सुपरसॉनिक (मैक 1.6) 
  • रेंज: लगभग 300 किलोमीटर 
  • पेलोड/विस्फोटक क्षमता: 150 किलोग्राम 
  • वॉरहेड: ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन 
  • गाइडेंस सिस्टम: जीपीएस और INS नेविगेशन- इस सिस्टम में मिसाइल एक्सेलेरोमीटर और जाइरोस्कोप का इस्तेमाल कर टारगेट तक पहुंचती है.

कुल मिला कर देखें तो रैंपेज एक घातक मिसाइल है और अगर इसका हमला हुआ तो इससे बचना लगभग नामुमकिन है. ये मिसाइल स्थिर टारगेट, हथियार डिपो, बंकर्स, एयर डिफेंस सिस्टम्स, पावर प्लांट्स और कम्युनिकेशन सिस्टम्स को तबाह कर सकता है. ब्रह्मोस के बाद ये एक ऐसी मिसाइल है जिसे इंडियन एयरफोर्स और नेवी के जेट्स सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं.

वीडियो: रखवाले: ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन का इस्तेमाल कैसे हुआ, एयरफोर्स ऑफिसर ने सब बता दिया

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