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तेजस की रफ्तार थमी अमेरिका में! अब रफाल वाला इंजन देगा नई उड़ान?

GE Aerospace पर जुर्माना लगने के बावजूद इंजन डिलीवरी में तेजी नहीं आई. HAL ने एक्स पर पोस्ट कर इन दावों का खंडन किया है. HAL का कहना है कि GE Aerospace के साथ बातचीत बिल्कुल ट्रैक पर है. Safran से उनकी कोई बात नहीं हुई है.

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तेजस में GE Aerospace का इंजन लगता है (PHOTO-Indian Air Force)

तेजस, इंडियन एयरफोर्स का वो विमान जिसकी डिलीवरी में देरी (Tejas Delivery Delay) का मुद्दा एयरफोर्स के चीफ भी उठा चुके हैं. इस देरी के पीछे कारण बताया गया अमेरिका से आने वाले GE Aerospace इंजन की डिलीवरी में देरी. इसलिए तेजस बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(HAL) चाहती है कि तेजस Mk2 में वो देरी न हो जो पहले हुई है. और यहीं एंट्री हुई है रफाल का इंजन बनाने वाली फ्रेंच कंपनी Safran की.

अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमेरिकी कंपनी की जगह अब भारत ने फ्रेंच कंपनी Safran से तेजस के इंजन को लेकर बातचीत शुरू की है. क्योंकि अमेरिकन कंपनी GE Aerospace पर जुर्माना लगने के बावजूद इंजन डिलीवरी में तेजी नहीं आई.   HAL ने एक्स पर पोस्ट कर इन दावों का खंडन किया है. HAL का कहना है कि GE Aerospace के साथ बातचीत बिल्कुल ट्रैक पर है. तो इसी बहाने ये समझ लेते हैं कि क्या अंतर है इन दोनों कंपनियों के इंजन में? लेकिन उससे पहले समझते हैं कि आखिर जेट इंजन होता क्या है जिसे बनाने में भारत को समस्या आ रही है.

जेट इंजन 

आज के जमाने में उड़ रहे लगभग सभी फाइटर जेट्स में 'टर्बोफैन इंजन' का इस्तेमाल होता है. इन इंजनों में एक बाईपास फैन और कोर इंजन का इस्तेमाल किया जाता है. बाईपास फैन इंजन के अंदर हवा भेजता है जिससे विमान को एक्सट्रा थ्रस्ट मिलता है. थ्रस्ट वो पावर होती है जो किसी चीज को आगे धकेलती है. और थ्रस्ट की तकनीक का बेसिक Issac Newton की उस थ्योरी से आता है जिसमें उन्होंने कहा था, Every Action has Equal and  Opposite Reaction. यानी जितना थ्रस्ट इंजन लगाएगा, उतनी ही ताकत से जेट ऊपर या आगे जाएगा. 

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टर्बोफैन इंजन कुछ इस तरह काम करता है (PHOTO-Wikipedia)

टर्बोफैन इंजन वाले विमानों में एयर इंटेक माने एक तरह की खिड़की होती है जो हवा को इंजन के अंदर भेजती है. इंजन के सबसे आगे के हिस्से में पंखे होते जो बाहर से आई हवा को इंजन के कोर और इर्द-गिर्द तक पहुंचाते हैं. इतने हाई प्रेशर पर जब हवा इंजन में जाती है, तब वो फ्यूल माने ईंधन के साथ मिक्स होती है और इंजन में कंबशन यानी एक तरीके का इग्निशन पैदा करती है. इससे इंजन में गर्म हवा या गैस बनती है जो टर्बाइन को घूमने की ताकत देता है. 

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रफाल फाइटर जेट में लगने वाला Snecma M88 टर्बोफैन इंजन (PHOTO-Safran)

टर्बाइन घूमने के साथ इंजन के अगले भाग पर लगे पंखे और कंप्रेसर घूमते हैं. जैसे ही ये प्रोसेस शुरू होता है, इंजन के पिछले भाग से उसके अंदर की गैस बाहर निकलने लगती है. इसी से पैदा होता है थ्रस्ट. और यहां काम करता है न्यूटन का लॉ. जितना अधिक थ्रस्ट होगा, विमान को उतनी ही अधिक ताकत मिलेगी. अब ये तो हुई इंजन की बात. अब जानते हैं अमेरिकन कंपनी GE Aerospace और फ्रेंच कंपनी Safran के इंजन के बारे में.

अमेरिकन बनाम फ्रेंच

फाइटर जेट इंजन की तकनीक जानने के बाद ये तो साफ है कि ये एक मुश्किल और महंगी तकनीक है. भारत अपना खुद का कावेरी नाम का इंजन बना रहा है. इसके पूरी तरह बनने में अभी समय है. लेकिन चुनौतियां इस देरी को देख कर रुक तो नहीं जाएंगी. पहलगाम हमला, फिर ऑपरेशन सिंदूर इस बात के गवाह हैं. इसलिए भारत ने पहले अमेरिकन कंपनी GE Aerospace से तेजस के इंजन के लिए करार किया. लेकिन अमेरिकन कंपनी ने कई कारणों का हवाला देकर लगातार इसकी डिलीवरी में देरी की. यही वजह है कि आज तक तेजस की सिर्फ 2 squadron ही वायुसेना में कमीशन हो पाई हैं. तो पहले समझते हैं कि क्या फीचर्स हैं GE Aerospace के जेट इंजन में.

GE Aerospace जेट इंजन

तेजस Mk1A विमान में GE Aerospace के F404-IN20 इंजन लगते हैं. GE Aerospace की वेबसाइट पर जाएं तो इस इंजन के बारे में उन्होंने जानकारी साझा की हुई है. ये F404 फैमिली का -IN20 मॉडल इंजन है. इसके फीचर्स को देखें तो 

  • ये इंजन 84kN का थ्रस्ट पैदा करता है. 
  • F404-IN20 इंजन की लंबाई 391 सेंटीमीटर है.
  • इसमें 70 किलोग्राम/प्रति सेकेंड के हिसाब से हवा फ्लो करती है. 
  • F404-IN20 इंजन का अधिकतम डायमीटर 89 सेंटीमीटर है. 
  • इंजन प्रेशर रेशियो 28:1 है. इंजन प्रेशर रेशियो या EPR का मतलब इंजन के इनलेट से लेकर एग्जॉस्ट नोजल तक, पूरे इंजन में प्रेशर वृद्धि का माप है.
Delivering for India Today and Into the Future | GE Aerospace News
GE Aerospace का  F404-IN20 इंजन (PHOTO-GE Aerospace)
Safran जेट इंजन

Safran फ्रांस की कंपनी है जो जेट्स के लिए इंजन बनाती है. इससे पहले भी भारत ने HAL ध्रुव के इंजन के लिए Safran के साथ करार हुआ था. ये वही कंपनी है जिसने दसॉ एविएशन के रफाल विमान के इंजन बनाए हैं. लेकिन यहां एक अंतर है. रफाल 2 इंजन वाला विमान है जबकि तेजस एक सिंगल इंजन विमान है. इसलिए जो इंजन Safran तेजस के लिए बनाएगी, उनकी क्षमता अधिक हो सकती है ताकि विमान को जरूरी थ्रस्ट मिल सके. Safran ने तेजस के लिए M88-4 इंजन बनाने का प्रस्ताव रखा है.

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ध्रुव हेलीकॉप्टर में Safran-HAL का इंजन लगा है (PHOTO-HAL)

ये रफाल को पावर देने वाले M88 इंजन का ही एक उन्नत वेरिएंट है. मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की तस्दीक की गई है कि Safran ने इस इंजन के साथ जॉइंट डेवलपमेंट और एडवांस टेक्नोलॉजी शेयरिंग का भी प्रस्ताव रखा है. यानी अभी तक ये इंजन अस्तित्व में नहीं है. क्योंकि अभी तक M88 इंजन रफाल या अन्य डबल इंजन विमानों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. और तेजस है सिंगल इंजन विमान. इसलिए अगर Safran से ये डील होती है तो तेजस के Mk-2 में यही इंजन लगाया जा सकता. अगर पुराने माने रफाल में लगने वाले इंजन को देखें तो-

  • ये इंजन अधिकतम 75kN का थ्रस्ट पैदा करता है. 
  • तेजस Mk2 के लिए इसके M88-4 वेरिएंट का इस्तेमाल होना है जो 95-105kN तक का थ्रस्ट जेनरेट करेगा. 
  •  मौजूदा M88 इंजन की लंबाई 353.8 सेंटीमीटर है.
  •  इसमें 65 किलोग्राम/प्रति सेकेंड के हिसाब से हवा फ्लो करती है. 
  • M88 इंजन का अधिकतर डायमीटर 69.6 सेंटीमीटर है.
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रफाल में Safran का इंजन लगा है (PHOTO-AajTak)

इंडियन एयरफोर्स की हालिया स्थिति देखें तो उसे जल्द से जल्द तेजस की जरूरत है. ये विमान कब तक डिलीवर होंगे, इसपर अभी भी संशय बना हुआ है. खबरों की मानें तो तेजस का Mk2 वेरिएंट पहले वाले की तरह लेट न हो, यही वजह है कि HAL पहले से ही एक ऐसा पार्टनर तलाश रही है जो समय पर काम पूरा कर के इंजन दे सके. Safran ने पहले भी भारत के हेलीकॉप्टर ध्रुव के लिए इंजन डेवलप किए हैं. लिहाजा HAL इस पार्टनर को आने वाले दिनों में अपने साथ शामिल कर सकती है.

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