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'मुस्लिम प्रोफेसर गिरफ्तार, लेकिन BJP मंत्री आजाद', इल्तिजा मुफ्ती का तंज

Iltija Mufti ने अपने एक्स पोस्ट में भारत में विचारशील मुसलमानों की आजादी पर सवाल उठाया है. उनका यह पोस्ट Colonel Sofiya Qureshi को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री Vijay Shah के आपत्तिजनक बयान और प्रोफेसर Ali Khan Mahmudabad की गिरफ्तारी को लेकर आया है.

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इल्तिजा मुफ्ती ने प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी पर सवाल किया. (X @IltijaMufti_)

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर एक तंजभरा पोस्ट किया है. इसके जरिए उन्होंने देश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं. इल्तिजा मुफ्ती ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद और मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई पर अपनी राय जाहिर की है.

इल्तिजा ने अपने एक्स पोस्ट में भारत में विचारशील मुसलमानों की आजादी पर सवाल उठाया है. उनका यह पोस्ट कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के आपत्तिजनक बयान और प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को लेकर आया है.

इल्तिजा ने एक्स पर लिखा,

"एक विद्वान मुस्लिम प्रोफेसर ने प्यार, सहनशीलता, स्वतंत्रता और करुणा जैसे अहम मूल्यों पर बात की. जबकि एक भाजपा विधायक ने कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहकर उनका अपमान किया. प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि भाजपा विधायक को खुला छोड़ दिया गया. ये सवाल उठता है कि क्या हम, जो सोच-समझकर और तर्क से काम करने वाले मुस्लिम हैं, नए भारत में तभी आजाद होंगे जब हम लोबोटॉमी करवाएंगे?"

लोबोटॉमी के बारे में बताएं तो यह दिमाग की सर्जरी थी. इसमें दिमागी बीमारी का इलाज करने के लिए चीरा लगाया जाता था. 1930-40 के दशक में इसका प्रचलन था, लेकिन इसके नतीजे अक्सर गलत होते थे. मतलब मरीज की दिमागी हालत और ज्यादा खराब हो सकती थी और पर्सनैलिटी बदल सकती थी. इसलिए अब मेडिकल में लोबोटॉमी सर्जरी नहीं की जाती है.

लेकिन इल्तिजा मुफ्ती ने यहां लोबोटॉमी लिख कर ये सवाल किया है कि तर्कशील लोगों को मानसिक रूप से सुस्त और निष्क्रिय हो जाना चाहिए. 

अब मुद्दे पर आते हैं, जिसकी तरफ इल्तिजा ने अपनी पोस्ट के जरिए इशारा किया है. प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को हरियाणा पुलिस ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विवादित पोस्ट करने के आरोप में 18 मई को गिरफ्तार किया था.

आरोप था कि पोस्ट के जरिये उन्होंने भारतीय सेना की महिला अधिकारियों- कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह का अपमान किया. FIR में उनके पोस्ट को ‘देश-विरोधी’ बताया गया है.

इसके उलट, बीजेपी के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को 'आतंकवादी की बहन' कहकर विवाद खड़ा कर दिया था. लेकिन आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार या पुलिस ने उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था.

विजय शाह के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सर्वोच्च अदालत ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है. फिलहाल, मंत्री विजय शाह गिरफ्तारी से बचे हुए हैं, जबकि प्रोफेसर महमूदाबाद को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.

दिलचस्प बात ये है कि दोनों के खिलाफ भारतीय न्याय सहिंता (BNS) के तहत एक जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.

  1. 152 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला काम)
  2. 196 (1)(b) (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना)
  3. 197 (1)(c) (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे)

प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के मामले में ये धाराएं हरियाणा भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेड़ी की शिकायत के आधार पर दर्ज FIR में लगाई गई हैं.

हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने जो शिकायत दी, उसके आधार पर महमूदाबाद के खिलाफ BNS की धारा 353 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान), 79 (किसी महिला को अपमानित करने के इरादे से शब्द, इशारा या काम) और 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाला काम) के तहत FIR दर्ज की गई है.

हालांकि, प्रोफेसर महमूदाबाद ने दावा किया कि उन्होंने अपने पोस्ट में कुछ भी गलत नहीं लिखा. उन्होंने जोर दिया कि उनके लिखे पोस्ट को गलत तरीके से समझा गया है.

प्रोफेसर महमूदाबाद के जिस पोस्ट को महिला सैन्य अधिकारियों के लिए अपमानजनक और देश-विरोधी बताया जा रहा है, वो उन्होंने 8 मई को लिखा था. इसमें उन्होंने लिखा है,

"मैं कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ करने वाले बहुत से दक्षिणपंथी विचारकों को देखकर बहुत खुश हूं, लेकिन शायद वे उतनी ही जोर से यह भी माग कर सकते हैं कि मॉब लिंचिंग, मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने और भाजपा के नफरत फैलाने के शिकार लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर सुरक्षा दी जाए. दो महिला सैनिकों का अपने निष्कर्षों को पेश करने का नजरिया महत्वपूर्ण है, लेकिन यह नजरिया जमीन पर हकीकत में बदलना चाहिए, वरना यह केवल दिखावा है."

उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य महिला आयोग ने जो समन उन्हें दिया है, वो ये बताने में नाकाम रहा कि उनका पोस्ट महिलाओं के अधिकारों या कानूनों के उलट कैसे है. उन्होंने कहा कि वे इस बात की तारीफ करते हैं कि कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया.

वीडियो: सवाल- प्रोफेसर खान के पोस्ट में क्या एंटी नेशनल था, रेणु भाटिया कोई जवाब ही नहीं दे पाईं