असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने भारत के संविधान से समाजवाद (Socialism) और धर्मनिरपेक्षता (Secularism) शब्द को हटाने की वकालत की थी. प्रदेश कांग्रेस ने उनके इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी के संविधान में भी वही शब्द हैं जिनका वह विरोध कर रहे हैं.
'बीजेपी के संविधान में सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म', बयानबाजी पर कांग्रेस ने उल्टा घेर लिया
BJP की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किए गए 24 पन्नों के 'संविधान और नियम' के पेज नंबर 1 पर लिखा है कि पार्टी भारत के संविधान और Socialism और Secularism के सिद्धांतों के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगी.

द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने कहा,
एक व्यक्ति जिसने भारत के संविधान की शपथ ली है. और इतने ऊंचे पद पर है, उसका इस तरह से बयान देना पद की गरिमा का अपमान है. मैं इसकी कड़ी आलोचना करता हूं.
सरमा ने 28 जून को एक बयान में दावा किया कि समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी अवधारणाएं (Western Ideas) हैं. इन शब्दों को संविधान से हटा दिया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि इन शब्दों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के दौरान संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया था. इन विचारों का भारतीय सभ्यता में कोई स्थान नहीं है.
असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने सीएम हिमंता पर पलटवार करते हुए कहा कि भगवा पार्टी के अपने संविधान में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द हैं. उन्होंने बताया,
बीजेपी की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किए गए 24 पन्नों के 'संविधान और नियम' के पेज नंबर 1 पर लिखा है कि पार्टी भारत के संविधान और समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगी.
कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने कहा,
बीजेपी ने अपने संविधान के पहले पन्ने पर लिखा है कि वह देश के संविधान और समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन करेगी. मुझे नहीं पता कि इन शब्दों को अपने संविधान में शामिल करने के बावजूद बीजेपी इसका विरोध क्यों कर रही है.

उन्होंने आगे दावा किया कि एक दशक पहले बीजेपी में शामिल होने वाले हिमंता बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. और किसी दूसरी पार्टी में जाने पर विचार कर रहे हैं.
RSS सरकार्यवाह के बयान के बाद विवादRSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में संविधान की प्रस्तावना को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द जोड़े गए. अब इन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए.
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लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस बयान को लेकर RSS और बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि एक बार फिर से RSS का नकाब उतर गया है. बीजेपी और RSS को संविधान नहीं मनुस्मृति चाहिए.
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