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मकान मालिक ने गेहूं की बोरियों में रखी सल्फास, किराएदार के परिवार का घुटा दम, बच्चों की मौत

Gwalior News: परिवार जिस कमरे में रहता था, उसके पास के एक कमरे में मकान मालिक ने करीब 25 क्विंटल गेहूं भरी बोरियां रखी हुई थीं. गेहूं में कीड़े न लगे, इसलिए मकान मालिक ने सल्फास की गोलियां बोरियों में डाल दी थीं.

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घटना से गुस्साए परिजनों ने किया चक्काजाम, मामले की जांच में जुटी पुलिस. (Photo: ITG)
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सर्वेश पुरोहित

गेहूं की बोरी में डाली गई दवाई नमी पाकर जहर बन गई. उससे जहरीली गैस निकली, जिसकी चपेट में आकर पूरे परिवार का दम घुटने लगा. हादसे में दो बच्चों की मौत हो गई. वहीं माता-पिता अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं. घटना मध्य प्रदेश के ग्वालियर की है.

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यहां के गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के पिंटो पार्क इलाके में सेनापति गार्डन स्थित घर में सत्येंद्र शर्मा अपने परिवार के साथ किराए पर रहते हैं. वह परिवार समेत सोमवार, 3 नवंबर को किसी रिश्तेदार के यहां गए थे. वापस आने पर सबने खाना खाया और सो गए. पहले उन्हें किसी चीज की बदबू आई, लेकिन उन्होंने नजर अंदाज कर दिया. गर्मी लगी तो कूलर चला लिया.

आधी रात को पूरे परिवार को सांस लेने में तकलीफ और उल्टियां होने लगीं. आसपास के लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया. अस्पताल में सत्येंद्र के 4 साल के बेटे वैभव ने उसी दिन दम तोड़ दिया. वहीं अगले दिन 15 साल की बेटी क्षमा की भी मौत हो गई. वहीं सतेंद्र और उनकी पत्नी की भी हालत गंभीर है. बताया जा रहा है कि सतेंद्र जिस कमरे में रहते थे, उसके पास के एक कमरे में मकान मालिक ने करीब 25 क्विंटल गेहूं को बोरियों में भरकर रखा हुआ था.

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गेहूं में कीड़े न लगें, इसलिए मकान मालिक ने Aluminum Phosphide की कीटनाशक दवा बोरियों में डाल दी थीं. इसे आम बोलचाल की भाषा में सल्फास कहा जाता है. शुरुआती जांच में पता चला है कि नमी की वजह से सल्फास की दवाई से जहरीली गैस निकलने लगी. वह गैस कूलर की हवा से कमरे में भर गई और पूरे परिवार का इसकी वजह से दम घुटने लगा. जनक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के क्रिटिकल केअर स्पेशलिस्ट, एमडी, डॉ मनीष गुप्ता ने आजतक को बताया,

सल्फास जब नमी या पानी के संपर्क में आता है तो यह बेहद जहरीली गैस - फॉस्फीन (Phosphine Gas, PH₃) बनाता है. यह एक रंगहीन गैस होती है, जिसकी गंध सड़ी हुई मछली या लहसुन जैसी होती है. यह गैस फेफड़े, दिल और दिमाग को प्रभावित करती है. शुरुआत में इसके संपर्क में आने से उल्टी, पेट दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मुंह या होंठ सूखने जैसी शिकायत हो सकती है. इसका कोई एंटीडोट यानी सीधा इलाज नहीं है. केवल अस्पताल में सपोर्टिव सिस्टम पर रखकर लक्षणों का इलाज किया जा सकता है. इसकी थोड़ी मात्रा भी सांस के जरिए शरीर में जाती है तो मल्टी ऑर्गन फेलियर हो सकता है. इससे इलाज करने में बेहद परेशानी आती है.

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परिजनों ने किया हंगामा

इधर, घटना से पीड़ित परिवार के परिजनों में आक्रोश फैल गया है. उन्होंने अस्पताल के बाहर और सड़क पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया और मकान मालिक पर हत्या की FIR दर्ज करने और मुआवजा देने की मांग की. वहीं पूरे मामले पर पुलिस का कहना है कि वह जांच कर रही है. जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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