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फर्जी कागजात, पुलिस की नकली मोहरें और बेल बॉन्ड, फर्जी जमानत गैंग की करतूत जान चौंक जाएंगे

Fake Bail Gang Busted in Ghaziabad: यह गिरोह बीते छह वर्षों से फर्ज़ी दस्तावेज बनाकर काम कर रहा था. अब तक लगभग 600 से 700 अपराधियों की फर्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर ज़मानत कराई गई है.

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पुलिस की गिरफ्त में आरोपी. (फोटो- आजतक)
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मयंक गौड़

पुलिस ने एक ज़मानत दिलाने वाली गैंग का भंडाफोड़ किया है (Fake Bail Gang Member Arrested). गैंग के लोग जेल में बंद अपराधियों के फर्ज़ी काग़ज़ात बनाकर ज़मानत करवाते थे. इसकी एवज में अपराधियों से पैसा वसूला करते थे. अभी तक वे सैकड़ों लोगों की इसी तरीके से बेल करवा चुके हैं. आरोपियों के पास से भारी मात्रा में फर्ज़ी डॉक्यूमेंट्स ज़ब्त किए गए हैं. पुलिस ने गैंग के सात लोगों को गिरफ्तार किया है. 

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला गाज़ियाबाद का है. गैंग के लोगों को गाज़ियाबाद की क्राइम ब्रांच और थाना कविनगर पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए पकड़ा है. पुलिस के मुताबिक यह गिरोह फेक खतौनी और आधार कार्ड बनाकर अदालत में दस्तावेज़ जमा कराता था. गिरोह ने अब तक लगभग 600 से 700 अपराधियों की फर्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर ज़मानत कराई है.

Ghaziabad Bail Gang
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी. (फोटो- आजतक)

पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के आधार पर बताया कि गैंग बीते छह वर्षों से फेक डॉक्यूमेंट बनाकर काम कर रहा था. अपराधियों से ज़मानत राशि के लिए 5 से 10 हजार रुपये लिए जाते थे. इसके बाद लैंड-रिकॉर्ड से खतौनी निकालकर फेक आधार कार्ड बनवाया जाता था. फिर दस्तावेजों पर CSC जन सेवा केंद्र की मुहर लगाकर प्रमाणित किया जाता. थाने की मोहर भी खुद लगाकर फर्ज़ी जमानत की प्रक्रिया करते थे.

गिरफ्तार आरोपियों के कब्ज़े से लैपटॉप, 21 फर्ज़ी आधार कार्ड, 18 फर्ज़ी खतौनी, 5 बिना भरे बेल बॉण्ड, 5 रसीद टिकट, 10 फर्ज़ी मुहरें और स्टैंप पैड बरामद हुआ है.पुलिस अब इस गिरोह के अन्य फरार सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए अभियान चला रही है.

Ghaziabad Bail Gang Arrest
पुलिस ने आरोपियों के पास से बरामद की फर्ज़ी मुहरें. (फोटो- आजतक)

पुलिस की पहचान अनोज यादव (मेरठ), इसरार (गाज़ियाबाद), बबलू (मोदीनगर), लोकेंद्र (मोदीनगर), राहुल शर्मा, सुनील कुमार और विकास राजपूत के तौर पर हुई है. मुख्य आरोपी अनोज यादव है. उसने पुलिस को बताया कि वह पहले नोएडा की एक कंपनी में डिज़ाइनर सुपरवाइज़र था. लेकिन नौकरी जाने के बाद से वह इस काम में जुट गया. गिरोह में शामिल विकास उर्फ सम्राट फर्ज़ी काग़ज़ात तैयार करता था.

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