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शंभू बॉर्डर पर मार्च शुरू होते ही दगने लगे आंसू गैस के गोले, किसानों ने बदला प्लान

Farmers Protest Delhi March: पुलिस ने दावा किया है कि ये किसान 101 किसानों के नियोजित समूह के रूप में नहीं, बल्कि एक भीड़ के रूप में आगे बढ़ रहे थे. हालांकि, किसानों ने इन दावों से इनकार किया है. टेंशन बढ़ गई तो फिर किसानों ने क्या फैसला किया?

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हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोल छोड़े हैं. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)

हरियाणा-पंजाब के किसानों ने रविवार, 8 नवंबर की सुबह ‘दिल्ली चलो’ मार्च की शुरुआत की (Farmers Protest Delhi Chalo March). लेकिन हरियाणा पुलिस चाहती है कि इन्हें शंभू बॉर्डर से आगे ना जाने दिया जाए. इसके लिए पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे हैं. इन प्रदर्शनकारी किसानों में किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा ग्रुप्स के 101 किसान शामिल हैं.

रविवार को जब मार्च शुरू हुआ तो हरियाणा पुलिस ने किसानों से कहा कि अगर विरोध प्रदर्शन जारी रखना है, तो इसके लिए ज़रूरी मंजूरी चाहिए होगी. उन्होंने मंजूरी के लिए दस्तावेज मांगे. ऐसे में किसानों और प्रदर्शनकारियों के बीच बहस हो गई. इंडिया टुडे की ख़बर के मुताबिक़, एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा,

पुलिस पहचान पत्र मांग रही है. लेकिन उन्हें गारंटी देनी चाहिए कि वो हमें दिल्ली जाने देंगे. वो कहते हैं कि दिल्ली जाने की मंजूरी नहीं है. फिर हम पहचान पत्र क्यों दें? अगर वो हमें दिल्ली जाने देंगे, तो हम उन्हें पहचान पत्र देंगे.

वहीं, पुलिस ने दावा किया है कि ये किसान 101 किसानों के नियोजित समूह के रूप में नहीं, बल्कि एक भीड़ के रूप में आगे बढ़ रहे थे. उन्होंने कहा कि पहचान वेेरिफाई होने के बाद ही किसानों को आगे बढ़ने दिया जाएगा. पुलिस ने कहा,

हमारे पास 101 किसानों की लिस्ट है. लेकिन ये वही लोग नहीं हैं. वो हमें अपनी पहचान सत्यापित नहीं करने दे रहे हैं और भीड़ के रूप में आगे बढ़ रहे हैं.

हालांकि, किसानों ने इससे इनकार किया है. उनका कहना है कि किसानों ने पुलिस को कोई लिस्ट नहीं दी है. बहरहाल, शंभू बॉर्डर पर अभी कि स्थिति ये है कि पुलिस की ओर से प्रतिरोध का सामना करने के बाद किसानों ने फिलहाल अपना प्लान बदल दिया है. अब आज दिल्ली चलो मार्च आगे नहीं जाएगा.

शंभू बॉर्डर धारा 163 क्यों लगाई गई?

बताते चलें, किसानों के दिल्ली की ओर फिर से मार्च करने के प्रयास को देखते हुए, पंजाब-हरियाणा सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए बैरिकेड्स भी लगा दिए गए हैं. सीमा पर धारा 163 (जिसे पहले धारा 144 कहा जाता था) लगा दी गई है. इसके तहत 5 से ज़्यादा लोगों के इक्ट्ठा होने पर रोक है. 

शंभू के अलावा, पंजाब-हरियाणा के बीच खनौरी सीमा को भी चार स्तरीय कड़ी सुरक्षा के तहत सील कर दिया गया है. यहां 13 टुकड़ियां तैनात की गई हैं. इस मार्च से पहले किसान नेता सरवन सिंह पंधेर की प्रतिक्रिया आई थी. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, उन्होंने आरोप लगाया कि AAP के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार, केंद्र सरकार के साथ मिली हुई है और उनके ख़िलाफ़ काम कर रही है. पंधेर ने सवाल किया कि विरोध स्थल पर मीडिया को क्यों रोका जा रहा है.

इससे पहले, 6 दिसंबर को पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले दागे जाने के बाद, कुछ किसान घायल हो गए थे. 7 दिसंबर को प्रदर्शनकारी किसान इंतजार में थे कि क्या केंद्र इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत शुरू करेगा. लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. इसके बाद किसानों ने फिर दिल्ली की तरफ़ बढ़ने का फ़ैसला किया है.

किसानों की मांगें क्या हैं?

किसानों की मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) के लिए कानूनी गारंटी तो है ही. साथ ही, कृषि ऋण माफ़ी, किसानों और खेत पर काम करने वाले मज़दूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न करने, किसानों के ख़िलाफ़ पुलिस केस वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग की जा रही है. इसके अलावा, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में हुए आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवज़ा देना भी  मांगों का हिस्सा है.

वीडियो: किसान आंदोलन के बीच संसद में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने MSP को लेकर क्या बड़ा वादा कर दिया?