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GITN: अयोध्या का फैसला ऑथरलेस क्यों था? पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने वजह बताई

हाल ही में इस मुद्दे पर सीनियर एडवोकेट मुरलीधर ने अपनी राय जाहिर की थी. बीती 10 सितंबर के दिन एक कार्यक्रम के दौरान ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस मुरलीधर ने अयोध्या वर्डिक्ट को 'ऑथरलेस' यानी ‘बिना लेखकों के नाम वाला फैसला’ बताया था.

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पूर्व CJI ने कहा कि ये मसला कोई आम मसला नहीं था. (फोटो- लल्लनटॉप)

भारत के पूर्व CJI धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ दी लल्लनटॉप के चर्चित शो ‘गेस्ट इन दी न्यूजरूम’ (GITN) में इस बार के मेहमान थे. बातचीत में पूर्व CJI ने अपने करियर के कई महत्वपूर्ण फैसलों पर अपने विचार साझा किए. अयोध्या मामले से लेकर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम तक पर भी उन्होंने अपनी राय रखी. इंटरव्यू के दौरान उनसे अयोध्या विवाद के फैसले पर भी सवाल पूछा गया.

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हाल ही में इस मुद्दे पर सीनियर एडवोकेट मुरलीधर ने अपनी राय जाहिर की थी. बीती 10 सितंबर के दिन एक कार्यक्रम के दौरान ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस मुरलीधर ने अयोध्या वर्डिक्ट को 'ऑथरलेस' यानी ‘बिना लेखकों का फैसला’ बताया था. दी लल्लनटॉप के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने जब इसे लेकर पूर्व CJI चंद्रचूड़ से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा,

“ये मैंने भी पढ़ा था. कई जज अपने अपॉइंटमेंट के बाद समाज सुधारक बन जाते हैं. शायद वो समाज सुधारक बनना चाहते हैं. जो उन्होंने कहा है मैं उससे बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं. उनकी राय, उनकी राय है. उन्होंने जो कहा है बिल्कुल ठीक नहीं है.”

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पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने बिना लेखकों के नाम वाले फैसले पर कहा,

“ऑथरलेस फैसला क्यों था ये समझना बहुत जरूरी है. इस मसले को 100 साल से भी ज्यादा समय बीत चुका था. जब हमने इस पर फैसला किया, तो सारे जजों में चर्चा हुई. उस वक्त हमने तय किया कि इस फैसले में हम ये नहीं लिखेंगे कि जजमेंट किसने लिखा है.”

इसका कारण बताते हुए पूर्व CJI ने कहा कि ये मसला कोई आम मसला नहीं था. समाज में इसको लेकर कितना तनाव हुआ था, इसके बारे में हम सब को पता है. इसलिए सब ने सोचा कि जो भी निर्णय हो पर एक आवाज में हमे इसे सामने रखेंगे. पूर्व CJI ने आगे कहा,

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“वो कहते हैं कि एक वजह है कि 9 नवंबर को जस्टिस गोगोई का रिटायरमेंट था, तो क्या फर्क पड़ता मामला चलता. अरे... ये कोई मजाक है. वो जज रहे हैं. इसलिए मुझे ताज्जुब हुआ. कोई बाहर का व्यक्ति कहे तो ठीक भी है. आपने पूरा मामला सुना है. सुनवाई के दौरान मीडिएशन चल रहा था… उन्हें पूरा मौका दिया गया. और कोई हल नहीं निकला.”

पूर्व CJI ने बताया कि मीडिएशन में कोई हल नहीं निकला था, तो हम ये कैसे कहते कि 10-15 साल और चलने दीजिए. लोग हंस पड़ते कि ये सुप्रीम कोर्ट है कि क्या है! जस्टिस चंद्रचूड़ ने अंत में कहा कि कई बार सोशल मीडिया को देखकर अपनी राय बनाना गलत होता है.

GITN का ये फुल एपिसोड आप जल्दी ही लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल पर देख सकेंगे.

वीडियो: पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बने NLU में प्रोफेसर, अब इस नई जिम्मेदारी में आएंगे नजर

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