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इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख पहले से खांस रही दिल्ली का दम घोट देगी?

Ethiopia Volcanic Ash Delhi AQI: जानकारों के मुताबिक, राख की ऊपर की पतली परत बादल की तरह काम कर सकती है, जिससे रात का तापमान थोड़ा बढ़ सकता है. इसके अलावा, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का बढ़ा हुआ स्तर, हिमालय जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए और भी ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है.

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इथियोपिया से निकली राख 24 नवंबर की रात करीब 11 बजे दिल्ली पहुंच गई. (फोटो- इंडिया टुडे)

इथियोपिया का 'हेली गुब्बी' ज्वालामुखी लगभग 12,000 सालों बाद ऐसा 'दहाड़ा' है कि दुनिया हिल गई है. स्थानीय लोग तो इससे डरे ही हुए हैं, अन्य देशों में भी खलबली मची है. भारत समेत कई देशों की एयरलाइंस को अपने विमानों के रूट में अचानक बदलाव करने पड़े हैं. क्योंकि ज्वालामुखी में हुए विस्फोट के बाद 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ी राख कई देशों की सीमाओं को पार करेगी. एविएशन सेक्टर इसे लेकर बहुत ज्यादा आशंकित है. वहीं दिल्ली जैसी प्रदूषित जगहों पर एक और संकट खड़ा होने की आशंका जताई जा रही है.

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दरअसल, हेली गुब्बी ज्वालामुखी से उड़ी राख के दिल्ली-जयपुर तक पहुंचने की बात कही जा रही है. कई लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि अगर ऐसा होता है तो इससे भारत की राजधानी में प्रदूषण का स्तर यानी AQI 1000 से 2000 तक जा सकता है. यहां पॉल्यूशन लेवल पहले से ही 400 के आसपास बना हुआ है. हालांकि, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का कहना है कि ज्वालामुखी से चिंतित होने की कोई बात नहीं है.

दिल्ली में कहर बरपाएगी ज्वालामुखी राख?

ज्वालामुखी से निकली राख में सेहत के लिए हानिकारक सल्फर डाइऑक्साइड भी मौजूद है. 24 नवंबर की रात करीब 11 बजे ये राख इथियोपिया से 4300 किलोमीटर दूर दिल्ली के आसमान पर भी छा गई. दिल्लीवासी पहले से ही भारी प्रदूषण के कारण गले में खराश और आखों में पानी की समस्या से जूझ रहे थे. ऐसे में इथियोपिया से ज्वालामुखी की राख के गुबार के आने की खबर ने चिंता और बढ़ा दी है. मंगलवार सुबह 8 बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 435 तक पहुंच गया.

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IMD के मौसम विज्ञान के डायरेक्टर जनरल डॉ. मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख धीरे-धीरे इथियोपिया से यमन और ओमान की ओर बढ़ी. फिर अरब सागर की ओर बढ़ी. कल, 24 नवंबर की शाम तक ये गुजरात-राजस्थान क्षेत्र तक पहुंच गई. धीरे-धीरे आधी रात तक ये दिल्ली और उत्तर भारत की ओर बढ़ गई और अब पूर्वी भारत की ओर बढ़ रही है.

हालांकि मौसम वैज्ञानिकों ने साफ किया है कि इस राख से दिल्ली को कोई खतरा नहीं है. डॉ. मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक, ज्वालामुखी की राख का गुबार वायुमंडल के ऊपरी क्षोभमंडल तक ही सीमित रहेगा. इसका सतह पर मौसम या वायु गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. आज, 25 नवंबर की शाम ज्वालामुखी की राख का गुबार 100-150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पूर्वी भारत की ओर बढ़ रहा था. 

उन्होंने आगे कहा,

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हमारा अनुमान है कि शाम 7:30 से 8 बजे तक ज्वालामुखी की राख का गुबार पूरे भारतीय क्षेत्र से निकलकर चीन की ओर बढ़ जाएगा... राख का बादल वायुमंडल के ऊपरी क्षोभमंडल तक सीमित है. क्षोभमंडल वायुमंडल की सबसे निचली परत है. ये जमीन से लेकर अंतरिक्ष में लगभग 15 किलोमीटर (लगभग 50,000 फीट) तक फैला हुआ है.

जानकारों का कहना है कि चूंकि राख का बादल आकाश में काफी ऊपर, 25,000 से 45,000 फीट की ऊंचाई पर है, इसलिए उम्मीद है कि इससे जमीनी स्तर पर वायु प्रदूषण में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होगी. लेकिन थिंक टैंक एनवायरोकैटालिस्ट्स के संस्थापक और प्रमुख विश्लेषक सुनील दहिया की इस पर थोड़ी सी अलग राय है. 

उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा,

ज्वालामुखी की राख में धूल, सिलिका, चट्टानी पदार्थ और अन्य खनिज होते हैं. ये स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं. दिल्ली के ऊपर से गुजरते समय ज्वालामुखी की राख प्रदूषण के स्तर में अचानक बढ़ोतरी का कारण बन सकती है. इससे वायु की गुणवत्ता और भी खराब हो सकती है.

ये भी पढ़ें- ज्वालामुखी से निकली राख का एयरलाइंस पर क्या असर?

वहीं, इस राख की ऊपर की पतली परत बादल की तरह काम कर सकती है, जिससे रात का तापमान थोड़ा बढ़ सकता है. इसके अलावा, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का बढ़ा हुआ स्तर, हिमालय जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए और भी ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है.

वीडियो: इथियोपिया में ज्वालामुखी फटा, राख का बादल दिल्ली तक पहुंचा, AQI 400 के पार

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