नेपाल, चीन और भारत में 7 जनवरी की सुबह 6 बजकर 35 मिनट के आसपास भूकंप के झटके महसूस किए गए. भारत के बिहार, झारखंड, सिक्किम, असम, बंगाल और दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र नेपाल-तिब्बत सीमा के पास के शिजांग में था. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 7.1 नापी गई. अब तक इस भूकंप की वजह से तिब्बत में 53 लोगों की मौत हो गई है जबकि 68 लोग घायल हैं.
Earthquake: दिल्ली से बिहार तक भूकंप के झटके, तिब्बत-नेपाल में भी धरती कांपी, 53 से ज्यादा मौतें
Earthquake in Delhi-NCR: भूकंप का केंद्र नेपाल-तिब्बत सीमा के पास के शिजांग में था. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 7.1 नापी गई. भूकंप के झटके भारत की राजधानी दिल्ली से लेकर बिहार तक महसूस किए गए.

आजतक की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के मोतिहारी और समस्तीपुर, बंगाल के माल्दा और सिक्किम में भी धरती हिलती रही. कहा जा रहा है कि लगभग 5 सेकेंड तक झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक नेपाल-तिब्बत बॉर्डर के पास मौजूद शिजांग से शुरू हुए इस भूकंप ने काफी लंबे क्षेत्र को कवर कर लिया. इससे पहले 6 जनवरी की शाम 7 बजे भी शिजांग में रिक्टर स्केल पर 4.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने चीनी अधिकारियों के हवाले से बताया कि इसके अलावा तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगात्से में भी 6.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया.
क्यों आते हैं भूकंपधरती के नीचे 7 टेक्टोनिक प्लेट्स हैं. इन 7 प्लेट्स में कई प्लेट्स अक्सर एक दूसरे से रगड़ खाती हैं. कभी-कभी एक दूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर जाती हैं. लिहाजा इस वजह से वो जमीन हिलने लगती है जिसपर हम रहते हैं. इसे नापने के लिए एक स्केल का इस्तेमाल होता है जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहते हैं.
रिक्टर स्केल पर 1 से 9 के बीच में भूकंप को नापा जाता है. स्केल पर जितनी अधिक संख्या होगी, भूकंप उतना ही तीव्र होता है. हालिया भूकंप 7.1 का था. यानी ये काफी तेज भूकंप. 40 किलोमीटर के दायरे में इसके झटकों को काफी तेजी महसूस किया गया.
इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार कुमार कुणाल की रिपोर्ट के अनुसार उसी क्षेत्र में सुबह 7 बजकर 44 मिनट तक कुल 6 भूकंप के झटके दर्ज किए गए. इनमें सबसे खतरनाक झटका सुबह 6 बजकर 35 मिनट से 6 बजकर 40 मिनट के बीच का था जिसकी तीव्रता 7.1 नापी गई थी.
सबसे खतरनाक भूकंपनेपाल के लोग 2015 में आया भूकंप नहीं भूल पाते. 25 अप्रैल 2015 को राजधानी काठमांडू के पास 7.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. इस भूकंप की वजह से लगभग 9 हजार लोगों की जान चली गई थी. 5 लाख से अधिक घर तबाह हो गए थे. पहला झटका आने के बाद लोगों को लगा कि अब सब ठीक हो जाएगा. पर इसके कुछ ही देर बाद दो और 6.6 और 6.7 तीव्रता के झटके आए.
विशेषज्ञ कहते हैं किया हिमालय का क्षेत्र दुनिया के सबसे एक्टिव सेस्मिक क्षेत्रों में से एक है. यानी यहां भूकंप आने की संभावना बाकी क्षेत्रों के मुकाबले कहीं अधिक है.
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