दिल्ली हाई कोर्ट में उस वक्त हलचल मच गई जब एक वकील मुंह पर टेप चिपकाकर पहुंचा. उसके रवैये पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई है. बताया गया है कि वकील ने कंटेम्प्ट केस की सुनवाई के दौरान अपने मुंह पर लाल टेप चिपका रखा था. उसने दावा किया कि ये टेप इस बात का प्रतीक है कि केस की बहस के दौरान उन्हें ‘चुप करा दिया गया’ था.
दिल्ली हाई कोर्ट में मुंह पर लाल टेप चिपकाकर पहुंचा वकील, वजह बताई तो क्लास लग गई
बेंच ने कहा कि कई मौकों पर वकील द्वारा की गई दलीलें अत्यधिक लंबी और बार-बार दोहराई जाने वाली हो गई थीं. इसलिए याचिकाकर्ता के मामले को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने वकील से आगे दलील देना बंद करने का अनुरोध किया था.


लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक 1 दिसंबर को कोर्ट में एक मामले की सुनवाई चल रही थी. इसमें दिल्ली सरकार की तरफ से एक सीनियर काउंसिल भी पेश हुए थे. तभी एक वकील आरके सैनी कोर्टरूम में आए. उन्हें देखकर वकील से लेकर जज तक अचरज में पड़ गए. सैनी का मुंह बंद था, क्योंकि उन्होंने होंठों पर लाल टेप चिपका रहा खा.
दरअसल पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के सीनियर अफसरों के खिलाफ कंटेम्प्ट कार्रवाई शुरू करने का इरादा जाहिर किया था. उस सुनवाई में वकील आरके सैनी भी शामिल थे. कोर्ट का कहना है कि उनकी दलीलें लंबी और दोहराव वाली हैं, लिहाजा कोर्ट ने उनसे आगे और दलीलें नहीं देने का अनुरोध किया था. इसी के बाद अगली सुनवाई में वकील मुंह पर टेप लगाकर कोर्ट पहुंचे थे.
जस्टिस नितिन वासुदेव संभ्रे और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने मामले की फिर सुनवाई की. इस दौरान बेंच ने कहा,
"याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील श्री आरके सैनी के पास कम से कम 25 साल का अनुभव है. वो कोर्ट रूम में आराम से घुसते हुए अपने होंठों पर लाल स्टिकफास्ट टेप चिपकाए हुए आए. विपक्ष की ओर से प्रस्ताव (ऑफर के रूप में) पेश किया गया. वकील जैन ने इस प्रस्ताव को कोर्ट और दूसरी पार्टी के सामने समझाया. जब उनसे पूछा गया तो याचिकाकर्ता के वकील आरके सैनी ने अपने होंठों से वो लाल टेप हटाया. पहले हमें लगा कि शायद उनके चेहरे पर कोई चोट है. पूछने पर सैनी ने बताया कि पिछली दो सुनवाइयों में कोर्ट ने उन्हें उनकी दलीलें बीच में ही रोक दिया था, इसलिए उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से अपने होंठों पर लाल टेप चिपका रखा था कि उन्हें चुप करा दिया गया है."
बेंच ने कहा कि पिछले कुछ मौकों पर वकील द्वारा की गई दलीलें अत्यधिक लंबी और बार-बार दोहराई जाने वाली हो गई थीं. याचिकाकर्ता के मामले को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने वकील से आगे दलील देना बंद करने का अनुरोध किया था. ताकि दूसरे पक्ष की बात भी सुनी जा सके. इसके बाद बेंच ने कहा,
“इस संदर्भ में वकील सैनी का आज कोर्ट में आचरण बिल्कुल ठीक नहीं था. उन जैसे वकील से इस तरह का व्यवहार अपेक्षित नहीं था. उनके इस व्यवहार को देखते हुए कोर्ट उनके खिलाफ उचित आदेश पारित करने के लिए बाध्य हो सकता था, लेकिन उनकी स्टैंडिंग को ध्यान में रखते हुए बेंच ने खुद को ऐसा आदेश पारित करने से रोका.”
हालांकि बेंच ने ये भी कहा कि वो वकील आरके सैनी के इस अशोभनीय और अनुचित आचरण पर अपनी कड़ी नाराजगी रिकॉर्ड पर दर्ज करती है.
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