5 जनवरी, 2009. दिल्ली की एक सड़क पर खून से लथपथ लोहे का बक्सा देखा गया. पुलिस ने जब उसे खोला, तो उसमें लगभग 30-35 साल के एक शख्स का शव मिला. बिना सिर वाला शव. मृतक की पहचान हरीश चंद के तौर पर हुई. हत्या का आरोप लगा उनके चचेरे भाई बनारसी लाल और उनके दोस्त आशिक अली पर. बनारसी लाल को तो जल्द ही गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन आशिक लापता हो गया. अब 16 साल बाद आशिक कानून के हत्थे चढ़ा है.
16 साल से गायब मर्डरर सूरत से गिरफ्तार, दिल्ली में बक्से में मिली थी सिर कटी लाश
Delhi Police की क्राइम ब्रांच ने आरोपी को गुजरात के Surat से गिरफ्तार कर लिया. पता चला कि पेशे से दर्जी आरोपी पिछले चार सालों से अपने परिवार के साथ सूरत में रह रहा था.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसे 5 नवंबर को गुजरात के सूरत से गिरफ्तार कर लिया. पता चला कि पेशे से दर्जी आशिक पिछले चार सालों से अपने परिवार के साथ सूरत में रह रहा था.
क्या है पूरा मामला?पुलिस ने बताया कि 2009 में, दिल्ली के बिंदापुर एक्सटेंशन में एक वृद्धाश्रम के पास बंद बक्से में एक शव मिला था. बिंदापुर थाने में एक FIR दर्ज की गई और शव की पहचान हरीश (पिता हरिप्रकाश) के तौर पर हुई. उसी दिन, हरि प्रकाश की पत्नी ने उन्हें बताया कि हरीश, बनारसी के साथ उसकी मोटरसाइकिल पर गया है और अभी तक घर नहीं लौटा.
दोपहर में हरि को अपने बेटे के मोबाइल नंबर से एक फोन आया. फोन करने वाले ने हरीश की रिहाई के लिए पैसे मांगे, लेकिन जब हरि ने रकम पूछी तो फोन काट दिया. उसी शाम, पुलिस ने हरि को बताया कि बिंदापुर में एक सिरकटी लाश मिली है.
8 जनवरी को, हरि ने अपने बेटे के हाथ-पैर पहचानकर उसकी पहचान की. पोस्टमॉर्टम जांच में पता चला कि हरीश की हत्या हुई है. 6 फरवरी को हरीश का कटा हुआ सिर चाणक्य प्लेस की झाड़ियों से बरामद किया गया. यानी शव मिलने के करीब एक महीने बाद.
मामला कोर्ट पहुंचा. पुलिस जांच में हरीश के चचेरे भाई बनारसी का नाम सामने आया. पता चला कि बनारसी ने ही पैसों के लेन-देन के विवाद में कथित तौर पर उसकी हत्या की थी. और इस काम में साथ दिया था बनारसी के दोस्त आशिक ने. 2022 में कोर्ट ने बनारसी को उम्रकैद की सजा सुनाई. जबकि आशिक अब भी लापता था.
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4 नवंबर, 2025 को क्राइम ब्रांच की एक टीम ने आशिक अली को सूरत में खोज निकाला. अगले दिन, उसे सूरत के भैया नगर से गिरफ्तार कर लिया गया, जहां वह पिछले चार सालों से अपने परिवार के साथ रह रहा था.
DCP (क्राइम ब्रांच) आदित्य गौतम ने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि उसके करीबी दोस्त बनारसी का हरीश से पैसों को लेकर विवाद हुआ था. पैसे को लेकर मृतक और बनारसी के बीच कहासुनी हुई और उन्होंने हरीश की हत्या कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. उन्होंने बताया कि घटना के बाद, आशिक अपना ठिकाना बदलता रहा.
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