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दिल्ली की कोर्ट ने कोच गौतम गंभीर से जुड़ी जांच फिर से खोली, क्या है मामला?

आदेश में कोर्ट ने बताया कि गंभीर ने ब्रांड एंबेसडर की अपनी भूमिका से परे कंपनी के साथ वित्तीय लेन-देन किया था.

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कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अपराधों और आरोपपत्र में संबंधित साक्ष्यों के संबंध में प्रत्येक आरोपी के खिलाफ आरोपों पर एक नया विस्तृत आदेश पारित किया जाए. (फोटो- PTI)

फ्लैट खरीदारों से कथित धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली की एक कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर और इंडियन क्रिकेट टीम के हेड कोच गौतम गंभीर से जुड़ी जांच फिर से खोल दी है (Delhi court orders fresh probe against Gautam Gambhir). स्पेशल जज ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए कहा कि ये गंभीर के खिलाफ आरोपों पर फैसला करने में “अनुचित बर्ताव” को दर्शाता है.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक स्पेशल जज विशाल गोगने ने 29 अक्टूबर को दिए आदेश में कहा,

"गंभीर पर लगे आरोप मामले में उनकी भूमिका को लेकर आगे जांच किए जाने के योग्य भी हैं."

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बता दें कि रियल एस्टेट कंपनियों रुद्र बिल्डवेल रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड, एचआर इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड, यूएम आर्किटेक्चर एंड कॉन्ट्रैक्टर्स लिमिटेड और गंभीर के खिलाफ कथित धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था. गंभीर इन कंपनियों के डायरेक्टर और ब्रांड एंबेसडर भी थे.

मामले की सुनवाई में जज ने कहा,

“गंभीर एकमात्र ऐसे आरोपी थे जिनका ब्रांड एंबेसडर के रूप में निवेशकों से सीधा संपर्क था. लेकिन मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश में गंभीर को रुद्र बिल्डवेल रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड को 6 करोड़ रुपये का भुगतान करने और कंपनी से 4.85 करोड़ रुपये प्राप्त करने का कोई संदर्भ नहीं था.”

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जज ने कहा,

"चार्जशीट में ये स्पष्ट नहीं किया गया था कि रुद्र बिल्डवेल द्वारा उन्हें वापस दी गई रकम का कोई संबंध संबंधित परियोजना में निवेशकों से मिले फंड से था. क्योंकि आरोप धोखाधड़ी के अपराध से संबंधित थे, इसलिए आरोप पत्र में ये स्पष्ट किया जाना आवश्यक था कि क्या ठगी गई रकम का कोई हिस्सा गंभीर के हाथ में आया था."

आदेश में कोर्ट ने कहा कि गंभीर ने ब्रांड एंबेसडर की अपनी भूमिका से परे कंपनी के साथ वित्तीय लेन-देन किया था. इतना ही नहीं वो 29 जून, 2011 से 1 अक्टूबर, 2013 के बीच वो कंपनी के एडिशनल डायरेक्टर रहे थे. कोर्ट ने आगे कहा,

“जब प्रोजेक्ट का एड दिया गया था, तब गंभीर ऑफिस बियरर थे.”

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि गंभीर को की गई अधिकांश रीपेमेंट 1 अक्टूबर, 2013 को एडिशनल डायरेक्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद हुआ. इसलिए, अदालत ने मामले को मजिस्ट्रेट अदालत को वापस भेज दिया है. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अपराधों और चार्जशीट में संबंधित साक्ष्यों के संबंध में प्रत्येक आरोपी के खिलाफ आरोपों पर एक नया विस्तृत आदेश पारित किया जाए.

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