ठंड का आगाज है और दिवाली की अगली सुबह भी आ चुकी है. रात की आतिशबाजी का असर सुबह की धुंधली हवाओं में साफ नजर आ रहा है. दिवाली की शाम यानी 20 अक्टूबर को जब लोग दीवाली मना रहे थे, उस समय तक राजधानी दिल्ली में AQI (air quality index) लेवल 345 तक पहुंच गया. यानी बेहद खराब. इतना ही नहीं, दिल्ली के 38 में से कुल 34 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर दूषित हवा का स्तर ‘रेड जोन’ में रिकॉर्ड किया गया. इसे सिर्फ खराब ही नहीं घातक भी माना जाता है.
दिवाली बीतने के बाद और 'घातक' हुई दिल्ली की हवा, कई इलाकों में AQI 400 के पार
दिल्ली में सोमवार 20 अक्टूबर को जब दिवाली मनाई जा रही थी, तब यहां हवा की क्वालिटी सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई थी. शाम को रिकॉर्ड की गई क्वालिटी के मुताबिक, AQI 345 तक पहुंच गया.


बता दें कि दिल्ली की हवा की क्वालिटी रोज शाम 4 बजे रिकॉर्ड की जाती है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार, 20 अक्टूबर की शाम यानी दिवाली वाले दिन दिल्ली का AQI लेवल 345 के पार रिकॉर्ड किया गया जो बहुत खराब स्थिति है. इससे एक दिन पहले यानी रविवार 19 अक्टूबर को यह 326 रिकॉर्ड किया गया था.
CPCB (central pollution control board) ने हवा की गुणवत्ता बताने के लिए एक ऐप बनाया है- SAMEER. इसके मुताबिक सोमवार 20 अक्टूबर की शाम तक दिल्ली के 4 क्षेत्र का AQI लेवल पहले से ही घातक स्टेज पर था. इन जगहों पर AQI 400 के पार ही रहा. द्वारका में 417, अशोक विहार में 404, वजीरपुर में 423 और आनंद विहार में 404 AQI लेवल रहा.
सोमवार 20 अक्टूबर को दिल्ली के 30 मॉनिटरिंग स्टेशन का AQI लेवल 300 या 300 के पार था.
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मंगलवार और बुधवार यानी 21-22 अक्टूबर को हवा की क्वालिटी और बिगड़ने की आशंका है.
कितने AQI लेवल पर हवा घातक होती है?CPCB ने हवा की शुद्धता मापने के लिए AQI के स्तर तय किए हैं जिससे समझना आसान हो कि हवा कितनी ज़हरीली है.
इसके मुताबिक, 0 से 50 के बीच में अगर AQI लेवल है तो हवा अच्छी है. अगर 51 से 100 के बीच है तब भी संतोषजनक है. 101 से 200 के बीच है तो ठीक है. 201 से 300 है तो खराब है. 301 से 400 के बीच है तो हवा ‘बेहद खराब’ है. 400 के पार जाते ही चिंताएं बढ़ने लगती हैं क्योंकि इन्हे ‘घातक’ माना जाता है. DSS (decision support system) के डाटा के मुताबिक
डीएसएस ने जो आंकड़ा दिया है उसके मुताबिक, 20 अक्टूबर को दिल्ली के प्रदूषण में गाड़ियों का योगदान 15.6 फीसदी और इंडस्ट्रीज का योगदान 23.3 प्रतिशत रहा.
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दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को पटाखों की खरीद और फोड़ने को मंजूरी दी थी, जिसके बाद लोगों में पटाखे फोड़ने का जोश बढ़ा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रीन पटाखे इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर रीजन के लिए समय भी तय किया था. दिवाली के दिन शाम 6 से 7 के बीच और एक घंटे के अंतराल के बाद 8 से 10 के बीच पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गई थी.
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