उत्तराखंड की देहरादून पुलिस ने उस फर्म को समन जारी किया है, जिसने एक सर्वे में देहरादून को महिलाओं के लिए असुरक्षित बताया था. यह रिपोर्ट बीते दिनों राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जारी की गई थी. रिपोर्ट में कही गई बातों को उत्तराखंड सरकार ने पहले ही खारिज कर दिया था.
देहरादून औरतों के लिए सेफ नहीं, ये रिपोर्ट देने वाली कंपनी को पुलिस का नोटिस, डेटा पर बड़े सवाल
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा हाल ही में जारी NARI 2025 रिपोर्ट में देहरादून को महिलाओं के लिए देश के सबसे असुरक्षित शहरों में से एक बताया गया था. उत्तराखंड सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. अब सर्वे करने वाली फर्म को देहरादून पुलिस ने नोटिस जारी किया है.


इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार देहरादून पुलिस ने रिपोर्ट तैयार करने वाली फर्म के प्रतिनिधियों को पूछताछ के लिए बुलाया है. इससे पहले नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स (NARI) 2025 नामक रिपोर्ट में देहरादून को महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सबसे निचले दस शहरों में शामिल बताया गया था. सर्वे में देश के 31 शहरों को शामिल किया गया था, जिसमें देहरादून की रैंकिंग काफी कम थी.
राष्ट्रीय औसत से कम था स्कोररिपोर्ट में देहरादून का इंडेक्स स्कोर 60.6% था, जो कि 64.6% के राष्ट्रीय औसत से कम था. सर्वे में देहरादून, रायपुर, चेन्नई और शिलांग जैसे पांच शहर बताए गए थे, जिनका स्कोर राष्ट्रीय औसत से कम था. वहीं पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का प्रदर्शन काफी बेहतर बताया गया था. सर्वे में नागालैंड की राजधानी कोहिमा को 82.9% के उच्चतम स्कोर के साथ महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर बताया गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सर्वे में देहरादून की आधी महिलाओं ने ही शहर को "सुरक्षित" या "बहुत सुरक्षित" माना, जबकि देश में इसका औसत 60 फीसदी है. 41 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वह देहरादून में अपनी सुरक्षा को लेकर संतुष्ट नहीं हैं. वहीं 10 फीसदी महिलाएं बेहद असुरक्षित महसूस करती हैं.
कंपनी ने नहीं दिया संतोषजनक जवाब: पुलिसइंडियन एक्सप्रेस ने देहरादून के एसएसपी अजय सिंह के हवाले से बताया कि पुलिस ने पी-वैल्यू एनालिटिक्स नाम की कंपनी के प्रतिनिधियों को समन भेजा है. इसी कंपनी ने वह रिपोर्ट तैयार की थी. एसएसपी ने कहा कि कंपनी ने मामले में पुलिस जांच के दौरान कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया था. इसके बाद कंपनी के मैनेजमेंट डायरेक्टर और डेटा कलेक्शन एवं एनालिसिस के लिए जिम्मेदार टीमों को एक हफ्ते के भीतर सर्वे से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया है.
कानूनी कार्रवाई की चेतावनीएसएसपी सिंह ने कहा कि अगर कंपनी संतोषजनक जवाब नहीं देती है या अगर यह पता चलता है कि रिपोर्ट गलत तथ्यों पर आधारित है तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि यह रिपोर्ट 28 अगस्त को जारी की गई थी और NCW की अध्यक्ष विजया राठकर भी इसके रिलीज के समय उपस्थित थीं. पिछले सप्ताह उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि यह तथ्यों पर आधारित नहीं है. पुलिस के अनुसार, देहरादून के व्यापार संघ और शिक्षा संस्थानों ने भी रिपोर्ट पर आपत्ति जताई और कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए शिकायतें दर्ज कराईं हैं.
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एकेडमिक रिसर्च का हिस्सा था सर्वेइंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इससे पहले कंपनी के एक रिप्रेजेंटेटिव मयंक ढैया सोमवार को एसएसपी के सामने पेश हुए थे और बताया था कि यह सर्वे यूनिवर्सिटीज के छात्रों के लिए एक एकेडेमिक रिसर्च कोर्स के हिस्से के रूप में किया गया था. इसमें कंपनी की दो अलग-अलग टीमें शामिल थीं. एक टीम ने सर्वे करके डेटा इकट्ठा किया, जबकि दूसरी टीम ने डेटा का एनालिसिस किया. एसएसपी का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार और अन्य सवालों के बारे में कंपनी ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया.
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