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“ऐलान से पहले पूछ तो लेते!”, शशि थरूर ने वीर सावरकर अवार्ड की खबर सुनकर दिया करारा जवाब

शशि थरूर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस अवॉर्ड का स्वरूप, इसे देने वाली संस्था या इसके पीछे कोई भी संदर्भ उनके लिए पूरी तरह अज्ञात है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बुधवार के कार्यक्रम में हिस्सा लेने या अवॉर्ड स्वीकार करने में उनकी बिल्कुल भी रुचि नहीं है. कोई भ्रम या अफवाह उनके नाम के साथ जुड़ने की जगह नहीं पाएगी.

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर. (फोटो- PTI)

बीजेपी के साथ नजदीकियों को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर गाहे-बगाहे आरोप लगते रहते हैं. कांग्रेस पार्टी के ही कई वरिष्ठ नेता उनकी इसे लेकर मुखरता से आलोचना करते हैं. अब इस कड़ी में एक और विवाद जुड़ता दिख रहा है. HRDS नाम के एक NGO ने थरूर को ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवार्ड 2025’ देने का ऐलान किया है. लेकिन थरूर ने इस अवॉर्ड को लेने से इनकार कर दिया है. थरूर का कहना है कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी.

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केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने इस मामले पर सफाई देते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, 

“मुझे मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि मुझे “वीर सावरकर अवॉर्ड” के लिए चुना गया है, जो आज (10 दिसंबर, मंगलवार) दिल्ली में दिया जाना है. मुझे इस घोषणा के बारे में कल (9 दिसंबर) केरल में पता चला, जहां मैं लोकल निकाय चुनावों में वोट देने गया था.”

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थरूर ने आगे कहा कि वह तिरुवनंतपुरम में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए इस बारे में सफाई दे चुके हैं. उन्होंने साफतौर पर कहा, 

“मुझे ऐसे किसी अवॉर्ड के बारे में न तो पता था और न ही मैंने इसे स्वीकार किया था. मेरी सहमति के बिना मेरा नाम अनाउंस करना ऑर्गनाइजर्स की तरफ से गैर-जिम्मेदाराना था.”

उन्होंने साफ किया कि अवॉर्ड के नेचर, इसे देने वाली संस्था या किसी अन्य संदर्भ की जानकारी के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. बुधवार को वह इस इवेंट में शामिल होने या अवॉर्ड स्वीकार करने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रखते. 

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बता दें कि ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवार्ड’ से जुड़ा प्रोग्राम HRDS इंडिया की ओर से दिया जाता है. इस समारोह में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा चीफ गेस्ट के रूप में शामिल हो रहे हैं.

वहीं, केरल से कांग्रेस के सीनियर नेता के मुरलीधरन ने कहा कि यह अवॉर्ड लेना कांग्रेस के लिए अपमानजनक और शर्मनाक होगा. बता दें कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच वीर सावरकर हमेशा से ही विवाद का मुद्दा रहे हैं. बीजेपी और राइट विंग विनायक दामोदर ‘वीर’ सावरकर को एक क्रांतिकारी हीरो मानते हैं. जबकि कांग्रेस आजादी की लड़ाई में उनके योगदान पर सवाल उठाती है.

इस बीच, थरूर ने सावरकर की शख्सियत पर कोई कॉमेंट नहीं किया. लेकिन उनके नाम पर दिए जाने वाले सम्मान को लेने से इनकार करना शायद यह दिखाता है कि कांग्रेस के काम करने के तरीके से मतभेद होने के बावजूद भी वह अब भी एक ऐसी लक्ष्मण रेखा है जिसे वह पार नहीं करेंगे.

वीडियो: शशि थरूर के पत्रकार बेटे ने अमेरिका में उनसे क्या सवाल पूछ लिया?

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