घर में सोते समय, या पार्क में बैठने के दौरान आपका पाला मच्छरों से जरूर पड़ा होगा. लेकिन अब तकनीक ऐसी आ गई है कि मच्छर सिर्फ खून नहीं पी रहे, बल्कि जासूसी भी कर रहे हैं. मच्छरों से जासूसी कराने वाला मुल्क कोई और नहीं बल्कि हमारा पड़ोसी चीन है. ये बात और है कि ये मच्छर वाले चाइनीज जासूस असल में मशीन हैं. दरअसल चीन ने नए किस्म के ड्रोन बनाए हैं जिनका साइज मच्छर (China Mosquito Drone) के बराबर है. तो समझते हैं क्या है चीन का ये नया हथियार जो वॉरफेयर की पूरी तस्वीर बदल देगा.
'मच्छर जैसे दिखने वाले जासूस', चीन का 'मॉस्कीटो ड्रोन' वायरल, भारत के लिए बड़ा खतरा!
China के Hunan प्रांत में एक यूनिवर्सिटी है. नाम है नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी. शॉर्ट में कहें तो NUDT. चीन के सरकारी मिलिट्री न्यूज़ चैनल चाइना सेंट्रल टेलीविजन पर चली एक खबर के मुताबिक इस यूनिवर्सिटी में ही इस ड्रोन को तैयार किया गया है. ये ड्रोन इतना छोटा है कि काफी ध्यान से देखने पर ही दिखाई देता है.

चीन के हुनान (Hunan) प्रांत में एक यूनिवर्सिटी है. नाम है नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी. शॉर्ट में कहें तो NUDT. चीन के सरकारी मिलिट्री न्यूज़ चैनल चाइना सेंट्रल टेलीविजन (CCTV 7) पर चली एक खबर के मुताबिक इस यूनिवर्सिटी में ही इस ड्रोन को तैयार किया गया है. ये ड्रोन इतना छोटा है कि काफी ध्यान से देखने पर ही दिखाई देता है. CCTV से बात करते हुए यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट लियांग हेक्सियांग अपनी उंगलियों पर ड्रोन लेकर CCTV से कहते हैं
यहां मेरे हाथ में एक मच्छर जैसा रोबोट है. इस तरह के छोटे बायोनिक रोबोट खास तौर पर सूचना, टोही और युद्ध के मैदान में स्पेशल मिशंस के लिए परफेक्ट हैं.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ड्रोन के प्रदर्शन के दौरान उसे स्मार्टफोन के माध्यम से कंट्रोल करके एक प्रोटोटाइप भी दिखाया गया है. इस दौरान मेकर्स ने बताया कि छोटे आकार की वजह से नए ड्रोन को बनाना काफी मुश्किल था. छोटे से सिस्टम में सेंसर, पावर डिवाइस, कंट्रोल सर्किट और बाकी चीजों को फिट करना एक चुनौती थी.

साल 2013 में एक मूवी आई थी. नाम था G.I. Joe: Retaliation. इस मूवी में ‘फायरफ्लाई’ नाम का एक किरदार था. फायरफ्लाई के पास हाईटेक बंदूक तो थी ही, साथ ही था मक्खी के साइज का एक बम. साइज और आकार में ये कुछ वैसा ही था जैसा आज चीन में बनाया गया है. इसमें सेंसर्स, कैमरे लगे थे. इससे ये जासूसी, निगरानी जैसे कामों में इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन फायरफ्लाई था फिल्म का विलेन. उसने इन ड्रोन्स को ऐसे बनाया था कि इनमें हाई ग्रेड माने उच्च क्षमता वाला बारूद या विस्फोटक भरा था. ये छोटे-छोटे ड्रोन्स अपने टारगेट पर आराम से पहुंच जाते. साइज छोटा होने की वजह से न ये किसी कैमरे, न किसी गार्ड की नजर में आते थे.

चीन के ये ड्रोन आज भले ही सर्विलांस और जासूसी के लिए इस्तेमाल किए जाएं. लेकिन चीन की फितरत को देखते हुए ये संभव है कि वो भविष्य में इन्हें हथियारों से लैस करे. ऐसे में भारत जैसे देश, जो चीन की विस्तारवादी नीति का शिकार रहे हैं, उन्हें ऐसे रडार डेवलप करने होंगे जो इतने छोटे साइज और कम रडार क्रॉस सेक्शन वाले ड्रोन के डिटेक्ट कर सकें.

चीन ने जो ड्रोन तैयार किया है, उससे थोड़ा बड़ा ड्रोन नॉर्वे ने भी विकसित किया है. नॉर्वे में विकसित ड्रोन इंसान की हथेली के आकार का, हेलीकॉप्टर के जैसा दिखता है. इस यूएवी (Unmanned Aerial Vehicle) का नाम ब्लैक हॉर्नेट है. इसके सबसे लेटेस्ट मॉडल, ब्लैक हॉर्नेट 4 के लिए इसे बनाने वाली कंपनी टेलीडाइन FLIR डिफेंस ( Teledyne FLIR)को अमेरिकी रक्षा विभाग ने ब्लू यूएएस रिफ्रेश पुरस्कार दिया है.
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