नौसेना की ताकत के मामले में चीन ने एक बड़ी छलांग मारी है. उसने अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बना लिया है. उसे चीनी नौसेना को सौंप भी दिया गया है. बीते दिनों राष्ट्रपति शी जिनपिंग खुद उसे देखने पहुंचे थे. सफेद वर्दी वाले नौसैनिकों के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब चलीं. इस कैरियर के बनने से पहले चीन के पास भी भारत, इटली और ब्रिटेन की तरह दो ही एयरक्राफ्ट कैरियर थे. लेकिन इस नए और आधुनिक कैरियर से समुंदर पर चीन की ताकत को बड़ा बूस्ट मिला है. अब सबसे ज्यादा एयरक्राफ्ट कैरियर के मामले में वो दुनिया में दूसरा नंबर पर आ गया है. हालांकि, अमेरिका से चीन अभी भी काफी पीछे है, जिसके पास कुल 11 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं.
चीन का सबसे घातक एयरक्राफ्ट कैरियर समुद्र में उतरा, ये लॉन्चिंग फीचर सिर्फ अमेरिका के पास
चीन ने अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर तैयार कर लिया है. इसके साथ ही उसके पास अब दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा संख्या में एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए हैं. उसने इस मामले में भारत के साथ-साथ ब्रिटेन और इटली को भी पछाड़ दिया है. भारत समेत इन तीनों देशों के पास 2-2 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं
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चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, चीन के तीसरे विमानवाहक पोत का नाम फुजियान प्रांत के नाम पर रखा गया है. इसे दक्षिणी चीन के हैनान प्रांत में नौसेना में शामिल किया गया है. चीन का दावा है कि यह चीन का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसमें कैटापल्ट लॉन्च सिस्टम लगा है. यह एक खास सिस्टम है, जो भारी और हथियारों से लदे लड़ाकू विमानों को कैरियर से आसानी से लॉन्च कर सकता है. इसके साथ ही अर्ली-वॉर्निंग और कंट्रोल प्लेन भी इस कैरियर से लॉन्च किए जा सकते हैं.
इसका मतलब ये है कि यह कैरियर समुद्र में बहुत दूर जाकर भी दुश्मन पर निशाना लगा सकता है, क्योंकि इसे सर्विलांस के लिए जमीन से उड़ने वाले एयरक्राफ्ट्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. इसके जहाज ज्यादा हथियार और फ्यूल ले जा सकते हैं, जिससे उनकी रेंज और मारक क्षमता बढ़ जाती है.
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के बाकी दोनों पुराने कैरियर शानडोंग और लियाओनिंग में ऊपर उठे हुए स्की-जंप डेक लगे हैं. यानी एक ऊपर की ओर मुड़ा हुआ रैंप, जिससे छोटे रनवे वाले एयरक्राफ्ट उड़ान भरते हैं. ये सिर्फ हल्के वजन के फाइटर जेट को लॉन्च कर सकते हैं.
फुजियान दुनिया का दूसरा कैरियर है जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम लगा है. फुजियान के अलावा ये सिस्टम सिर्फ अमेरिका के नए एयरक्राफ्ट कैरियर USS Gerald R. Ford में मौजूद है.
अमेरिका के सभी 11 कैरियर में कैटापल्ट हैं, लेकिन उनमें से 10 में ‘स्टीम कैटापल्ट’ हैं और सिर्फ नए वाले में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम है. स्टीम कैटापल्ट भारी होते हैं. जहाज और विमान दोनों पर ज्यादा दबाव डालते हैं. इन्हें ज्यादा जगह और ज्यादा मरम्मत की जरूरत होती है. जबकि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम हल्का और जरूरत के अनुसार ताकत बढ़ा-घटा सकता है. यही वजह है कि यह ड्रोन से लेकर भारी एयरक्राफ्ट्स तक सबको लॉन्च कर सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का ये कैरियर न्यूक्लियर-पावर्ड नहीं हैं, इसलिए इन्हें फ्यूल के लिए रुकना पड़ता है. इससे इनकी रेंज सीमित हो जाती है. फुजियान की ऑपरेशनल रेंज 8000 से 10000 नॉटिकल माइल तक बताई जा रही है.
नॉटिकल मील यानी समुद्र में दूरी को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मात्रक. एक नॉटिकल माइल 1.8 किमी के बराबर होता है.
वहीं, अगर अमेरिका के कैरियर की बात करें तो वो न्यूक्लियर पावर से चलते हैं. ऐसे में उन्हें बार-बार फ्यूल भरने की जरूरत नहीं होती और उनकी रेंज तकरीबन अनलिमिटेड हो जाती है.
खबर है कि चीन भी अपनी क्षमता को इसी स्तर पर लाने की तैयारी में जुटा है. वह अपने अगले जहाजों में न्यूक्लियर प्रोपल्शन लगाने पर काम कर रहा है.
चीन का पहला स्वदेशी कैरियरफुजियान चीन का पहला कैरियर है जिसे पूरी तरह चीन में डिजाइन किया गया है. इससे पहले उसका पहला कैरियर लियाओनिंग (Liaoning) सोवियत यूनियन का एक अधूरा जहाज था, जिसे चीन ने यूक्रेन से खरीदा और फिर ठीक किया था. दूसरा कैरियर शानडोंग (Shandong) चीन ने खुद बनाया था, लेकिन उसकी डिजाइन लियाओनिंग पर आधारित थी.
उसने तीनों कैरियरों के नाम अपने तटीय (कोस्टल) राज्यों के नाम पर रखे हैं.
भारत के पास कितने कैरियर हैंइंडिया टुडे से जुड़ीं शिवानी शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय भारतीय नौसेना दो एयरक्राफ्ट कैरियर चला रही है – आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत. दोनों STOBAR तकनीक यानी शॉर्ट टेक ऑफ और बैरियर अरेस्टेड रिकवरी पर काम करते हैं. INS विक्रमादित्य रूस से लिया गया था और 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. वहीं, INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है, जो 2022 में नौसेना में शामिल हुआ.
इस समय भारतीय नौसेना को अपने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की बहुत जरूरत है. नौसेना ने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर IAC-2 का प्रस्ताव सरकार को भेज भी दिया है और रक्षा मंत्रालय से मंजूरी का इंतजार है. लेकिन सवाल ये है कि क्या भारत के पास एक समय में 3 एयरक्राफ्ट कैरियर होंगे?

दरअसल, INS विक्रांत अगले 30-40 साल नौसेना में रहेगा, लेकिन विक्रमादित्य को 2035 के आसपास रिटायर करना पड़ेगा. अगर IAC-2 को मंजूरी मिलने के बाद उसे पूरा होने में 10–12 साल लगते हैं, तो नया तीसरा कैरियर वास्तव में विक्रमादित्य की जगह आएगा. यानी भारत के पास असल में सिर्फ 2 ही कैरियर रहेंगे.
दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना चीन के पासरिपोर्ट के मुताबिक, इस समय चीन के पास 356 से ज्यादा वॉरशिप, सबमरीन, माइन स्वीपर्स, एयरक्राफ्ट कैरियर और Amphibious warships हैं. संख्या के हिसाब से वह दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुका है. साल 2000 में चीन के पास सिर्फ 210 युद्धपोत (Warships) थे. अगले 5 सालों में चीन ने लगातार अपने जहाज बढ़ाए और 2020 तक वह दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन गया. PLA नेवी अब 2030 तक अपनी ताकत बढ़ाकर 460 जहाज करने में लगी है.
भारत की नौसेना भी तेजी से आगे बढ़ रही है और 2047 तक पूरी तरह स्वदेशी नौसेना बनने की कोशिश कर रही है. सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि चीन जिस रफ्तार से एयरक्राफ्ट कैरियर बढ़ा रहा है, वह चिंता की बात है. जबकि भारतीय नौसेना अभी भी दूसरे IAC (एयरक्फ्ट कैरियर) की मंजूरी का इंतज़ार कर रही है. फिलहाल भारतीय नौसेना के पास करीब 150 जहाज और पनडुब्बियां हैं. इसके पास 143 से ज्यादा विमान, 130 हेलिकॉप्टर, 9 पनडुब्बियां और 2 मल्टी-पर्पज जहाज शामिल हैं. भारतीय नौसेना का लक्ष्य 2035 तक अपनी ताकत बढ़ाकर 200 से ज्यादा शिप और सबमरीन कर लेने का है.
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