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CCS: देश की सबसे ताकतवर कमेटी जिसने पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद कर दिया

पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते पर रोक लगा दी गई है. SAARC वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं. अटारी बॉर्डर भी बंद कर दिया गया है.

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PM नरेंद्र मोदी ने CCS मीटिंग की अध्यक्षता की. (ANI)

नई दिल्ली में पहलगाम में हुए आंतकी हमले को लेकर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मीटिंग हुई. यह मीटिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई. इसी बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए गए. पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते पर रोक लगा दी गई है. SAARC वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं. अटारी बॉर्डर भी बंद कर दिया गया है. 

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इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई सीनियर अधिकारी मौजूद थे. प्रधानमंत्री के 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर इस बैठक में सख्त फैसले लिए गए. 

CCS का इतिहास

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, CCS के इतिहास की बात करें तो किसी खास दिन या किसी स्पेशल सरकारी आदेश के तहत इसकी शुरुआत का पता नहीं चलता. आजाद भारत में CCS जैसे स्ट्रक्चर वाली पहली कमेटी 1947 में ही बनी थी. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसकी अध्यक्षता की थी.

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एक नया नवेला देश, जिसने ताजा-ताजा आजादी पाई थी, वो नेशनल सिक्योरिटी समेत कई चुनौतियों का सामना कर रहा था. यही सब देखते हुए उस कमेटी का गठन किया गया था, जिसका मकसद भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य स्थितियों का आकलन करना और उनका समाधान करना था.

इस कमेटी की पहली इमरजेंसी मीटिंग 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बताई जाती है. उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इसके अध्यक्ष थे, जबकि गृह मंत्री सरदार पटेल और रक्षा मंत्री बलदेव सिंह इसके मेंबर थे.

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Kargil War के बाद बदला रूप

1999 के कारगिल वॉर के बाद इस कमेटी ने अपना रूप बदलते हुए CCS का मौजूदा स्ट्रक्चर अपनाया. CCS रक्षा और नेशनल सिक्योरिटी के लिए एक बेहद पावरफुल और हाई लेवल कमेटी बनी. समय के साथ CCS भारत सरकार के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा मामलों से संबंधित सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था के रूप में विकसित हुई है.

प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं. इस कमेटी में आम तौर पर गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री सदस्य के तौर पर शामिल होते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) इसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों पर सेक्रेटरी लेवल के कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करते हैं. जबकि रक्षा मंत्री इस कमेटी में स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं. अन्य सदस्यों को जरूरत के मुताबिक, शामिल किया जा सकता है.

कैबिनेट सचिवालय CCS की सभी मीटिंग और कार्यवाही के रिकॉर्ड रखने के लिए जिम्मेदार है. CCS रक्षा, विदेशी मामलों, खुफिया, परमाणु मुद्दों, अंतरिक्ष नीति और नेशनल सिक्योरिटी से संबंधित प्रमुख नियुक्तियों से संबंधित सभी मामलों से जुड़ी है.

CCS का मौजूदा स्ट्रक्चर

4 जुलाई 2024 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक मामलों, राजनीतिक मामलों और सुरक्षा पर देश की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था CCS समेत अलग-अलग कैबिनेट कमेटियों का पुनर्गठन किया था. मौजूदा कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, कैबिनेट सचिव टी वी सोमनाथन और रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह को भी CCS की बैठकों में आमंत्रित किया जा सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CCS की पिछली मीटिंग 5 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री के आवास पर हुई थी. उस समय बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपना देश छोड़कर भारत में शरण लेने के लिए आई थीं. तब बांग्लादेश के हालात के बारे में जानकारी देने के लिए यह बैठक की गई थी.

वीडियो: रक्षा मंत्री राजनाथ ने पहलगाम हमले के बाद आतंकियों को क्या चेतावनी दे डाली?

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