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यूपी में डायलिसिस के बीच बिजली कटी, जनरेटर चला नहीं, आधा खून मशीन में ही रह गया, मरीज की मौत

Uttar Pradesh: युवक अपनी मां के साथ डायलिसिस कराने पहुंचा था. डायलिसिस प्रक्रिया चल ही रही थी, तभी अचानक अस्पताल की बिजली चली गई. जिससे मशीन रुक गई और मरीज की हालत बिगड़ने लगी. क्या है पूरा मामला?

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डायलिसिस मशीन बंद होने की वजह से मरीज की मौत हो गई (फोटो: आजतक)

यूपी के बिजनौर में मेडिकल कॉलेज की लापरवाही की वजह से एक मरीज की जान चली गई. बताया जा रहा है कि युवक अपनी मां के साथ डायलिसिस कराने पहुंचा था. डायलिसिस प्रक्रिया चल ही रही थी, तभी अचानक अस्पताल की बिजली चली गई. जिससे मशीन रुक गई. इतना ही नहीं, जब परिजनों ने जनरेटर चलाने की मांग की तो स्टाफ ने बताया कि जनरेटर में डीजल नहीं है. 

क्या है पूरा मामला?

आजतक से जुड़े संजीव शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक की पहचान सरफराज (25) के तौर पर हुई है. जो बिजनौर के फूलसंदा गांव का रहने वाला था. 14 जून की सुबह करीब 10 बजे सरफराज अपनी मां के साथ डायलिसिस कराने मेडिकल कॉलेज गया था. सरफराज का डायलिसिस किया जा रहा था. इस दौरान अचानक बिजली चली गई और उसका डायलिसिस रुक गया. इसके बाद जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तो मां सलमा ने स्टाफ से जनरेटर चलाने के लिए कहा. उन्होंने दावा किया कि किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. 

रिपोर्ट के मुताबिक, स्टाफ ने बताया कि जनरेटर में ईंधन नहीं है. जब सरफराज की हालत ज्यादा बिगड़ने लगी, तो मौजूद स्टाफ ने उसे CPR देना शुरू किया. दूसरी तरफ सरफराज की मां जनरेटर चलाने की गुहार लगाती रही. CDO पूर्ण बोहरा मेडिकल कॉलेज में गंदगी की शिकायत मिलने के बाद जांच के लिए पहुंचे हुए थे. जब उन्होंने शोर सुना तो वे डायलिसिस कक्ष पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली. उन्होंने तुरंत जनरेटर चलाने का आदेश दिया. स्टाफ ने बताया की जेनरेटर चलाने के लिए डीजल नहीं है.

इसके बाद CDO बोहरा ने डीजल मंगवाया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. आधा ब्लड डायलिसिस मशीन में रुक जाने की वजह से सरफराज की मौत हो गई. हालांकि, बाद में जनरेटर चला और चार अन्य लोगों की डायलिसिस की प्रक्रिया पूरी हो सकी. इस मामले की जानकारी जैसे ही CMO तक पहुंची, वो भी जांच के लिए अस्पताल पहुंच गए. कुछ देर बाद DM जसजीत कौर भी पहुंचीं और पूरे मामले की जानकारी ली. DM ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य उर्मिला काले से इस संबंध में जवाब मांगा. जिन्होंने पूरे मामले की जिम्मेदारी संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर डाल दी. प्राचार्य उर्मिला काले ने बताया कि अस्पताल में डायलिसिस का काम संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड देखती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, CDO पूर्ण बोहरा ने बताया कि शुरुआती जांच में पाया गया है कि डायलिसिस विभाग में चिकित्सा यंत्र और दवाइयों के साथ साथ दूसरे सामान भी गंदगी भरे माहौल में रखे थे. उन्होंने बताया,

बिजली न होने पर पंखे और मशीनें बंद थी. एक मरीज की मौत हमारे सामने हुई है. यह बेहद गंभीर मामला है. इसके अलावा कंपनी के SOP पूरे ना होने के बाद भी मेडिकल मैनेजमेंट द्वारा कंपनी को भुगतान किया जा रहा है. जो एक बड़े लापरवाही है. 

उन्होंने बताया कि जांच पूरी करके जल्द ही रिपोर्ट DM को सौंपी जाएगी. साथ ही लापरवाही की वजह से जिसकी मौत हुई है. उस मामले में भी कार्रवाई की जाएगी. वहीं, DM ने बताया कि कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है और CDO को विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

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बताते चलें कि डायलिसिस में, खून को शरीर से बाहर निकाला जाता है और एक मशीन में भेजा जाता है. जो इसे साफ करती है. मशीन में एक फिल्टर होता है जो अपशिष्ट तरल पदार्थों को खून से अलग करती है और फिर शुद्ध खून को वापस शरीर में भेज दिया जाता है. ज्यादातर मामलों में डायलिसिस की जरूरत उन मरीजों की होती है, जिनकी किडनी काम करना बंद कर देती है.  

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