शादीशुदा जिंदगी में छोटी-छोटी बातों पर कभी-कभी बहस इतनी बढ़ जाती है कि नौबत तलाक तक आ जाती है. इनमें से कुछ मामले ऐसे होते हैं कि खबरों में भी आ जाते हैं. ऐसा ही तलाक का एक मामला सुर्खियों में आया है. पति-पत्नी के बीच कथित तौर पर बच्चे के नाम को लेकर झगड़ा हुआ. बात इतनी ज्यादा बढ़ गई कि मामला तलाक तक पहुंच गया (Karnataka couple divorce case).
बेटे के नाम पर तलाक तक पहुंचा पति-पत्नी का झगड़ा, फिर कोर्ट ने इस नाम पर लगाई मुहर
बेटे के नाम पर पति-पत्नी के बीच झगड़ा शुरू हुआ. दोनों एक-दूसरे के द्वारा सुझाए गए नाम पर सहमत नहीं थे. जिस कारण दोनों के बीच महीनों विवाद चला, जो फिर कोर्ट में जाकर रुका. पत्नी ने पति से अलग होने की भी मांग कर दी. फिर जज के सुझाव पर बच्चे का नाम रखा गया.
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एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु का है. जहां बच्चे के नाम को लेकर पति और पत्नी के बीच बहस चल रही थी. दोनों एक-दूसरे के सुझाए नाम पर सहमत नहीं थे. उनके बेटे का जन्म 2021 में हुआ था. विवाद तब ज्यादा बढ़ा जब 21 साल की पत्नी ने लड़के का नामकरण समारोह रखा. लेकिन 26 साल के पति बेटे के नाम से खुश नहीं थे, इसलिए वो समारोह में शामिल नहीं हुए. पत्नी ने बेटे का नाम 'आदि' (Adi) रखने का सुझाव दिया था.
दोनों के बीच बेटे के नाम को लेकर महीनों तक बहस चली. जिसके बाद पत्नी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां युवती ने पति से अलग होने के साथ ही मैंनटेनेंस की मांग की. इतना ही नहीं, जज ने युवती को कुछ सुझाव भी दिए, लेकिन उसने उन्हें भी मानने से मना कर दिया. जिसके बाद पिछले हफ्ते मैसूर सेशन कोर्ट की जज ने कपल को बुलाया. जहां बातचीत के बाद दंपति के तीन साल के बेटे का नाम ‘आर्यवर्धन’ (Aryavardhan) रखा गया. इसके बाद पति-पत्नी के बीच विवाद सुलझ गया, और फिर दोनों ने साथ रहने का फैसला किया.
बच्चे के नाम पर असहमति होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले साल 2023 में भी ऐसा ही एक मामला केरल के कोच्चि से सामने आया था. जहां माता-पिता अपने तीन साल के बच्चे का नाम नहीं रख पा रहे थे. जिसके बाद मां केरल हाई कोर्ट में गई थी. दोनों पति-पत्नी अलग रह रहे थे और बच्चे के नाम रखने पर सहमति नहीं बना पा रहे थे. जिसके बाद कोर्ट ने कपल की बेटी का नाम महिला की पसंद पर रखा. जबकि सरनेम में पिता का नाम जोड़ा.
कोर्ट ने दोनों पक्षों के सुनने के बाद कहा कि बच्ची मां के साथ रह रही है, ऐसे में उसके द्वारा दिए नाम को महत्व देना चाहिए. लेकिन यह समाज पितृ सत्तात्मक है, ऐसे में पिता का नाम भी शामिल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने आदेश दिया कि बच्ची का नाम पुण्य रखा जाएगा, लेकिन पिता के नाम को सरनेम के तौर पर जोड़ा जाएगा.
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