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यूपी के अस्पताल में डॉक्टर बनकर पहुंचा शराबी, छात्रों से पूछकर किया मरीजों का इलाज, फिर...

आरोपी डॉक्टर ने कथित तौर पर शराब भी पी रखी थी. उससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह कईली अस्पताल का डॉक्टर है और यहां सीनियर डॉक्टर के तौर पर रखा गया है. लोगों ने कहा कि मरीज सीरियस है.

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बस्ती जिला अस्पताल के सीआईएस (बायें) ने कहा फर्जी डॉक्टर (दायें लाल घेरे में) पर FIR कराई जा रही है (India Today)

‘नीम हकीम’ के बारे में तो आपने सुना ही होगा. एक कहावत में आता है ये. ‘नीम हकीम खतरा-ए-जान’, माने आधा ज्ञान खतरनाक होता है. उत्तर प्रदेश के एक जिला अस्पताल में ये कहावत सच होती दिखी. यहां एक ‘नीम हकीम’, बल्कि ‘निल (जीरो) हकीम’ पकड़ा गया है. मुंह पर मास्क और गले में आला लटकाए अपने आपको सीनियर डॉक्टर बताने वाला शख्स इमरजेंसी वार्ड के मरीजों का इलाज करने आया था. मरीजों को शक हुआ तो उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. आरोप है कि वह पढ़ने वाले छात्रों से पूछकर मरीजों को दवा दे रहा था.

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इंडिया टुडे से जुड़े संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला बस्ती के जिला अस्पताल का है. रूधौली थाना इलाके के रहने वाले लक्ष्मी नारायण अपनी पत्नी शीला देवी को गंभीर हालत में यहां लेकर आए थे. उनकी सांस फूल रही थी. आरोप है कि इमरजेंसी वार्ड में भर्ती होने के दो घंटे बाद तक उन्हें देखने के लिए कोई डॉक्टर नहीं आया. तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से लक्ष्मी नारायण की पत्नी की मौत हो गई.

लक्ष्मीनारायण के मुताबिक, उनकी पत्नी की हालत वैसी सीरियस नहीं थी. वह ठीक हो सकती थी लेकिन सही इलाज न मिलने से उनकी जान चली गई. उन्होंने कहा,   

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मेरा मरीज (शीला देवी) नॉर्मल हो गया था. वह बोलने भी लगा था. मुझे लगा कि वो बच जाएगा, लेकिन उसकी मौत हो गई. वहां कोई सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं था. SIC को एक-दो घंटा पहले बुलाए थे लेकिन वो नहीं आए क्योंकि सो रहे थे. 

मृतक शीला की बहू कोमल ने बताया कि एक अन्य अस्पताल से रेफर करके उन्हें यहां लाए थे. सब ठीक चल रहा था. तभी वहां आला लगाए और मास्क पहने एक व्यक्ति आया और बोला कि वो सीनियर डॉक्टर है. उनकी सास को उसने देखा और बोला कि इनको लेकर घर जाओ. अब ये नहीं रहीं. कोमल ने आगे कहा, 

हमें पता चला कि वो फर्जी डॉक्टर था. उसको हम लोग पुलिस के पास लेकर गए. वो भाग रहा था लेकिन सब लोग उसे पकड़कर थाने लाए हैं. अब उसके खिलाफ एफआईआर कराएंगे.

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अस्पताल में मौजूद एक और तीमारदार ने बताया,

मरीज (शीला) की हालत खराब थी. कोई सीनियर डॉक्टर वहां मौजूद नहीं था. फिर हमने देखा कि इमरजेंसी वार्ड में एक डॉक्टर घूम रहा है जो खुद को सीनियर डॉक्टर बता रहा था. उसने कुछ मरीजों की जांच की. कुछ मरीजों से बात किया. बीएससी नर्सिंग वाले छात्रों से पूछकर कुछ मरीजों को दवा भी दिया. 

उन्होंने आगे बताया,

शीला देवी की हालत सीरियस थी. हमने डॉक्टर से पूछा कि आप क्या सीनियर डॉक्टर हैं. हमने उससे दवा के लिए पूछा तो बोला कि वार्डन से पूछकर बताता हूं. अगर वो सीनियर डॉक्टर थे तो क्या उनको दवा के बारे में पूछने की जरूरत पड़ती?

आरोपी डॉक्टर ने कथित तौर पर शराब भी पी रखी थी. उससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह कईली अस्पताल का डॉक्टर है और यहां सीनियर डॉक्टर के तौर पर रखा गया है. लोगों ने कहा कि मरीज सीरियस है. पहले वह उसे दवा दे. बाद में देखेंगे कि वह फर्जी है या नहीं. इस पर वो जूनियर डॉक्टर पास गया और उनसे दवा के बारे में पूछा. जब मरीज मरने के कगार पर आ गया तो उसने परिजन से कहा कि पहले इनकी ईसीजी कराओ और फिर कईली अस्पताल रेफर करने को बोला. 

मरीज की मौत के बाद लोग आक्रोशित हो गए तो वह भागने लगा. लोगों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. 

अस्पताल के अधिकारी क्या बोले?

इस घटना के बाद जिला अस्पताल पर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ के आरोप लगे हैं. सवाल उठ रहा है कि कोई फर्जी डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड में घुसकर मरीजों का इलाज कैसे कर सकता है? अस्पताल से असली डॉक्टर कहां थे? इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है?

जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ. खालिद रिजवान ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. उनके मुताबिक, अस्पताल में किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं की गई है. मरीज की मौत पर उन्होंने कहा, 

उसकी सांस फूल रही थी. ऑक्सीजन कम हो गई थी. मैं खुद मौके पर गया था और उसका इलाज भी किया. ऑक्सीजन न होने और ज्यादा सांस फूलने की वजह से उसकी मौत हो गई.

फर्जी डॉक्टर पर खालिद रिजवान ने कहा कि लोगों को शक हुआ तो उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया गया. उसके खिलाफ तहरीर देकर एफआईआर दर्ज कराई जा रही है.

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