साउथ एशिया, दुनिया के नक्शे पर मौजूद एक ऐसा हिस्सा है जहां कुछ भी हो, उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है. इस क्षेत्र में भारत, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका और मालदीव जैसे देश आते हैं. हाल के दिनों में ये इलाका काफी चर्चा में रहा. बांग्लादेश में हो रही हिंसा और पाकिस्तान-अफगान तालिबान की झड़पों ने पूरी दुनिया के पटल पर सुर्खियां बटोरी. और अब इस क्षेत्र में एक नई दोस्ती पनप रही है. ये दोस्ती है पाकिस्तान और बांग्लादेश की. 1971 तक जिस पाकिस्तान ने बांग्लादेश में कत्लेआम किए, अब वही पाकिस्तान, बांग्लादेश (Pakistan Bangladesh Partnership) के साथ पार्टनरशिप कर रहा है. बीते कुछ महीनों में ढाका और इस्लामाबाद के बीच खूब आवाजाही हो रही है. इससे ये सुगबुगाहट तेज हो गई है कि दोनों देश मिल कर एक नया खुफिया गठबंधन बना रहे हैं.
खुफिया एजेंसियों के बीच सहयोग, जॉइंट मिलिट्री डील्स; पाकिस्तान और बांग्लादेश क्या खिचड़ी पका रहे हैं?
Bangladesh में Anti-India भावनाएं बढ़ने के साथ, Pakistan को वहां अपने लिए जमीन दिख रही है. वो बांग्लादेश को हर तरह से अपने पाले में रखने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ये कोई नई पैंतरेबाजी नहीं है. इससे पहले भी 90 के दशक में पाकिस्तान ने Nepal में यही तरीका अपनाया था.


ढाका और इस्लामाबाद के बीच ये सैर-सपाटा सिर्फ राजनीतिक नेतृत्व तक सीमित नहीं है. आजतक की रिपोर्ट कहती है कि इन यात्राओं में दोनों देशों के खुफिया अधिकारी भी शामिल हैं. पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन, नौसेना प्रमुख और यहां तक कि ISI चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक तक बांग्लादेश का दौरा कर चुके हैं. इन यात्राओं को महज शिष्टाचार नहीं, बल्कि रणनीतिक एजेंडे से जोड़कर देखा जा रहा है.
सऊदी अरब की तरह बांग्लादेश के साथ एग्रीमेंटकुछ समय पहले ही पाकिस्तान ने सूदी अरब के साथ एक डिफेंस पैक्ट साइन किया है. इस पैक्ट में कुछ शब्दों ने लोगों का ध्यान खींचा जिसमें लिखा था 'एक देश पर हमला, दूसरे देश पर हमला माना जाएगा.' ऐसी ही एक डील 70 के दशक में भारत-रूस के बीच साइन हुई थी. यही वजह थी कि जब 1971 की जंग हुई तो रूस ने खुलकर भारत का साथ दिया था. ऐसी ही एक डील पाकिस्तान ने सऊदी के साथ की है. लेकिन ये डील भारत नहीं बल्कि इजरायल को ध्यान में रख कर की गई है. क्योंकि सऊदी और भारत भी एक अच्छे पार्टनर हैं.
और बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाएं बढ़ने के साथ, पाकिस्तान को वहां अपने लिए जमीन दिख रही है. लिहाजा वो बांग्लादेश को हर तरह से अपने पाले में रखने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ये कोई नई टैक्टिक्स नहीं है. इससे पहले भी 90 के दशक में पाकिस्तान ने नेपाल में यही तरीका अपनाया था. वहां फैली अशांति का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने उसका इस्तेमाल भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया.
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भारत सरकार ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक नई दिल्ली पूरी स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है. अगर यह समझौता होता है, तो भारत के पूर्वी मोर्चे पर सुरक्षा चुनौतियां बढ़ सकती हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान इसीलिए भी जल्दबाजी में है क्योंकि अगर चुनाव के बाद बांग्लादेश में भारत-समर्थक नेतृत्व सत्ता में आता है, तो यह डील ठंडे बस्ते में जा सकती है.
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