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क्या इलेक्ट्रिक बसों को कंट्रोल कर रहा चीन? Remote Access की बात कितनी सच?

तकनीकी विशेषज्ञ एक बात पर सहमत हैं कि, हर वो चीज जो किसी नेटवर्क से जुड़ी है, उसे हैक या दूर से एक्सेस किया जा सकता है. Pager और Walkie-Talkie Blast इसका सबसे ताजा उदाहरण हैं, जिनमें इजरायल का हाथ बताया जाता है. हालांकि Norway और Denmark में चल रही चीनी बस बनाने वाली कंपनी Yutong किसी भी Remote Access को खारिज करती है.

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डेनमार्क, नॉर्वे Yutong की इलेक्ट्रिक बसें इस्तेमाल करते हैं (PHOTO-Yutong)

कुछ समय पहले खबर आई कि लेबनान में हिज्बुल्लाह से जुड़े लोगों के पेजर में धमाका हुआ. वॉकी-टॉकी में धमाका हुआ. कहा गया कि इन डिवाइसेज का एक्सेस इजरायल के पास था. इस दौरान एक शब्द खूब प्रचलित हुआ, ‘रिमोट एक्सेस’. ये वो तकनीक है जिसके जरिए हजारों किलोमीटर दूर बैठा व्यक्ति किसी चीज को कंट्रोल कर सकता है. और अब इसी रिमोट एक्सेस का डर यूरोप के कुछ देशों को सता रहा है. डेनमार्क और नॉर्वे (Chinese Bus in Denmark and Norway) से खबर आई है कि ये देश अपने यहां चलने वाली 'मेड इन चाइना' बसों की जांच कर रहे हैं. यह जांच तब शुरू हुई जब नॉर्वे में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज़, जहां यूटोंग बसें भी सर्विस में हैं, ने पाया कि चीनी सप्लायर के पास गाड़ियों के कंट्रोल सिस्टम के सॉफ्टवेयर अपडेट और डायग्नोस्टिक्स के लिए रिमोट एक्सेस था. इसका इस्तेमाल बसों के चलते समय उन्हें प्रभावित करने के लिए किया जा सकता था.

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नॉर्वे में बसों की जांच शुरू

सिक्योरिटी ब्रीच की चिंताओं के बीच, नॉर्वे की पब्लिक ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी Ruter ने एक आइसोलेटेड माहोल में दो इलेक्ट्रिक बसों की जांच की है. रूटर के चीफ एग्जीक्यूटिव बर्न्ट रीटन जेनसेन ने इस मामले पर जानकारी गार्डियन को बताया,

टेस्टिंग में कुछ रिस्क सामने आए हैं, जिनके खिलाफ हम अब कदम उठा रहे हैं. नेशनल और लोकल अथॉरिटीज को इसकी जानकारी दे दी गई है. उन्हें नेशनल लेवल पर और भी कदम उठाने में मदद करनी होगी.

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रूटर की जांच में पाया गया कि बसों के सिम कार्ड निकालकर रिमोट डीएक्टिवेशन को रोका जा सकता है, लेकिन उन्होंने ऐसा न करने का फैसला किया क्योंकि इससे बस दूसरे सिस्टम से भी डिस्कनेक्ट हो जाएगी. रूटर ने कहा कि उसने भविष्य में होने वाली किसी भी ऐसी खरीद के लिए सख्त सिक्योरिटी नियमों को लागू करने का प्लान बनाया है. जेनसेन ने कहा कि अगली पीढ़ी की बसों के आने से पहले ही जरूरी कदम उठाए जाएंगे. क्योंकि नई बसों में नई तकनीक होती है, इस वजह से उन्हों कंट्रोल करना या जांच करना और मुश्किल होगा.

डेनमार्क की भी वही कहानी

डेनमार्क की सबसे बड़ी सरकारी ट्रांसपोर्ट कंपनी का नाम Movia है. मोविया 469 इलेक्ट्रिक बसें ऑपरेट करती हैं. इनमें से 262 बसें Yutong नाम की कंपनी ने बनाई हैं. मोविया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, जेप्पे गार्ड ने कहा कि उन्हें पिछले हफ्ते ही ये पता चला कि इलेक्ट्रिक बसें बिल्कुल इलेक्ट्रिक कारों की तरह हैं. अगर उनके सॉफ़्टवेयर सिस्टम में वेब एक्सेस हो तो उन्हें रिमोटली यानी दूर से ही डीएक्टिवेट किया जा सकता है.  उन्होंने कहा कि यह सिर्फ चाइनीज बसों की समस्या नहीं बल्कि यह उन सभी तरह की गाड़ियों और डिवाइस की समस्या है जिनमें चीन के इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स लगे हैं.

गार्डियन से बात करते हुए जेप्पे गार्ड बताते हैं कि डेनिश एजेंसी फॉर सिविल प्रोटेक्शन एंड इमरजेंसी मैनेजमेंट, Samsik ने उन्हें बताया है कि उन्हें ऐसे किसी खास मामले की जानकारी नहीं है जिसमें इलेक्ट्रिक बसों को डीएक्टिवेट किया गया हो. लेकिन वो ऐसी किसी संभावना से इंकार भी नहीं करते. उन्होंने चेतावनी दी कि इन गाड़ियों में "इंटरनेट कनेक्टिविटी और सेंसर (कैमरा, माइक्रोफोन, GPS) वाले सबसिस्टम लगे हैं जो ब्रीचिंग यानी रिमोट एक्सेस में मददगार हो सकते हैं. इसका फायदा उठाकर बस की मूवमेंट को रोका जा सकता है.

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बस बनाने वाली कंपनी ने क्या बताया?

तमाम आशंकाओं और आरोपों के केंद्र में है Yutong कंपनी की बनाई गई बस. कहा जा रहा है कि इन्हीं बसें में रिमोट एक्सेस है. अब इस मामले पर Yutong का भी बयान आया है. Yutong ने कहा,

Yutong उन जगहों के लागू कानूनों, नियमों और इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स का सख्ती से पालन करता है जहां इसके वाहन चलते हैं. इसका डेटा EU में यूटोंग व्हीकल टर्मिनल डेटा फ्रैंकफर्ट में अमेजन वेब सर्विसेज (AWS) डेटासेंटर में स्टोर किया जाता है. इस डेटा का इस्तेमाल सिर्फ वाहन से जुड़े मेंटेनेंस, ऑप्टिमाइजेशन और सुधार के लिए किया जाता है ताकि ग्राहकों की आफ्टर-सेल्स सर्विस की जरूरतों को पूरा किया जा सके. डेटा स्टोरेज एन्क्रिप्शन और एक्सेस कंट्रोल से सुरक्षित है. ग्राहक की अनुमति के बिना किसी को भी इस डेटा को एक्सेस करने या देखने की अनुमति नहीं है. यूटोंग EU के डेटा सुरक्षा कानूनों और नियमों का सख्ती से पालन करता है.

बैकडोर एक्सेस, रिमोट एक्सेस: सबसे बड़ी चिंता 

दुनियाभर के देशों में चीन के कंपोनेंट्स को लेकर ये चिंता रहती है कि उन्हें दूर से कंट्रोल किया जा सकता है. ऐसा है या नहीं, ये तो इस्तेमाल करने वाले और बनाने वाले ही बेहतर जानते होंगे. लेकिन तकनीकी विशेषज्ञ एक बात पर सहमत हैं कि, हर वो चीज जो किसी नेटवर्क से जुड़ी है, उसे हैक या दूर से एक्सेस किया जा सकता है. इजरायल द्वारा किया हुआ पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट इसका सबसे ताजा उदाहरण हैं. इसके अलावा एक कहानी ये भी चलती है कि अमेरिकी फाइटर जेट्स को भी अमेरिका जब चाहे बैकडोर एक्सेस के जरिए ग्राउंड कर सकता है.

वीडियो: दुनियादारी: हिजबुल्लाह को एक और बड़ा झटका, पेजर के बाद वॉकी-टॉकी किसने उड़ाया?

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